ठेका मजदूरों को न्यूनतम वेतन 26000 रुपए प्रतिमाह देना होगा- सीटू

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दल्लीराजहरा राष्ट्रीय स्तर पर ठेका मजदूरों के शोषण के खिलाफ सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन( सीटू) के द्वारा तमाम उद्योगों में आज प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा गया । जिसमें ठेका श्रमिकों की बुनियादी मांगो को उठाते हुए इन्हें तत्काल हल करने की मांग की गई है।

इसी तारतम्य में आज 30 सितंबर को लौह अयस्क खान समूह राजहरा में भी हिंदुस्तान स्टील एंप्लाइज यूनियन सीटू के नेतृत्व में खदान श्रमिकों ने, माइंस कार्यालय के समक्ष विशाल धरना प्रदर्शन करते हुए सरकार और प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की तथा अपनी मांगों पर आवाज बुलंद की।

इस अवसर पर उपस्थित ठेका श्रमिकों को संबोधित करते हुए यूनियन के अध्यक्ष पुरुषोत्तम सिमैया ने कहा कि आज देश के तमाम सरकारी एवं निजी उद्योगों में बड़े पैमाने पर ठेका मजदूरों द्वारा उत्पादन की जिम्मेदारी संभाली जा रही है,लेकिन इतने बड़े योगदान के बावजूद ठेका श्रमिकों को कानून के मुताबिक पूरा हक और अधिकार नहीं मिल पा रहा है। हालत यह हैं कि न्यूनतम तय मजदूरी जो कि अपर्याप्त है, वो भी उन्हें नहीं मिल पा रही है सुरक्षा के उचित व पुख्ता कोई साधन संयंत्र और खदानों में नहीं किए गए हैं जिसके कारण ठेका मजदूरों की दुर्घटनाएं भी बढ़ रही है। इसलिए सुरक्षा उपायों के साथ इनका दुर्घटना बीमा एक अनिवार्य आवश्यकता है। समय पर वेतन भुगतान, पूरा वेतन भुगतान सुनिश्चित करना प्रबंधन का काम है लेकिन प्रबंधन इस जिम्मेदारी से भागते हुए सब कुछ ठेकेदारों पर छोड़ रहा है। जिसके कारण पूरे देश में ठेका मजदूरों का शोषण तेजी के साथ बढ़ रहा है इन्हीं सब शोषणकारी नीतियों के खिलाफ आज सीटू मैदान में है । यूनियन के उपाध्यक्ष विनोद मिश्रा ने कहा की ठेका मजदूर ठेका मजदूरों में अब बड़े पैमाने पर महिलाएं भी ठेका श्रमिक के रुप में कार्यरत है जिन्हें मानव अधिकार द्वारा तय सुविधा भी नहीं दी जा रही हैं, इसलिए इस्पात उद्योग में कार्यरत महिला ठेका श्रमिकों को भी मातृत्व अवकाश की नितांत आवश्यकता है, जिसे हर हाल में लागू किया जाना चाहिए । साथ ही समस्त ठेका श्रमिकों को नियमित कर्मियों की तरह समान काम का समान वेतन अवधारणा का पालन करते हुए नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन दिया जाना चाहिए । यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि 1991 में लागू की गई वैश्वीकरण, उदारीकरण, व निजीकरण की नीति के चलते मुनाफा कमाने की होड में देश के नौजवानों को सस्ता मजदूर बनाने की प्रक्रिया में ही ठेकाकरण व संविदाकरण का जन्म हुआ है। यह पूंजीवादी सरकारों और पूंजी पतियों के नापाक गठजोड़ का नतीजा है कि देश के पढ़े-लिखे नौजवानों को ठेका और संविदा की नौकरी के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है,और यह नौकरी मिलने के बाद भी उन्हें परिवार सहित जीवन जीने योग्य वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। इस तरह सरकार की नीतियों की वजह से ही ठेका और संविदा कर्मियों का बड़े पैमाने पर शोषण हो रहा है। इसलिए ट्रेड यूनियनों की जिम्मेदारी है कि मानवीय जीवन के विकास को जीवन स्तर की गुणवत्ता के साथ जोड़ते हुए जायज मजदूरी जीने योग्य सुविधा बच्चों की परवरिश के लिए बुनियादी सुविधाओं की मांग सरकार और प्रबंधन से करें, और इसके लिए संघर्ष करें। इसी अवधारणा के तहत सीटू पूरे देश में संघर्षरत है। आज के धरना प्रदर्शन में भी उद्योग स्तर पर ठेका श्रमिकों के बुनियादी मांगों को लेकर हम सड़क पर उतरे हैं। आगे भी इन मांगों पर चरणबद्ध आंदोलन होगा और उन तमाम आंदोलनों में दल्ली राजहरा के हिंदुस्तान स्टील एंप्लाइज यूनियन सीटू मजदूरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर संघर्ष में पूरी हिस्सेदारी करेगा । आज के प्रदर्शन के माध्यम से हम सरकार और प्रबंधन को संदेश देना चाहते हैं कि देश और उद्योग में सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखने हेतु श्रमिकों की बुनियादी सुविधाएं वेतन भत्ते सुरक्षा पर विशेष ध्यान दें। अन्यथा देश का मजदूर वर्ग भी किसानों की तरह दिल्ली घेरने के लिए मजबूर हो जाएगा । ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे शोषण पर प्रबंधन को तत्काल रोक लगनी चाहिए और उन पर विधि सम्मत कार्यवाही सुनिश्चित करना प्रबंधन का काम है। प्रबंधन से सिर्फ हम उनकी जिम्मेदारी पूरा करने का ही आग्रह कर रहे है।

आज हम 15 सूत्रीय मांगे प्रबंधन को सौंप रहे हैं, जिसमें ₹26000 न्यूनतम वेतन, समान काम के लिए समान वेतन, स्थाई प्रवृत्ति के कामों में लगे ठेका श्रमिकों को नियमित करने, 180 रू नाइट शिफ्ट एलाउंस, महिलाओं को मातृत्व अवकाश, कम दर पर ठेका लेने पर प्रतिबंध लगाने, एवं महीने की 10 तारीख को वेतन भुगतान सुनिश्चित करने जैसी महत्वपूर्ण मांगे शामिल है। यदि समय रहते सरकार और प्रबंधन ने ठेका मजदूरों की हालत में सुधार करने की दिशा में सकारात्मक कदम नहीं उठाया तो यह आंदोलन एक बड़ा रूप लेगा । और देश के मजदूर भी अपनी बुनियादी मांगों को हासिल करने के लिए निर्णायक संघर्ष के लिए बाध्य होंगे।

प्रदर्शन के दरम्यान ही डायरेक्टर इंचार्ज भिलाई इस्पात संयंत्र को संबोधित ज्ञापन मुख्य महाप्रबंधक आई ओ सी राजहरा को सौंपा गया, तथा प्रबंधन से आग्रह किया गया कि उद्योग स्तर की जो मांगे हैं उन्हें गंभीरता से लेते हुए प्रबंधन तत्काल इन पर सकारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करे ।