जगदलपुर… अपने खतरनाक कारनामों के लिए बदनाम हो चुके डिमरापाल स्थित संभाग के सबसे बड़े हॉस्पिटल स्वर्गीय बलीराम कश्यप मेडिकल कॉलेज का हाल लगातार बदहाल होता जा रहा है हमने खतरनाक शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया है क्योंकि संभाग के सबसे बड़े हॉस्पिटल के अति महत्वपूर्ण शाखा ब्लड बैंक में मरीजों के लिए ब्लड की व्यवस्था की जिम्मेदारी अधीक्षक के.एल.आजाद ने दो वार्ड बॉय हरेंद्र और सुनील कश्यप के भरोसे छोड़ दी है वार्ड बॉय भी ऐसे जो ब्लड बैंक पहुंचने वाले मरीजों के परिजनों के द्वारा ब्लड व्यवस्था के संबंध में मदद मांगने पर मरीजों के साथ लगातार बदतमीजी और धक्का-मुक्की करने में उतारू हो जाते हैं |
हॉस्पिटल में इलाज हेतु आने वाले मरीजों के परिजन जिनमें कुछ अशिक्षित और कम पढ़े लिखे लोग भी होते हैं जिनके ब्लड बैंक में जाने पर ब्लड की व्यवस्था हेतु भरे जाने वाले फॉर्म को भरने के लिए परिजनों को ही सौंप दिया जाता है | फॉर्म भरने के लिए निवेदन करने पर आनाकानी की जाती है संभाग के सबसे बड़े अस्पताल होने की वजह से संभाग के अलग-अलग जिले के लोग इलाज कराने पहुंचते हैं और रोजाना सैकड़ों मरीजों को ब्लड की आवश्यकता होती है ऐसी परिस्थिति में अधीक्षक महोदय के.एल.आजाद के द्वारा इतनी बड़ी गंभीर लापरवाही बरतना उनके कार्यशैली पर सवाल उठाता है |
अधीक्षक महोदय अपने पदस्थापना से लेकर आज पर्यंत तक सिर्फ व्यवस्था सुधारने के आश्वासन देने तक ही सीमित रह गए हैं हॉस्पिटल की व्यवस्था अब तो भगवान भरोसे रह गई है संभाग के सबसे बड़े हॉस्पिटल होने की वजह से छत्तीसगढ़ शासन और बस्तर जिला प्रशासन के द्वारा अलग-अलग योजनाओं और मदों के माध्यम से तमाम प्रकार की व्यवस्थाएं हॉस्पिटल को उपलब्ध कराई जाती है बावजूद इसके हॉस्पिटल प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारियों की लापरवाही की वजह से शासन और प्रशासन की छवि भी धूमिल हो रही है अगर समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले समय में स्थिति और भी बदतर हो जाएगी जिसका खामियाजा बस्तर के असहाय मरीजों को भुगतना पड़ेगा… क्योंकि यह संभाग के मेडिकल कालेज के नाम से विख्यात अस्पताल बस्तर की लाईफ लाईन है जिसमें आदिवासी अंचल से सबसे ज्यादा मरीज आते हैं किन्तु ईलाज के अभाव एवं अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से अनगिनत जानें गई हैं जो संभाग के रहवासियों से छुपा नहीं है जब से अधीक्षक की नियुक्ति हुई है तब से अब तक अव्यवस्था का अंबार लगा हुआ है जिसे व्यवस्थित कर सुधार किया जा सकता है देखना अब यह है के सरकार बस्तर के लिए कितनी गंभीर होती है