जगदलपुर। नगर निगम में गुरुवार को होने वाली सामान्य सभा से पूर्व, निगम के भाजपा नेता प्रतिपक्ष ने कांग्रेस के वर्तमान निगम प्रशासन के जनप्रतिनिधियों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि इनके डेढ़ वर्ष का कार्यकाल केवल झूठ, भ्रष्टाचार युक्त और जनता से छलावा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष संजय पांडे ने महापौर, सभापति सहित अन्य कांग्रेसी जनप्रतिनिधियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों नारी शक्ति को प्रणाम है लेकिन विगत डेढ़ वर्षों में लुभावने वादे किये गए, जनता को गुमराह किया जा रहा है और निगम में इनके रहते जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है।असंवैधानिक तरीके से चुनाव व अन्य गतिविधियाँ संचालित हो रहीं हैं। महापौर सफिरा साहू क्या करना चाहती हैं, शहर को लेकर उनका दृष्टिकोण क्या है किसी को पता नहीं है।उन्होंने कहा कि नियमों की अगर माने तो प्रति दो माह में एक बार सामान्य सभा होनी चाहिए लेकिन विगत डेढ़ वर्षों में केवल दो या तीन दफा ही सामान्य सभा आहूत की गई है। लॉकडाउन के समय में ऐसा होना संभव नहीं था, इसकी जानकारी भी उन्होंने दी।
उन्होंने कहा कि महापौर को अपने दायित्यों का बोध नहीं है और न ही उन्हें अपने कार्य के प्रति रूचि है इससे यह साफ़ होता है कि उनमें इच्छा शक्ति की कमी है।साथ ही उन्होंने बताया कि विगत 26 नवम्बर 2020 को हुए सामान्य सभा में महापौर ने पुनरीक्षित व अनुमानित बजट पेश किया था। इस बजट में उन्होंने कहा था कि कोई भी नया कर जनता पर आरोपित नहीं किया जाएगा व एक रुपये भी अनुदान लिए बगैर नगर निगम को संचालित किया जाएगा, लेकिन इसके विपरीत, जब शहर की जनता के पास डिमांड बिल पहुंचा तो उसमें मकान कर सीधे-सीधे 120 प्रतिशत दिया गया था, अब 300 रुपये कर चुकाने वाले को 660 रुपये चुकाना पड़ रहा है।इसी प्रकार व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का कर 3600 से बढ़ाकर 7200 तक कर दिया गया, जिससे जनता को आज पर्यंत तक परेशानी हो रही है, यही नहीं, संजय बाज़ार में वाहनों के लोडिंग-अनलोडिंग का पूर्व में जो 60 रूपए लिया जाता था उसे बढ़ाकर 80 रूपए कर दिया गया।इससे यह साफ़ होता है कि शहर की प्रथम महिला व नारी शक्ति होने के बावजूद भी सीधे तौर पर जन-विरोधी कार्यों में लिप्त हैं और अपने ही सरकार के विरोध में कार्य कर रहीं हैं। महापौर को चाहिए कि उन्होंने जो जनता से झूठ बोला है उसके लिए वे सार्वजानिक तौर पर माफ़ी मांगें।
पांडे ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान जब शहर के प्रबुद्ध समाज सेवी, सामाजिक संस्थाएं जन-सेवा में व्यस्त थे, तब महापौर निगम में बैठकर उक्त करों को बढाने में मशगूल थीं। इसी प्रकार विगत बजट सत्र में आबकारी विभाग को गोदाम देने के नाम से एमआईसी की बैठक व उसकी प्रत्याशा में 2000 स्क्वायर फीट निर्विवाद स्थल का चयन कर दिया गया, जबकि उनके ही राज्य सरकार ने चुनाव पूर्व गंगाजल हाथ में लेकर शपथ ली थी की पूर्ण शराब बंदी राज्य में होगी, जबकि यह पूरा मामला नवीन प्रीमियम शराब दुकान खोलने से सम्बंधित था, जिसे एमआईसी में केवल हैडिंग बदलकर पेश कर दिया गया। आबकारी विभाग ने भी उक्त स्थल को विवादित बताया।
उन्होंने कहा कि आबकारी विभाग गांजे और शराब का धंधा करता है। अपने ही मुख्यमंत्री के पत्र को नहीं मानने के चलते तत्कालीन सामान्य सभा में भाजपाईयों ने सदन में पत्र फाड़कर वाकआउट कर दिया था। बजट पेश करने के बाद स्वयमेव ही बजट पारित कर दिया गया, जबकि इसके लिए न वोट कराया गया और न ही तालियाँ बजी। सभापति कविता साहू को भी आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने ने कहा कि इन्हें किसी की सुनने की आदत ही नहीं है, केवल कांग्रेसी बनकर वे एक निष्पक्ष होने वाले सभापति की कुर्सी पर बैठती हैं, जब भाजपा के सभी पार्षद सदन बाहर थे तो किससे पूछकर बजट पारित कर दिया गया। निश्चित तौर पर कुछ तो गोलमाल हुआ है। इसके अलावा एमआईसी में आबकारी विभाग को बगैर टेंडर के 25 रुपये स्क्वायर फीट के हिसाब से दर तय कर दूकान आबंटित भी कर दिया गया।जबकि, पास ही में ऐतिहासिक भगत सिंह स्कूल व पुलिस चिकित्सालय है। इसी कारण से आबकारी विभाग ने भी इस स्थल को विवादित पाया और दूकान लेने से मना कर दिया।
2200 के डस्टबिन को 7000 में ख़रीदा
यही नहीं, 9 मार्च 2020 को संपन्न हुए एमआईसी की बैठक में 65 लीटर वाले डस्टबिन के लिए 36 लाख 50 हज़ार रुपये आबंटित करते हुए अपने चाहिते ठेकेदार को टेंडर दिया जाकर क्रय कर लिया गया. जबकि जब भाजपाईयों ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि इससे अच्छी गुणवत्ता के कंपनी वाले डस्टबिन महज 2200 रुपये में क्रय किये जा सकते थे, जिसे 7000 रुपये दर्शा कर 522 नग क्रय किये गए। इसके लिए भी अजीब से नियम निकाले गए जिससे कोई अन्य ठेकेदार टेंडर फॉर्म ही न दे सके, मसलन निर्माता के पास टोलफ्री नंबर होना अनिवार्य, रजिस्ट्रेशन में ट्विनबिन शब्द का होना अनिवार्य इत्यादि।
श्री पांडे ने बताया कि नगर निगम के कर्मचारी डरे हुए हैं, नेता प्रतिपक्ष के कमरे की जासूसी की जाती है कौन आ रहा है और कौन जा रहा है, जो कर्मचारी नेता प्रतिपक्ष के कमरे में आता है उस पर विशेष निगरानी रखी जाती है। इन सब के चलते वर्तमान निगम शासन विवादों के घेरे में हैं। कई दफा आरटीआई लगाने के बाद भी उन्हें जानकारी नहीं दी जाती, जबकि नेता प्रतिपक्ष ही एक ऐसा पद है जो शासन में रहने वाले जनप्रतिनिधियों को पाप करने से बचाता है, जबकि स्थानीय नगर निगम में इसके विपरीत हो रहा है।
कल गुरुवार को निगम में होने वाली सामान्य सभा में भाजपाई पूरे जोर-शोर के साथ सत्तादल को घेरने की कोशिश करेंगे।अब देखना यह होगा कि सत्तादल, विपक्ष के वार पर क्या प्रतिक्रिया देता है। पत्रकार वार्ता के दौरान सुरेश गुप्ता,. श्रीनिवास राव मद्दी, रामाश्रय सिंह, दिगम्बर राव व अन्य भाजपाई उपस्थित थे।