कौन कर रहा है हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायियों की आस्था पर आघात?

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  • प्राचीन शिवलिंग और बुद्ध प्रतिमा में की तोड़फोड़
  • पुरातत्व विभाग धरोहरों की सुरक्षा में नाकाम

अर्जुन झा-

जगदलपुर बस्तर संभाग में हिंदू और बौद्ध धर्म की आस्था पर लगातार आघात पहुंचाया जा रहा है। इन धर्मों की आस्था के प्रतीक प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इन प्रतिमाओं और पुरातात्विक धरोहरों के संरक्षण पर पुरातत्व विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। खुले में पड़ी प्राचीन प्रतिमाएं मौसम की मार से भी क्षतिग्रस्त हो रही हैं।

बस्तर संभाग के कोंडागांव जिले के फरसगांव ब्लाक के बड़ेडोंगर से करीब दस किलोमीटर दूर स्थित भोंगापाल गांव के जंगलों के बीच स्थापित भगवान गौतम बुद्ध की अति प्राचीन प्रतिमा और शिवलिंग को रविवार की रात अज्ञात शररती तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। इन तत्वों ने प्रतिमा और शिवलिंग को खुरच डाला है।भोंगापाल व आसपास के गांवों के ग्रामीणों की इस प्रतिमा और शिवलिंग के प्रति अपार आस्था है। लोग वहां नियमित पूजा अर्चना करते हैं। प्रतिमा और शिवलिंग की देखरेख के लिए भोंगापाल के ग्रामीणों ने बुद्धदेव संरक्षण समिति का भी गठन किया है। इस समिति से जुड़े फूलसिंह कोर्राम, रामसाय नाग, भानुराम नाग, दिनेश शोरी, मानसिंह, फूलसिंह व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि यह देव स्थल जंगल में स्थित है और दिनभर वहां लोग मौजूद रहते हैं, मगर बीहड़ जंगल होने के कारण रात में वहां रुकना संभव नहीं होता। इसी का फायदा उठाते हुए असामाजिक तत्वों ने प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचाया है। ग्रामीणों ने कलेक्टर को आवेदन देकर इस देव स्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग की है। बस्तर संभाग के स्वर्णिम युग के अतिप्राचीन स्थल माना जाता है भोंगापाल का यह देव स्थल। बताते हैं कि बुद्ध प्रतिमा और शिवलिंग

5वीं व 6वी शताब्दी के हैं। यह इलाका धुर नक्सल प्रभावित है। बुद्ध प्रतिमा और शिवलिंग को तोड़ने तथा उनकी तस्करी करने की कोशिश पहले भी कई बार की जा चुकी है। इन अति प्राचीन धरोहरों को पुरातत्व विभाग अपने कब्जे में लेकर इसका संरक्षण क्यों नहीं कर रहा है, यह समझ से परे है। कुछ दिनों पहले ही बीजापुर जिले के एक जंगल में भी देव प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया गया था। इसमें एक धर्म विशेष को मानने वालों का हाथ होने का अंदेशा ग्रामीणों ने जताया था। इसके अलावा कुछ साल पहले पहाड़ की चोटी पर स्थापित विश्व की सबसे ऊंची और विशालकाय गणेश जी की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर गिरा दिया गया था। इस कृत्य में नक्सलियों का हाथ होने की बात सामने आई थी। उल्लेखनीय है कि बस्तर संभाग में पुरातात्विक महत्व की असंख्य अति प्राचीन प्रतिमाएं जहां तहां बिखरी पड़ी हैं। वनवास काल में प्रभु श्रीरामचंद्र, माता सीता और लक्ष्मण जी बस्तर संभाग में लंबा समय व्यतीत किया था। उनकी स्मृतियों से जुड़े अनेक पुरा अवशेष भी यहां हैं। संभाग के सुकमा जिले के रामाराम गांव और शबरी नदी के तटों से भगवान राम की स्मृतियां जुड़ी हुई हैं। रामाराम में तो भगवान रामजी का अति प्राचीन मंदिर भी है, जहां अन्य देवी देवताओं की भी प्रतिमाएं स्थापित हैं। इस मंदिर में लगभग 40 साल पहलेनक्सलियों ने पूजा अर्चना बंद करवा दी थी और फरमान जारी कर दिया था कि इस मंदिर में कोई भी ग्रामीण नहीं जाएगा। तबसे यह मंदिर बंद पड़ा था और जीर्ण शीर्ण होता चला जा रहा था। बीहड़ों में पुलिस और सुरक्षा बलों की पैठ बढ़ने तथा सुरक्षा बलों का कैंप स्थापित होने के बाद मंदिर की सुध ली गई। कुछ माह पहले ही सीआरपीएफ के अधिकारियों और जवानों ने मंदिर का दरवाजा खोला, वहां साफ सफाई और मरम्मत का काम किया। उसके बाद ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से त्यौहार मनाकर मंदिर में पूजा अर्चना की। अब इस मंदिर में पूजा करने ग्रामीण रोज पहुंच रहे हैं।