- जज्बा बताता है कि यह बच्चा भी दिखाएगा बस्तर ओलंपिक में एक दिन दम
–अर्जुन झा-
जगदलपुर बस्तर ओलंपिक-2024 को संपन्न हुए माह बीतने को है, मगर इसका जादू अभी भी लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है। क्या महिला, क्या बच्चा, क्या जवान, क्या बूढ़ा सभी इसके दीवाने हो गए थे और यह दीवानगी अब भी बरकरार है। इसकी तस्दीक यह चित्र कर रहा है, जिसमें करीब पांच साल की उम्र का बच्चा नेशनल हाईवे पर रोलर स्केटिंग करता नजर आ रहा है। शायद यह बालक बस्तर ओलंपिक-2025 में स्केटिंग का जौहर दिखाने बेताब है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा, खेल मंत्री टंकराम वर्मा ने बस्तर ओलंपिक-2024 के रूप में जो शानदार प्रयोग किया, वह कई मायनों में इतिहास रच गया। इसमें संभाग के सातों जिलों के हर तरह के खिलाड़ियों ने भाग लिया। अंदरूनी गांवों की मातृशक्ति भी पीछे नहीं रही। बस्तर ओलंपिक 2024 की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि इसमें आत्मसमर्पित नक्सलियों, नक्सल पीड़ित युवाओं और ग्रामीणों के साथ ही नक्सली हमलों व नक्सलियों द्वारा प्लांटेड आईईडी की चपेट ने आकर अपाहिज हो चुके सैकड़ों लोगों ने भाग लिया था। आदिवासी बहुल बस्तर संभाग के युवाओं को समाज एवं विकास की मुख्यधारा से जोड़ने, रचनात्मक गतिविधियों में लगाने और खेलों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया यह आयोजन उद्देश्य पूर्ति में पूरी तरह सफल रहा। बस्तर ओलंपिक की चर्चा देश दुनिया में हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम में बस्तर ओलंपिक की चर्चा करते हुए इसकी तारीफ की थी। माह भर बाद भी बस्तर ओलंपिक का जादू बस्तर वासियों के सिर से उतरा नहीं है। लोगों को अगले बस्तर ओलंपिक आयोजन का बेताबी से इंतजार भी है। यहां आलम यह है कि बच्चा बच्चा बस्तर ओलंपिक, बस्तर ओलंपिक बोल रहा है। अब इसी बच्चे को देख लीजिए, उसका जज्बा बताता है कि एक दिन वह बस्तर ओलंपिक में रोलर स्केटिंग चैंपियन जरूर बनेगा। जगदलपुर से नगरनार रोड पर एक ग्राम स्थित है सेमरा। यह गांव राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बसा है। यह जीवट बालक इसी सेमरा गांव का निवासी है। सेमरा का यह शूरवीर बालक अपनी मां के सुरक्षा घेरे में रहकर नेशनल हाईवे के किनारे किनारे रोजाना रोलर स्केटिंग का अभ्यास करता है। मां तालाब जाए, या खेत खलिहान जाए, बालक उसके आगे आगे स्केटिंग करते चलते रहता है। यह उसकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। रोलर स्केटिंग का यह शौक अमूमन बड़े शहरों में बड़े घर के बच्चों, किशोरों और युवाओं में देखा जाता है। शहरों के रोलर स्केटर समतल मैदानों पर अभ्यास करते हैं, मगर बस्तर के इस लाल के लिए प्रेक्टिस के वास्ते राष्ट्रीय राजमार्ग के अलावा और कोई बेहतर विकल्प मौजूद नहीं है। बमुश्किल 4-5 साल की उम्र वाले इस बालक के नन्हें कदम आसमान चूमने बेताब हैं, उसकी जीवटता बस्तर का नाम इस खेल में चमकाने के उसके मजबूत इरादे को प्रदर्शित कर रही है। इस बालक की माता सेमरा में ही एक छोटी सी दुकान चलाती है। उसने नाम नही छापने का आग्रह किया। भविष्य में बालक को सफलता मिले, हमारी शुभकामनाएं।