जगदलपुर… पंचायतों में भ्रष्टाचार की बात कोई नई बात नहीं है शासन द्वारा उपलब्ध कराए गए शासकीय राशि के दुरुपयोग की बातें तो अक्सर चर्चा में होती ही हैं साथ ही पंचायत की संपत्तियों को भी पंचायत के जनप्रतिनिधि और पंचायत सचिव सेंधमारी कर जेब गर्म करने में लगे रहते हैं ऐसा ही एक मामला इन दिनों जगदलपुर जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत आसना में देखने को मिल रहा है दरअसल बस्तर जिला प्रशासन के द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग से लगे बकावंड मार्ग में स्थित आसना मोटल में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य कराया जा रहा है जिसके अंतर्गत पूर्व से निर्मित बिल्डिंग का मरम्मत कार्य के अलावा पार्क का भी निर्माण किया जाना है इन निर्माण कार्यों के लिए जिला प्रशासन ने ग्राम पंचायत आसना को निर्माण एजेंसी नियुक्त किया है जिसका भरपूर फायदा इन दिनों पंचायत के सरपंच और पंचायत सचिव उठा रहे हैं मोटल में निर्माण कार्य के लिए मिट्टी की आवश्यकता को देखते हुए जिला कलेक्टर महोदय द्वारा पंचायत के जनप्रतिनिधियों से चर्चा उपरांत आसना पार्क से लगे बाघमुंडा तालाब की मिट्टी लाने की सहमति बनी थी इस तालाब का उपयोग ग्रामीण विगत कई वर्षों से समूह के माध्यम से मछली पालन कर आजीविका चलाने के लिए भी कर रहे हैं जिससे पंचायत की संपत्ति बाघमुंडा तालाब का गहरीकरण भी हो जाता और मिट्टी की आपूर्ति भी आसना मोटल को आसानी से हो जाती… गहरीकरण होने से तालाब में मछली पालन करने वाले समूह के सदस्य भी खुश नजर आ रहे थे लेकिन ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि और पंचायत सचिव ने मिलकर तालाब की मिट्टी को आसना पेट्रोल पंप के बाजू में बन रहे एक बड़े होटल के निर्माण के लिए निर्माण एजेंसी से सांठगांठ कर लाखों की मिट्टी बेच डाली…
ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत ने तालाब की मिट्टी को बिना जनप्रतिनिधियों से चर्चा किए तथा बिना अनुमति के ही लाखों रुपए की मिट्टी व्यवसायिक उपयोग के लिए बेच डाली जिसमें टिप्पर के माध्यम से कई ट्रक मिट्टी का परिवहन एनएच किनारे बन रहे एक बड़े होटल निर्माण के लिए दिया गया… इस मामले को लेकर जब पंचायत सचिव से चर्चा की गई तो उन्होंने कलेक्टर साहब से अनुमति उपरांत ही तालाब से मिट्टी खोदने की बात कही लेकिन सवाल यह उठता है कि बगैर पंचायत के जनप्रतिनिधियों से चर्चा किए ही पंचायत ने कैसे पंचायत के एक बड़े तालाब की मिट्टी को व्यावसायिक उपयोग के लिए बेच डाला… पंचायत प्रतिनिधियों की इस प्रकार
की मनमानी से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है साथ ही साथ ऐसी हरकतों से जिला प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है अब देखना यह है कि किसके संरक्षण में पंचायत ने तालाब की मिट्टी बेचने का खेल खेला है और कितनी मिट्टी को व्यवसायिक उपयोग के लिए बेच डाला है खैर यह सब तो जांच का विषय है लेकिन सवाल यह उठता है कि जिला प्रशासन के नाक के नीचे शहर सीमा से लगे पंचायत के एक बड़े तालाब की मिट्टी को बेच डालना और प्रशासनिक अधिकारियों को खबर तक ना होना यह दुर्भाग्यजनक है आसना में निर्माणाधीन मोटल बस्तर जिला प्रशासन का ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसमें समय-समय पर बस्तर कलेक्टर द्वारा लगातार दौरा कर निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया जाता रहा है इसके बाद भी बिना किसी अनुमति के इतने बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार को अंजाम देना एक साथ कई सवालों को जन्म दे रहा है |