बस्तरिहा मातृशक्ति को आगे बढ़ाने मुख्यमंत्री की पहल हो रही है सार्थक

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  • बस्तर ओलंपिक में महिलाएं और युवतियां दिखा रही हैं प्रतिभा
  • अंदरूनी ईलाके की नारी शक्ति को मिला प्रतिभा दिखाने का सुअवसर 

जगदलपुर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर की मातृशक्ति की प्रतिभा को देश दुनिया के सामने लाने के लिए बस्तर ओलंपिक का आयोजन कर शानदार पहल की है। इस पहल के सुफल भी सामने आने लगे हैं।

प्रदेश के मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर बस्तर के युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने, उनकी खेल प्रतिभा को प्रोत्साहित करने तथा यहां की युवतियों और महिलाओं को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से बस्तर ओलंपिक का आयोजन किया जा रहा है। इस अनूठी पहल का उद्देश्य पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देना, खेल प्रतिभाओं को पहचानना और उन्हें मुख्यधारा से जोड़कर उनके विकास का मार्ग प्रशस्त करना है। गांव-गांव से सीधे विकाखंड स्तर पर खेलने आए लोगों में उल्लास और जोश देखते ही बन रहा है। बच्चे, बड़े, महिलाएं और बुजुर्ग सभी बड़े उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं। बस्तर ओलंपिक में कबड्डी, ऊंची कूद, लंबी कूद, रस्साकशी, खो-खो, फुटबाल, व्हालीबाॅल और तीरंदाजी जैसे खेल विधाएं शामिल किए गए हैं। इन खेलों का आयोजन न केवल बच्चों और युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है बल्कि महिलाओं और बुजुर्गों में भी जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों में बस्तर ओलम्पिक 2024 के आयोजन से बड़ी संख्या में युवाओं के साथ ही आम नागरिक उत्साहपूर्वक हिस्सा ले रहे हैं। विभिन्न खेलों के लिए एक लाख 70 हजार से अधिक खिलाड़ियों ने पंजीयन कराया है।

कमली ने किया कमाल

बस्तर ओलंपिक में स्थानीय खेलों को विशेष महत्व दिया गया है। इनमें कबड्डी, खो-खो, तीरंदाजी, और विभिन्न ग्रामीण खेल शामिल हैं। ये खेल स्थानीय लोगों की संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। इन खेलों में भाग लेकर युवा अपनी परंपराओं को आगे बढ़ा रहे हैं और अपनी जड़ों से जुड़ रह रहे हैं। बस्तर जिले के दरभा विकासखंड अंतर्गत चिंगपाल में आयोजित खंड स्तरीय बस्तर ओलम्पिक स्पर्धा में अंदरूनी दूरस्थ क्षेत्र मुंडागढ़ निवासी युवक शोभाराम नाग ने सीनियर वर्ग तीरंदाजी में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर प्रथम स्थान हासिल किया और अब जिला स्तरीय बस्तर ओलंपिक में श्रेष्ठतम प्रदर्शन करने संकल्प व्यक्त करते बताया कि खेती-किसानी से जुड़े परिवार का होने के कारण स्वयं गांव में ही अभ्यास जारी रखा है। पहली बार पुरस्कार मिलने से वह उत्साहित है और निरंतर अभ्यास कर वह अपनी क्षमता में सुधार करने के साथ बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रयास करेगा। इसी तरह सुदूर ईलाके पखनार की ग्रामीण महिला कमली ने सीनियर वर्ग 100 मीटर दौड़ में पहला स्थान अर्जित करने पर कहा कि अब अभ्यास के लिए वह और ज्यादा ध्यान देगी। वहीं पखनार के ही मनीराम ने सीनियर वर्ग लम्बी कूद में प्रथम स्थान हासिल करने पर खुशी जताते कहा कि अब जिला स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए पूरी मेहनत करेंगे। इन खिलाड़ियों के साथ ही उक्त क्षेत्र के अन्य युवाओं ने भी विभिन्न खेल विधा में उल्लेखनीय प्रदर्शन कर अपनी श्रेष्ठता साबित की। ज्ञात हो कि बस्तर जिले के दरभा विकासखंड अंतर्गत उक्त दूरस्थ ईलाके पहले धुर माओवाद प्रभावित क्षेत्र थे लेकिन अब सुरक्षा बलों के कैंप खुलने से सड़क, बिजली, पेयजल, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास से इन क्षेत्रों में बदलाव की बयार बह रही है और लोग समाज की मुख्यधारा से जुड़कर प्रदेश की विकास में सहभागिता निभा रहे हैं।

खुले संभावनाओं के नए द्वार

बस्तर ओलंपिक के आयोजन से न केवल खिलाड़ियों का हौसला बढ़ा है, बल्कि उन्हें करियर के नए अवसर के लिए प्रोत्साहन भी मिला है। खेलों के इस आयोजन में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को विभिन्न स्तरों पर आगे बढ़ने का अवसर दिया जाएगा, जिससे वे राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी अपने खेल कौशल का प्रदर्शन कर सकेंगे। बस्तर ओलंपिक एक नई सुबह की तरह है, जो बस्तर के युवाओं को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान कर रहा है। इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया है कि खेल न केवल शारीरिक या मानसिक लाभ देता है, बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए भी सार्थक पहल साबित हो रहा हैं।