- तहसीलदार ने एक ही प्रकरण में जारी की अलग अलग दो आर्डर शीट
–अर्जुन झा-
जगदलपुर बस्तर में भू-माफिया, राजस्व कर्मियों का संगठित गिरोह नित नए- नए कारनामों को अंजाम देता आ रहा है। लोगाें की जमीन नक्शे से गायब करने से लेकर भूत-प्रेत तक के नाम से फर्जी नामांतरण किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला यहां से लगे ग्राम तुसेल में सामने आया है।
माड़िया जनजाति के बुजुर्ग मासे की मौत के 15 साल बाद उसकी जमीन पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कब्जा करवा दिया गया। भू-माफियाओं ने तत्कालीन पटवारी की मिलीभगत और फर्जी गवाहों की दस्तखत के आधार पर कोंडागांव निवासी मुरिया जाति के भदरू के नाम पर फर्जी फौती नामांतरण करवा लिया गया। अब भदरू की मौत के बाद उसकी पत्नी रूकाय बाई के नाम नामांतरण का आदेश करवा लिया गया है। भू-स्वामी व वारिसान की जाति अलग-अलग होने तथा बिना परीक्षण के इस प्राकर का नामांतरण करना अपने आप में फर्जीवाड़े को प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त होने की तस्दीक करने लिए काफी है। ज्ञात हो कि जगदलपुर से सटे ग्राम तुसेल निवासी मासे पिता डोरा की मृत्यु
के बाद उनकी जमीन को हड़पने की साजिश रची गई। घोटाले में स्थानीय अधिकारियों, विशेषकर पटवारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। जिन्होंने राजस्व अभिलेखों में बिना दस्तावेजों के नाम दर्ज किया और आदिवासी की जमीन को गलत तरीके से दूसरों के नाम पर दर्ज किया। घोटाले की शुरुआत तब हुई जब मासे पिता डोरा, जो माड़िया जनजाति से थे, की मृत्यु हो गई। उसके बाद उनकी ज़मीन पर भूमाफियाओं ने अपनी नजरें गड़ा दी। मासे की जमीन को कोंडागांव निवासी भदरू पिता चैतू के नाम राजस्व अभिलेखों में फर्जी तरीके से दर्ज कराया गया। इसमें स्थानीय पटवारी की मिलीभगत की पुष्टि होती है। जिसने बिना किसी दस्तावेज़ या वैध दावे के यह बदलाव कर दिया। इस प्रकार 15 वर्ष तक एक डमी के माध्यम से यह भूमि माफियाओं के कब्जे में रही। इसे बेचने मोटे आसामी की तलाश की जाती रही।
तहसीलदार और बाबू की भूमिका
इस घोटाले में तहसीलदार और बाबू की भूमिका सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में है। पहले तहसीलदार रुपेश मरकाम ने 31 मई 2024 को मामले का निपटारा
नियमानुसार किया था, लेकिन दो महीने बाद, एक अन्य नायब तहसीलदार ने बिना दस्तावेजों का परीक्षण किए जमीन फौती करने का आदेश जारी कर दिया। वहीं ग्राम पंचायत की लिखित आपत्ति के बावजूद अवैध रूप से नामांतरण आदेश जारी करना जमीन दलालों से मिलीभगत को दर्शाता है।
अबपत्नी को बनाया मोहरा
भदरू की मृत्यु के बाद, उसकी पत्नी रुकाय ने तहसील न्यायालय फ्रेजरपुर में फौती का आवेदन पेश किया। इसमें उसने जमीन को अपने पति की निजी संपत्ति बताया, जबकि असल में यह ज़मीन शासन द्वारा 1961 में आदिवासी मासे पिता डोरा जाति माड़िया को आबंटित की गई थी। रुकाय ने अपने आवेदन में यह दावा किया कि वह मुरिया जनजाति से है। जबकि असल खातेदार कि जाति अभिलेखों में माड़िया दर्ज थी। यह दावा भी प्रशासनिक फर्जीवाड़े का हिस्सा था, जिसे भूमाफियाओं ने तहसील स्तर पर आगे बढ़ाया।
वर्सन
दर्ज कराएं अपील
एसडीएम के समक्ष पंचायत की ओर से पेश की गई आपत्ति के बारे में मुझे पता नहीं है। अगर नियम विरूद्ध फौती नामांतरण किया गया है तो पंचायत या असली वारिसान की ओर
से एसडीएम न्यायालय में नियमानुसार अपील दायर करनी चाहिए।
रूपेश कुमार सोरी, तहसीलदार जगदलपुर