- क्या कभी किसी पटवारी को जिला कलेक्टर पद तक पहुंचते देखा है?
- छत्तीसगढ़ कृषि विपणन मंडी बोर्ड में वह सब हो रहा है, जो और कहीं नहीं हुआ
रायपुर क्या आपने कभी किसी पटवारी को प्रमोशन पाते पाते कलेक्टर पद तक पहुंचते देखा है? आप भी कहेंगे ये कैसा बेहूदा सवाल है। मगर हैरान मत होइए जनाब, ये छत्तीसगढ़ है। यहां ऐसा अजूबा होना संभव है। पटवारी भले कभी कलेक्टर नहीं बन सकता। क्योंकि कलेक्टर बनने के लिए यूपीएससी एग्जाम फेस करना पड़ता है, मगर पटवारी के समकक्ष पद वाला एक छोटी सी कृषि उपज मंडी समिति का सचिव राज्य मंडी बोर्ड का मैंनेजिंग डायरेक्टर जरूर बन गया है।
किसी भी शासकीय कर्मचारी को पूरे सेवाकाल के दौरान औसतन तीन बार पदोन्नति मिल पाती है। तब कहीं जाकर वह हवलदार से टीआई, शिक्षक से सहायक खंड शिक्षा अधिकारी, पटवारी से नायब तहसीलदार, तृतीय श्रेणी क्लर्क से बड़े बाबू, ड्रेसर से कम्पाउंडर के दर्जे तक पहुंच पाता है। मगर छत्तीसगढ़ कृषि विपणन मंडी बोर्ड में तो उल्टी गंगा बहाई जा रही है। सत्ताधारी दल भाजपा के एक नेता का भाई होने का बड़ा फायदा एक साधारण से मंडी सचिव को इस कदर मिलता चला गया कि उन्हें मंडी बोर्ड के शीर्ष पद पर बिठा दिया गया है। ऐसा नहीं है कि ये महाशय अपनी काबिलियत के दम पर इस मुकाम तक पहुंचे हैं, दरअसल राजनैतिक प्रश्रय ने श्री सवन्नी को मंडी बोर्ड का एमडी बनाया है। नियम कायदों को ताक पर रखकर जिस तरह से श्री सवन्नी मंडी बोर्ड का संचालन कर रहे हैं, वह बेहद आपत्तिजनक है। 1985 में सचिव के रूप में नियुक्ति के बाद आश्चर्यजनक ढंग से आधा दर्जन से ज्यादा बार प्रमोशन लेते हुए आज एमडी बन बैठे हैं, वो भी संविदा नियुक्ति पर। यह तो गजब ही बात है। राज्य शासन में अनुसूचित जाति और जनजाति के दर्जनों ऐसे अधिकारी हैं, जो मंडी बोर्ड के एमडी का दायित्व बखूबी सम्हाल सकते हैं, मगर उन अधिकारियों का हक मारते भाजपा नेता के भाई को एमडी पद का तोहफा दे दिया गया है। भाजपा नेता के अग्रज को संविदा नियुक्ति दिलाकर तीन तीन संभागों का जिम्मा सौंप दिया गया है और लूट की उन्हें खुली छूट दे दी गई है। सरकारी खजाने को लूटने के लिए ये जनाब नए नए रास्ते बना रहे हैं ऐसा उनकी कारगुजारियों से साफ झलकता है। ये साहब लूट के खेल में माहिर अपने विश्वस्त लोगों की फौज बनाकर हर स्तर पर सिर्फ और सिर्फ लूट मचा रहे है तथा सत्ता और विपक्ष दोनों को मैनेज कर बेहद निश्चिंत हैं। सत्ताधारी दल में भाई ताकतवर नेता हैं। लिहाजा उन्हें यकीन है कि उनका कोई कुछ नही बिगाड़ सकता। हालांकि एक बड़े बुद्धिजीवी ने मुख्यमंत्री से कुछ दिन पहले ही मंडी बोर्ड के समस्त क्रियाकलापों की जांच कराने की मांग की थी। ताकि सरकारी मंडी का खजाना इन लुटेरों से बचाया जा सके। इस बुद्धिजीवी का कहना है कि सरकारी खजाना बचाने की कवायद कर रहे वित्त मंत्री ओपी चौधरी की टेबल पर सवन्नी की संविदा नियुक्ति को एक्सटेंशन देने के लिए छत्तीसगढ़ के कुछ लुटेरों ने फाइलें पहुंचाई है। इस बुद्धिजीवी ने मंत्री चौधरी आगाह किया है कि यह उनकी पूरी कुंडली है। छत्तीसगढ़ के लुटेरों को अवसर देने के जाय उनकी संपत्ति की जांच कराएं। यकीन मानिए देश के विभिन्न शहरों सहित विदेशों में निवेश का खुलासा होगा। उनका कहना है कि हम भी चाहते है विष्णु का सुशासन सिर्फ कागजों में नहीं धरातल पर भी दिखे। मुख्यमंत्री के प्रचुर इच्छाशक्ति है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ आप छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा कर रहे हैं। निश्चित रूप से अपने छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए आप और आपका लगभग आधा मंत्रिमंडल पूरी ईमानदारी के साथ काम कर रहा हैं। परंतु असली सुशासन तभी आएगा जब दुष्टों का आप अंत करना शुरू करेंगे। इसकी शुरुआत मंडी बोर्ड से करिए जहां किसानों का पैसा है।बुद्धिजीवी ने कहा है- मुख्यमंत्री साय जी आपके सुशासन के रास्ते पर हम भी साथ हैं। हम थोड़ा आगे इसलिए चल रहे हैं ताकि आपके रास्ते से कांटे हटा सकें, आपकी राह आसान बना सकें। अभी तो सिर्फ एक कांटे से आपको अवगत कराया है।