- हर साल कीट प्रकोप से चौपट हो जाती है
- बकावंड ब्लॉक में धान की फसलों पर कीट प्रकोप
अर्जुन झा-
बकावंड विकासखंड बकावंड के खेतों में लहलहा रही धान की फसलों को कीट प्रकोप लग गया है। इसे लेकर किसान चिंतित हैं। किसानों ने मौसम की मार के साथ ही कीट व्याधि से भी फसल क्षतिग्रस्त होने पर बीमा राशि देने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से की है।
धान की फसल जब पकने को होती है तब उस पर तना छेदक, हरा माहो, भूरा माहो, टिड्डी, झुलसा रोग, अन्य कीटों का प्रकोप शुरू हो जाता है। कीट व्याधि के चलते धान की बालियों में दूध नहीं भर पाता और फसल लगभग सूख जाती है। हालत यह हो जाती है कि किसानों को अपने मवेशियों के लिए पैरा तक नहीं मिल पाता, अनाज तो दूर की बात है। पकी पकाई फसल तैयार होने के दौरान अगर तेज बारिश होती है तथा आंधी या हवाएं चलती हैं, तो फसल खेत में गिर जाती है, धान की बालियां भीग जाती हैं। मगर ऐसे हालात में भी किसानों को थोड़ा बहुत और गुणवत्ता विहीन ही सही, खाने लायक अनाज तो मिल जाता है। वहीं कीट व्याधि लगने पर थोड़ी भी उपज मिलने की उम्मीद खत्म हो जाती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सिर्फ प्राकृतिक आपदा में ही बीमित किसान को बीमा राशि देने का प्रावधान है। जबकि फसलों को बेतहाशा नुकसान पहुंचाने वाले कीट पतंगे भी प्रकृति प्रदत्त जीव हैं। फसल बीमा के दायरे में कीट प्रकोप और टिड्डी दलों के फसलों पर हमले को भी शामिल किया जाना चाहिए, तभी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की सार्थकता सिद्ध होगी और किसानों को राहत मिल सकेगी। इन दिनों बकावंड विकासखंड के कई गांवों की धान फसल आप ही आप सूखती जा रही है। पौधे झुलसे हुए नजर आ रहे हैं। फसलों की ऎसी हालत देख किसान परेशान हैं। किसानों का कहना है कि हर साल कीट प्रकोप से भी धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचता है। ग्राम पंचायत बकावंड, टलनार, बनियागांव, बेलगांव के किसान सुधरु नाग, हरिबंधु नाग, संजय सेठिया, तुलाराम सेठिया, जानकी राम भारती, नरसिंह पुजारी, बृजलाल सेठिया, राजिम सेठिया, मनसिंह सिन्हा, सुधन सिन्हा आदि किसानों ने कीट व्याधि व अन्य रोगों के चलते क्षतिग्रस्त होने वाली फसल को भी बीमा के दायरे में लाने तथा मुआवजा दिए जाने की मांग की है।