शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया के आरक्षण रोस्टर में भी घालमेल

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  •  आरक्षण रोस्टर गलत होने की बहुत पहले ही हो चुकी थी शिकायत

जगदलपुर शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय जगदलपुर में भर्ती घोटाला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण रोस्टर को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया। इसकी शिकायत बहुत पहले ही राजयपाल स्तर तक की जा चुकी थी, मगर विश्वविद्यालय प्रशासन की मनमानी कायम रही।

इस अवैधानिक भर्ती में रूरल टेकनोलोजी में दुर्गेश डिकसेना का अवैधानिक चयन और मैनेजमेंट विषय में अवैधानिक भर्ती, केंद्रीय विश्वविद्यालय से पीएचडी प्राप्त उच्च शिक्षित आदिवासी महिला अभ्यर्थी को नाट फाउंड सुटेबल करने, जेआरएफ उतीर्ण विकलांग महिला आवेदक को नाट फाउंड सुटेबल करने, ओबीसी सीट में जनरल आवेदक को चयन करने तथा अन्य मुद्दों पर अनियमितता उजागर हुई है। इसी बिच बड़ी जानकारी सामने आई है कि विज्ञापन क्रमांक दिनांक 5 अक्टूबर 2023 अंर्तगत 751/221 में 59 शैक्षणिक पदों के भर्ती विज्ञापन में विभिन्न विषयों के असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसरों के कुल स्वीकृत पदों के अनुसार आरक्षण रोस्टर लगाया गया था परंतु इसमें शिक्षा विभाग में चार व्याख्याता पदों की स्वीकृति प्राप्त थी न कि असिस्टेंट प्रोफेसर की। व्याख्याता और असिस्टेंट प्रोफेसर में केवल पदनाम का अंतर नहीं था बल्कि दोनों पदो में वेतनमान का भी अंतर होता है, नियमानुसार शिक्षा विभाग के व्याख्याता पदनाम के स्वीकृत पदों को सहायक प्राध्यापक पदों में शामिल कर आरक्षण रोस्टर नहीं लगाया जा सकता। इसके कारण विज्ञापन में लगाए गए पूरा आरक्षण रोस्टर ही गलत हो जाता है और पूरी भर्ती अवैधानिक हो जाती है।कुलपति और कुलसचिव को जानकारी थी इसके बाऊजूद मनमानी कर भर्ती करते रहे हैं। आरक्षण रोस्टर गलत होने की पूरी जानकारी कुलपति को थी, इस सबंध में पूर्व भाजपा विधायक राजाराम तोड़ेम, एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रजनेश सिंह सहित विभिन्न लोगों ने बहुत पहले ही अप्रैल माह में राज्यपाल, उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन को शिकायत करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को भी सूचित कर दिया था, मगर कुलपति तमाम शिकायतों को दरकिनार करते हुए मनमाने पूर्वक अवैधानिक भर्ती को जारी रखते हुए साक्षात्कार कर रहे हैं।

अब कुलपति लगा रहे हैं चक्कर

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब चूंकि अधिकांश विषयों में कुलपति मनमानी पूर्वक गलत आरक्षण रोस्टर पर भर्ती कर चुके हैं जिसके बचाव हेतु शिक्षा विभाग के पूर्व स्वीकृत व्याख्याता पदनाम के पदों को असिस्टेंट प्रोफेसर पदनाम और वेतनमान पर स्वीकृत कराने एडी चोटी का जोर लगा रहे हैं ताकि इस स्वीकृति की प्रत्याशा में भर्ती के आरक्षण रोस्टर को सही दिखाया जा सके। सनद रहे कि कभी भी किसी भर्ती विज्ञापन में भविष्य में स्वीकृत या संशोधन की प्रत्याशा में न तो भर्ती विज्ञापन निकाला जाता है और ना ही साक्षात्कार कर अवैधानिक भर्ती की जा सकती है। चूंकि बहुत सारे महिला, विकलांग, आदिवासी उम्मीदवारों और गोल्ड मेडलिस्ट उम्मीदवारों ने ख़ुद आगे आकर विभिन्न फोरम, अनूसूचित जनजाति आयोग, महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग, कुलाधिपति और समाजिक अधिकारिता मंत्रालय में शिकायत की है और लगातार इस भर्ती के भरष्टाचार पर खबर छप रहे हैं तो तत्काल प्रशासन और शासन को स्वत: संज्ञान लेकर इसकी उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन कर जांच करवानी चाहिए। जो संदेही चयनित हुए हैं, उन सभी के बैंक खातों सहित कुलपति और इस भर्ती में शामिल सभी चयन समिति के सदस्यों के मोबाइल नंबर के काल डिटेल निकाले जाने चाहिए।

संज्ञेय अपराध है यह: शुक्ला

वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं शिक्षाविद पं. उमाशंकर शुक्ला ने कहा है कि इन शैक्षणिक पदों की भर्ती यदि गलत आरक्षण रोस्टर पर हो रही है और इसकी पूरी जानकारी कुलपति को है, तो यह संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है, और इस प्रकार से यह पूरी भर्ती ही अवैधानिक हो जाता है। निश्चय ही इस पूरे मामले की जांच और दोषी लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए। आदिवासी युवाओं, महिलाओं और विकलांगों का हक छीनना न्याय संगत नहीं है। शुक्ला ने कहा कि एक कांग्रेसी और जागरूक नागरिक होने के नाते मैं इस कृत्य का पुरजोर विरोध करता हूं।