राजहरा खदान समूह के विभिन्न खदानों से ठेका पद्धति से ओवर बर्डन हटाने का मामला अब संभवतः समाप्त हो जावेगा

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बीएसपी के बंधक खदान समूह, राजहरा खदान समूह के विभिन्न खदानों से ठेका पद्धति से ओवर बर्डन हटाने का मामला अब संभवतः समाप्त हो जावेगा एवं आने वाले समय में उक्तकार्य निर्विघ्न रूप से चलेगा जिससे इस कार्य में लगे ठेका श्रमिकों का भविष्य सुरक्षित रहेगा। इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ
भिलाई के महामंत्री एमपीसिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के एस.ओ नंबर 4070 दिनांक 15.12.79 के अनुसार देश के किसी भी लौह अयस्क खदान में ओवर बर्डन हटाने का कार्य

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ठेका पद्धति से नहीं कराया जा सकता है। अगर किसी कारणवश ऐसा करना अपरिहार्य होता है तो इसके लिए कॉन्ट्रैक्ट लेबर सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड (सीएलसीएबी) से अनुमति लेना आवश्यक है। इस तारतम्य में वर्ष 2018 में बीएसपी प्रबंधन द्वारा एक्सेम्पशन अनुमति हेतु आवेदन दिया गया था जिसके उपरांत दिनांक 18.12.2019 को बोर्ड के अध्यक्ष भूमि राव सुरभि एवं बोर्ड सदस्य रामेन्द्र सिंह ने राजहरा प्रवास करते हुए स्थिति की वास्तविक जानकारी ली थी एवं समस्त श्रम संगठनों के विचार भी लिए थे।

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बोर्ड के अध्यक्ष भूमि राव के समक्ष भारतीय मजदूर संघ ने यह मांग रखी थी कि चूंकि केंद्र सरकार के दिशा निर्देशानुसार उक्त कार्य विभागीय तौर पर करना है अतः संघ का स्पष्ट मानना है कि अगर उक्त कार्य ठेका पर कराया जाता है तो इस कार्य में लगे सभी ठेका श्रमिकों
को केंद्र सरकार द्वारा तय किये गए न्यूनतम वेतन से अधिक वेतन दिया जावे। साथ ही नियमित कर्मी के समकक्ष चिकित्सा सुविधा एवं अन्य सुविधा प्रदान की जावे। इसके अलावा इसमें होने वाले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने हेतु कड़े प्रावधान भी किये जावें। किन्तु किसी कारणवश बोर्ड द्वारा इस कार्य हेतु स्वीकृति प्रदान करने में देरी हुई जिसके कारण ठेकेदार कंपनी टीएमसी को लेबर लइसेंस रिन्यूअल में दिक्कत का सामना करना पड़ा और उसके द्वारा

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बिना उचित परमिशन के दिनांक 31.01.2021 के बाद कार्य करने में असमर्थता जताई गयी। बीएसपी के प्रभारी निदेशक अनिर्बान दासगुप्ता के राजहरा प्रवास के दौरान इस सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त करते हुए एटक के अध्यक्ष कवलजीत सिंह मान ने स्पष्ट कहा था कि उक्त कार्य ठेका पद्धति से बंद करते हुए विभागीय तौर पर कराया जावे। एटक के अध्यक्ष के इस बयान से यह साफ हो जाता है कि उन्हें ठेका श्रमिकों के भविष्य से कोई लेना देना नहीं है। जबकि इस सम्बन्ध में संघ का स्पष्ट मत था कि एक्सेम्पशन अनुमति में हो रहे देरी के लिए सेल प्रबंधन जिम्मेदार है और सेल प्रबंधन के उदासीनता के वजह से मामला अब तक लटका हुआ है। एटक के ठेका श्रमिक विरोधी नियत देखने के बाद भारतीय मजदूर संघ ने बोर्ड के अध्यक्ष भूमि राव सुरभि से चर्चा की एवं जल्द से जल्द बोर्ड की बैठक करते हुए बीएसपी द्वारा दिए गए एक्सेम्पंशन अनुमति के आवेदन पर करवाई करने हेतु निवेदन किया जिसपर अध्यक्ष महोदय ने जल्द से जल्द सकारात्मक करवाई करने की बात कहते हुए जनवरी 2021 के अंत तक मामले के सकारात्मक निपटारे की बात कही थी।

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आज दिनांक 28.01.2021 को सीएलसीएबी की बैठक संपन्न हुई जिसमे सेल के इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र के एक्सेम्पशन आवेदन को सशर्त अनुमति प्रदान करने पर सहमति बन गयी है। बोर्ड ने भा.म.सं. द्वारा कर्मियों को केंद्र सरकार द्वारा तय वेतनमान से अधिक वेतन देने की मांग मानते हुए सेल के समक्ष यह शर्त रखी है कि सेल प्रबंधन द्वारा इस कार्य में लगे ठेका श्रमिकों को हाई पावर कमिटी द्वारा तय किये गए वेतन देगा जो कि संभवतः केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतनमान से अधिक होगा। साथ ही इस कार्य में कार्यरत ठेका श्रमिकों को समुचित मेडिकल/आवास सुविधा भी मुहैया कराई जावेगी। बोर्ड की इस बैठक में सेल के तरफ से उपस्थित सदस्य ने बोर्ड की शर्त मानने की बात कही जिसके उपरांत बोर्ड सैद्धांतिक तौर पर एक्सेम्पशन अनुमति देने हेतु तैयार हो गया है। शीघ्र ही बोर्ड अपने शर्तों से सेल प्रबंधन को लिखित रूप से अवगत कराएगा जिसे सेल प्रबंधन द्वारा मान लेने के उपरान्त बोर्ड द्वारा एक्सेम्पशन अनुमति प्रदान कर दी जावेगी। इस अनुमति के लिए खदान मजदूर संघ भिलाई द्वारा भारतीय मजदूर संघ के जिला/प्रदेश/केंद्रीय पदाधिकारियों को कोटिश धन्यवाद जिन्होंने स्थानीय इकाई के श्रमिक हितार्थ की गयी मांगों को पूरजोर तरीके से बोर्ड के समक्ष रखते हुए बोर्ड से इसे मंजूरी दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंत में एमपीसिंह ने आशा व्यक्त की
कि सेल प्रबंधन द्वारा भी इस बैठक में लिए गए निर्णय पर जल्द से जल्द सहमति दे दी जावेगी
जिससे उक्त कार्य पुनः निर्विवाद रूप से शुरू हो जावेगा और इस कार्य में लगे ठेका श्रमिकों का
भविष्य अंधकारमय होने से बच जावेगा।