रिजर्व टाइगर के नाम पर करोड़ों खर्च पर परिणाम शून्य

0
268

भीमा के फंदे में फंसा बाघ,किया शिकार

प्राध्यापक सहित 2 एसआई 3 ग्रामीण गिरफ्तार

टीआई स्तर के अधिकारी की भी संलिप्तता

जगदलपुर – बाघ के खाल की तस्करी मामले में 6 अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जिसमें प्राध्यापक रामेश्वर सोनवानी, बीजापुर के दो एसआई संतोष बघेल, रमेश आगनपल्ली, दंतेवाड़ा के तीन ग्रामीण बुदरू, रामलाल एवं भीमा को गिरफ्तार किया गया है। बाघ के खाल की तस्करी मामले में एक टीआई स्तर का पुलिस कर्मी भी संलिप्त है।

बाघ के खाल की तस्करी मामले में दूसरे दिन गिरफ्तार किए गये 6 आरोपियों ने कई चौकाने वाले खुलासे किए है जिसमें पुलिस विभाग सहित वन विभाग की संलिप्तता होने का खुलासा किया गया है। फिलहाल इस मामले की जांच कर रह वन विभागक दल ने कुछ संलिप्त शासकीय कर्मचारियों को बचाने के प्रयास में जुटी है। देखना होगा कि उन जिम्मेदार शासकीय कर्मचारी के नामों का खुलासा हो पायेगा या फिर पर्दे के पीछे से ही नाम गायब कर दिया जायेगा।

भीमा के फंदे में फंसा बाघः पूछताछ में यह खुलासा हुआ है कि बीजापुर एवं दंतेवाड़ा के सरहद पर भीमा नाम के ग्रामीण जंगली शुअर का शिकार करने फंदा लगाकर रखते है। इसी फंदे में शेर फंस गया जिसे ग्रामीणों ने मौत के घाट उतार दिया। बाघ की हत्या के बाद खाल को अलग एवं बाघ के अन्य हिस्से को अलग कर दिया गया। खाल के साथ बाघ के अन्य हिस्से भी बरामद किये गये है। ज्ञातव्य हो कि डेढ़ वर्ष पूर्व कारली में भी बाघ का खाल बरामद किया गया था। इस मामले को पुराने प्रकरण से जोड़कर मामले की जांच की जाये तो अन्य कई संलिप्त आरोपी भी पकड़े जा सकते है। कारली में बाघ के खाल के साथ वन विभाग के कर्मचारी ही पकड़ाये थे। कही न कही जिस विभाग को बाघ की रखवाली करने को लेकर रखा गया है वे ही बाघ की खाल की तस्करी में कही न कही संलिप्त है।

करोड़ों खर्च पर परिणाम शून्यः रिजर्व टाईगर के नाम पर शासन के द्वारा बाघों के सरंक्षण के नाम पर लाखों खर्च किया जा रहा है लेकिन परिणाम शून्य है। विभाग के अधिकारी को यह भी पता नहीं कितने बाघ बचे है। बाघ की सही गणना नहीं होने का मुख्य कारण नक्सली हवाला देकर सही आंकड़ा एकत्र करने में विभाग नाकाम साबित हुआ है जबकि 1983 में बाधा की 36 के करीब थी वहीं वर्ष 2014 में यह संख्या 12 के करीब हो गई थी आज इंद्रावती टाईगर रिजर्व में बाघो का सख्या कितना है यह विभाग क अफसरों को भी जानकारी नहीं है |