- बस्तर के सारे कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में अपूर्व उत्साह का संचार
- मुट्ठी भर विघ्नसंतोषी नेता रहे न्याय यात्रा से दूर
–अर्जुन झा–
जगदलपुर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के नेतृत्व में कांग्रेस द्वारा निकाली गई छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा खंड खंड में बंटी कांग्रेस के लिए प्राणवायु का काम कर गई। दीपक बैज भले ही कह रहे हैं कि उनकी लड़ाई अभी मुकाम तक नहीं पहुंची है, मगर, यह यात्रा कांग्रेस को बड़े मुकाम तक पहुंचाने में जरूर कामयाब हो गई है। इस यात्रा ने नीचे से लेकर ऊपर तक गुटबाजी का दंश झेलती आई कांग्रेस को काफी हद तक एकजुट कर दिया है। पूरे राज्य के नजरिए से देखें तो कांग्रेस के हर गुट के नेता कार्यकर्ताओं ने न्याय यात्रा में भागीदारी दी है।. बस्तर संभाग के मामले में तो यह यात्रा संजीवनी साबित हुई है। ये अलग बात है कि बस्तर के कुछ मतलब परस्त नेता छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा से दूरी बनाए रहे। ये वो नेता हैं जो अपने स्वार्थ के लिए अपनी मातृ संस्था कांग्रेस की दुर्गति करने में अग्रणी भूमिका निभाते आए हैं। उनके जाने न जाने से वैसे भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज द्वारा निकाली गई छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा कई मायनों में विजय यात्रा साबित हुई है। पहली विजय यह कि यात्रा के बाद भाजपा सरकार बेहद सतर्क और चौकन्नी हो चली है। बलौदा बाजार और लोहारीडीह जैसे कांड दोबारा न हों, इसके लिए लगातार कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज जैसे ही लोहारीडीह गांव में पीड़ित साहू परिवार के बच्चों से मिलकर आए, कवर्धा के कलेक्टर और एसपी की छुट्टी कर दी गई। राज्य में अपराधी तत्वों की धर पकड़ के लिए अभियान तेज कर दिया गया। छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा का आगाज होते ही भाजपाई खेमे में हलचल मच गई। खबर है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा राज्य के हालात की समीक्षा करने के लिए ही छत्तीसगढ़ आए थे। दूसरी विजय स्वयं कांग्रेस के अंदर हुई। जिस तरह रावण के दस सिर थे और हर सिर अपने आपको सबसे महत्वपूर्ण मानता था, वैसे ही कांग्रेस के अंदर भी कई सिर उठ आए थे, जो सांगठनिक लिहाज से कांग्रेस के लिए “सिर दर्द” बन गए थे, सभी के अपने अपने गुट बन गए थे। मैदानी कार्यकर्ता धर्म संकट में पड़ गए थे कि आखिर किस सिर के आगे अपना सिर झुकाएं? न्याय यात्रा ने सभी सिरों को कछुए की तरह कांग्रेसी खोल के अंदर ला दिया। वास्तव में छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा की यही सबसे बड़ी उपलब्धि और विजय है। वरना गुटबाजी पूरे देश में कांग्रेस के अवसान और पतन का कारण बनती जा रही थी। कांग्रेस की लगातार हार में उसकी गुटबाजी ही प्रमुख कारक रही थी। विगत विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की जनता ने एक मौका दिया भी तो इस जीत को कांग्रेस सम्हाल नहीं पाई। कांग्रेस के अमूमन सारे बड़े नेताओं के रास्ते अलग अलग नजर आने लगे थे। राजधानी स्तर से लेकर जिला स्तर तक कांग्रेस नेताओं की अपनी अपनी टीम सक्रिय हो गई थी। का
कका का कुनबा अलग बबा का कुनबा अलग तो भैया का कुनबा अलग। सर्व विदित तथ्य है कि एकता में बड़ी ताकत होती है, मगर इतनी सी बात भी कांग्रेसी समझ नहीं पाए। बस्तर जैसे निर्विकार संभाग में भी गुटबाजी पनप गई थी यहां निपटने निपटाने के खेल में कांग्रेस को ही निपटा दिया गया। 11 की 11 विधानसभा सीटें जीतने वाली कांग्रेस महज चार सीटों तक सिमट गई और हाथ आई एक लोकसभा सीट भी हाथ से निकल गई। मगर छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा ने अब कांग्रेस के साथ न्याय कर दिया है। परस्पर धुर विरोधी माने जाने वाले नेता और उनके समर्थक भी एक छत के नीचे इकट्ठे हो गए। न्याय यात्रा में बस्तर के भी अमूमन सारे कांग्रेसियों ने उपस्थिति दर्ज कराई। वहीं बस्तर के वो मुट्ठीभर नेता न्याय यात्रा से दूर रहे, जिनका अब बस्तर में ही कोई वजूद नहीं रह गया है। सच तो यह है कि ऐसा करके इन नेताओं ने अपने साथ ही अन्याय किया है। अब कांग्रेसी बयार जिस दिशा में बह चली है, उसे देखकर लगता है कि अब ये नेता भी बयार के संग संग चलने लगेंगे, वरना उनका हश्र क्या होगा, बस्तर की जनता बखूबी जानती है।
व्यर्थ नहीं जाएगा यह पसीना
दीपक बैज छह दिन चली छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा के दौरान 125 किलोमीटर की दूरी पैदल नापकर जब रायपुर निवास लौटे तब उनका पूरा बदन पसीने से लथपथ था। पसीना इतना कि पंखे, कूलर और एसी की शीतल हवा भी उसे सोख नहीं पाई। दीपक बैज के चेहरे पर चुहचुहाती पसीने की इन बूंदों ने साबित कर दिया है कि राजनीति में सकारात्मक सोच और कड़ी मेहनत ही काम आती है। तिकड़मबाज लोग किसी भी दल में केवल दलदल ही बन जाते हैं और दलदल में तो “कमल” ही खिलता है। कमल वाले तो कांग्रेस मुक्त भारत का अरमान पाले बैठे ही हैं। कांग्रेस को दलदल मुक्त करने के लिए ऎसी ही सकारात्मक सोच रखने और कड़ी मेहनत करने वालों की दरकार है। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सचिन पायलट जो एक बुद्धिमान और सुलझे हुए राजनेता हैं, उन्होंने जो दीपक बैज के बारे में जो कुछ भी कहा है उससे साबित होता है कि दीपक बैज ही ऐसे नेता हैं, जो कांग्रेस की आपसी रार से हुई हार को पुनः जीत में बदलने की क्षमता रखते हैं।