कॉंग्रेस द्वारा घोषित आपातकाल को काला दिवस के रूप में किया जाता है याद…….

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दल्लीराजहरा :- आज से 45 वर्ष पूर्व तत्कालीन प्रधानमंत्री  इंदिरा गांधी द्वारा देश मे आपातकाल की घोषणा किये जाने को अलोकतांत्रिक एवं तानाशाही पूर्ण निर्णय बताते हुए भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल खोबरागड़े ने कहा कि ” आजाद भारत में लोकतंत्र की हत्या का काला अध्याय है आपातकाल “। इसीलिये प्रतिवर्ष 25 जून को काला दिवस के रूप में याद किया जाता है ।ज्ञात हो कि  देश मे 1974 – 75 में कांग्रेस सरकार की तत्कालीन प्रधानमंत्री  इंदिरा गांधी की तानाशाही,भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओ के खिलाफ देश  के लोगों मे असंतोष एवं आक्रोश का माहौल व्याप्त हो गया था, जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए देश के गैर काग्रेसी दलों,स्वयं सेवकों एवं छात्र युवाओं ने काग्रेस सरकार के खिलाफ धरना,प्रदर्शन एवं आन्दोलन प्रारंभ कर दिये जिससे देश में अस्थिरता फैल गई ,इन घटनाओं से विचलित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाकर स्वयंसेवकों एवं गैर काग्रेसी नेताओं लोकनायक जयप्रकाश नारायण , मोरारजी देशाई , अटलबिहारी बाजपेयी , जार्ज फर्नाडीज,अरुण जेटली , नीतीश कुमार ,शरद यादव जैसे हजारों लोगों को जेल में बंद कर दिया था साथ ही अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी लगाते हुए मिडिया को प्रतिबंधित कर अखबार के दफ्तरों में ताले लगा दिये गये थे ।अविभाजित मध्यप्रदेश में भी लोकतंत्र समर्थकों की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारीयां की गई थी, देश मे एैसे लोकतंत्र सेनानियों को  मीसा बंदी के रुप में जाना जाता है ।  पिछली भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री डाँ. रमन सिंह द्वारा छत्तीसगढ़ में सत्यापित सूची के अनुसार ऐैसे  लगभग 320 लोकतंत्र सेनानी मीसा बंदियों को  पेंशन देकर सम्मानित किया था किंतु प्रदेश में काग्रेस सरकार बनते ही मीसा बंदियो की पेंशन बंद कर दी गई है । अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य अनिल खोबरागड़े ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के मीसा बंदियो की पेंशन को शीघ्र प्रारंभ किया जाए ।