कानपुर – मोस्टवांटेड विकास दुबे के एनकाउंटर ने एक ओर जहां कई सारे सवालों को जन्म दिया है, तो कई सवालों को हमेशा-हमेशा के लिए दफ़न भी कर दिया है। उसकी मौत के बाद राजनीति और पुलिस से जुड़े उसके राज़ भी हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो गए। सियासत में उसके आका कौन थे, किसने उसे अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया, किसने विकास को मोस्ट वांटेड गैंगस्टर बनाया, ऐसे कई और सवाल थे, जो विकास के जिंदा रहते सामने आ सकते थे, लेकिन एनकाउंटर ने सभी सवाल को हमेशा के लिए खामोश कर दिया।
मोस्टवांटेड विकास दुबे उसे सियासत में लाने का श्रेय पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरिकिशन श्रीवास्तव का है और वही मेरे राजनीतिक गुरु हैं. ‘मैं अपराधी नहीं हूं, मेरी जंग राजनीतिक वर्चस्व की जंग है और ये मरते दम तक जारी रहेगी.’
बसपा सरकार के दौरान ही विकास दुबे ने बिल्हौर, शिवराजपुर, रनियां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में अपना रसूख कायम किया था. इस दौरान शातिर अपराधी विकास दुबे ने कई जमीनों पर अवैध कब्जे भी किए. जेल में बंद रहते हुए हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने शिवराजपुर से नगर पंचयात चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी.
विकास दुबे 25 साल से प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ रहा था. 15 साल बसपा के, 5 साल बीजेपी के साथ और 5 साल सपा के साथ रहा था. पंचायत चुनाव के दौरान उसे बसपा से समर्थन मिला, जबकि उसकी पत्नी को सपा का समर्थन मिला था.