- बार-बाल बचे राहगीर, भागकर बचाई जान
- रेंजर ने कहा- मैंने मुनादी कराने सीएमओ को निर्देश दिया है
अर्जुन झा-
दल्लीराजहरा लौह अयस्क नगरी और वन परिक्षेत्र दल्ली राजहरा के आसपास के सिमटते जंगल और बढ़ते आबादी इलाके से जंगली जानवरों का रिहायशी इलाकों में आना आम होता जा रहा है। दल्लीराजहरा के वार्ड 13 से होते हुए वार्ड 15, 12 और 10 में सुबह पौ फटने से पहले दो दंतैल हाथी देखने को मिले। रास्ते से जा रहे तीन राहगीर भागकर अपनी जान बचाने में कामयाब रहे। यहां लोगों की जान पर बन आई है और उधर वन विभाग के रेंजर अपने घर में दुबके बैठे हैं। वे दल्ली राजहरा से करीब 18 किलोमीटर दूर डौंडी लोहारा में निवास करते हैं।
घटना 2 मई की सुबह 4 बजकर 44 मिनट की है, जब नगर के घोड़ा मंदिर के पास दो दंतैल हाथी नजर आए। दंतैल के आने से पहले तीन राहगीर रास्ते से जा रहे थे थोडी दूर चले ही थे कि दंतैल को देखकर तीनों ने भाग कर अपनी जान बचाई। यह पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई है। जिसमें राहगीरों की हालत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। क्षेत्र में मंडरा रहे हाथियों के दल की वजह से वन विभाग ने दल्ली राजहरा समेत दर्जनभर गांवों में अलर्ट जारी कर रखा है। अधिकारियों ने हाथियों की मौजूदगी के कारण लोगों को सावधान रहने की सलाह दी है। उन्हें घर से बाहर न निकलने और किसी भी स्थिति में हाथी के नजदीक न जाने की चेतावनी दी गई है।
वन विभाग की लापरवाही, जानमाल का खतरा बना
दिन भर जंगलों में आराम फरमाने के बाद शाम ढलते और रात गहराते ही हाथियों का झुंड दल्ली राजहरा की ओर आ आ धमकता है। हाथियों की उपस्थिति की दहशत आम नगरवासियों के चेहरे पर साफ झलक रही है। वन विभाग लगभग मौन है। न रेंजर, न डीएफओ न और कोई अधिकारी इसकी सुध ले रहे हैं। मानो वे भी किसी अनहोनी का इंतजार कर रहे हों। ज्ञात हो कि विगत 3 वर्षों से इसी तरह हाथियों का झुंड दल्ली राजहरा नगर में आ रहा है। हाथी चिखलाकसा, झरन दल्ली, खल्लारी, चिखली होते हुए जंगलों में चले जाते है। वन विभाग के अधिकारियों को इस बात की जानकारी है कि हाथियों का दल हमेशा दल्ली राजहरा वन परिक्षेत्र में आता है। उसके बावजूद क्षेत्र के रेंजर, डिप्टी रेंजर अपनी लापरवाही में सुधार नहीं ला रहे हैं और न हीं किसी प्रकार की व्यवस्था कर जंगली जानवरों को जंगल मे रहने मजबूर कर रहे हैं।
रेंजर अपने घर में मस्त
वन विभाग दल्ली राजहरा के रेंजर मुख्यालय में न रहकर डौंडी लोहारा में रहते हैं और वहीं से विभागीय कामकाज निपटाते हैं। हाथी दल्ली राजहरा में कोहराम मचाए हुए हैं और रेंजर साहब सिर्फ मुनादी कराने तक सीमित हैं। हाथियों से लोगों की जान बचाने के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में पूछने पर रेंजर कहते हैं कि मैंने नगर पालिका सीएमओ को शहर में मुनादी कराने के लिए आदेशित कर दिया है। यह कहे जाने पर कि नगर में ऎसी कोई मुनादी ही नहीं हुई है, रेंजर अटपटा जवाब देकर पल्ला झाड़ते नजर आए। उन्होंने कहा- आप सीएमओ से पूछिए। यहां यह बताना भी जरूरी है कि दल्ली राजहरा में नियुक्त वन विभाग के चौकीदार, फायर वाचर और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों से एसडीओ, रेंजर और डिप्टी रेंजर के घरों में निजी सेवाएं ली जा रही हैं, जबकि उनका वेतन भुगतान सरकारी खजाने से होता है। हाथियों को भगाने और लोगों को आगाह करने के लिए इन कर्मचारियों की मदद ली जा सकती थी, मगर साहबों ने उन्हें अपना जर खरीद गुलाम बना रखा है। रेंजर की तो बात ही निराली है, वे दल्ली राजहरा में कभी कभार ही पहुंचते हैं।जंगल के कीमती पेड़ों की अवैध कटाई उनके संरक्षण में हो रहा है। जंगलों में कई जगह अवैध पत्थर खदानें भी रेंजर के संरक्षण में चल रही हैं। रेंजर के खिलाफ वन मंत्री केदार कश्यप से शिकायत की तैयारी कर ली गई है।