बालकांड का हुआ पाठ

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बकावंड कीर्तन मानस मंडली बकावंड द्वारा ब्लॉक कॉलोनी आवास पारा में श्रीराम चरितमानस के बालकांड का पाठ का किया गया। व्याख्याकार ने कहा कि अयोध्या नगरी में दशरथ नाम के राजा हुए, जिनकी कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा नामक पत्नियां थीं। संतान प्राप्ति हेतु अयोध्यापति दशरथ ने अपने गुरु श्री वशिष्ठ की आज्ञा से पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया जिसे ऋंगी ऋषि ने संपन्न किया। भक्तिपूर्ण आहुतियां पाकर अग्निदेव प्रसन्न हुए और उन्होंने प्रकट होकर राजा दशरथ को हविष्यपात्र (खीर, पायस) दिया जिसे कि उन्होंने अपनी तीनों पत्नियों में बांट दिया। खीर के सेवन के परिणाम स्वरूप माता कौशल्या के गर्भ से भगवान श्रीराम का, माता कैकेयी के गर्भ से भरत का तथा माता सुमित्रा के गर्भ से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।

राजकुमारों के बड़े होने पर आश्रम की राक्षसों से रक्षा हेतु ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को मांगकर अपने साथ ले गए। श्रीराम ने ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों को मार डाला और मारिच को बिना फर वाले बाण से मारकर समुद्र के पार भेज दिया। उधर लक्ष्मण ने राक्षसों की सारी सेना का संहार कर डाला। धनुषयज्ञ हेतु राजा जनक से निमंत्रण मिलने पर विश्वामित्र राम और लक्ष्मण के साथ उनकी नगरी मिथिला जनकपुर गए। रास्ते में राम ने गौतम मुनि की स्त्री अहिल्या का उद्धार किया। मिथिला में राजा जनक की पुत्री सीता जिन्हें कि जानकी के नाम से भी जाना जाता है का स्वयंवर का आयोजन था जहां जनक प्रतिज्ञा के अनुसार शिव धनुष को तोड़ कर स्वयंवर जीता। श्रीराम और देवी सीता के विवाह के साथ ही साथ गुरु वशिष्ठ और गुरु विश्वामित्र के परामर्श से भरत का मांडवी से, लक्ष्मण का उर्मिला से और शत्रुघ्न का श्रुतकीर्ति से विवाह संपन्न किया गया।

कीर्तन मानस मंडली आवास पारा के सदस्य व समस्त भक्तगण उपस्थित थे और सभी ने मिलकर रामचरित मानस बाल कांड का पाठ रामायण का समापन किया।