भाजपा के सात साल, देश हुआ बदहाल :मिथिलेश स्वर्णकार

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जगदलपुर। क्रेडा अध्यक्ष मिथिलेश स्वर्णकार ने कहा कि आज मोदी सरकार के सात साल पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी जश्न मना रही है पर देश जीने की बात तो छोड़िए ठीक से मरने के लिए तरस गया है।

मिथिलेश स्वर्णकार ने कहा कि कहाँ तो वादा था कि विदेशी काला धन वापस आएगा, प्रत्येक आदमी के खाते में 15 -15 लाख रुपया आएगा, दो करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात थी मगर उल्टे करोड़ों लोगों को बेरोजगार कर दिया।आज देश बेरोजगारी के उच्चतम पायदान पर खड़ा है। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू कर किसानों की आय दुगुनी करने का वादा तो छोड़िए ऐसे कानून बना दिये कि खेती, पूंजीपतियों की जागीर बन जाएगी,डरे हुए किसान कई महीने से दिल्ली घेरकर बैठे हैं।पाकिस्तान से एक के बदले दस सिर लाने और चीन को लाल आंख दिखाने का दम्भ भरने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में चीन बीस सैनिकों को मार देता है और नेपाल जैसा बगलबच्चा लाल आंख दिखा रहा है।मोदी जी ने नोटबन्दी लागू करते हुए देश को भरोसा दिया कि इस कदम से देश का काला धन बाहर आएगा,आतंकवाद पर लगाम लगेगी पर हुआ उल्टा आतंकवाद बदस्तूर जारी है ,हाँ गरीब लोग ज़रूर बैंक की लाइन में अपनी जान गवां बैठे,कइयों का रोजगार छीन गया, देश अभूतपूर्व आर्थिक मंदी की चपेट में आ गया।इसी तरह जी.एस.टी. को देश की दूसरी आज़ादी बताने वाले प्रधानमंत्री राज्यों को उनका हिस्सा देने में असफल रहे,जीवन रक्षक दवाइयों और उपकरणों पर जी.एस.टी. लगा दिया पर पेट्रोल डीजल को शामिल करने में उन्हें आपत्ति है।

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क्रेडा अध्यक्ष मिथिलेश स्वर्णकार ने कहा है कि कोरोना संकट में भी प्रधानमंत्री जी ने देश को सम्हालने की बजाय थाली बजवाई,दिए जलवाए,बिना सोचे समझे लॉक डाउन कराया सब बिगड़ने लगा तो राज्यों पर छोड़ दिया।पहली लहर में मध्यप्रदेश में सरकार बनाने को प्राथमिकता मिली तो दूसरी लहर को बंगाल चुनाव की वजह से आने दिया गया। वेक्सीन पर भी कब्जा जमाए बैठें है एक तरफ राज्यों को खरीदने की छूट देतें हैं दूसरी तरफ कम्पनियों को सख्त हिदायत है कि किसे कितना देना है हम बताएंगे।आज जब वेक्सीन के मामले में सरकार को देश के साथ खड़े होकर निर्बाध उत्पादन को सुनिश्चित करना चाहिए उसकी जगह वेक्सीन निर्माता कम्पनियो की तरफदारी की जा रही है। कहाँ वादा तो भारत को विश्व गुरु बनाने का था पर देश सबसे बड़ा श्मसान बन गया जीने की बात छोड़िए सम्मान पूर्वक मरना भी दुर्लभ हो गया है।जिस गंगा मां के बुलाने पर यह पुत्र बनारस गया था वही गंगा लाशों से अटी पड़ी है।संसद को प्रणाम करने वाले प्रधानमंत्री ने संसदीय परम्पराओं का कभी निर्वाह नहीं किया। दल बदल कर सरकार बनाना, अपराधियों का भाजपा में शामिल होते ही वाल्मीकि बन जाना ,मीडिया को प्रभावित कर निरंतर अपना गुणगान करवाना, सत्ता प्राप्ति के लिए किसी हद तक जाना,कारपोरेट की जी हुजूरी और गरीबों से दो गज दूरी केंद्र सरकार की नीति रही है।

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