शौचालय धसका, हैंडपंप से निकलते हैं केंचुए, भवन है जर्जर, ये हाल है झिटकागुड़ा की प्राथमिक शाला का

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  •  नौनिहालों के भविष्य से हो रहा है सरेआम खिलवाड़ 

-अर्जुन झा-

बकावंड स्कूल के हैंडपंप से पानी के साथ केंचुए निकलते हैं, शौचालय धसक गया है, भवन जर्जर हो चला है। ऐसे हालातों के बीच पढ़ाई किस हद तक हो पाती होगी, अंदाजा लगाया जा सकता है। मगर मजबूरी है, गांव में कोई दूसरा विकल्प नहीं है। मजबूरी में ऐसे हालातों के बीच बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। यह कहानी है बकावंड विकासखंड की ग्राम पंचायत कोरटा के आश्रित ग्राम झिटकागुड़ा की सरकारी प्राथमिक शाला का। लंबे रिफ्रेशमेंट के बाद विद्यार्थी और शिक्षक शिक्षिकाएं दुगुनी ऊर्जा के साथ शालाओं में अध्ययन अध्यापन में लग गए हैं। स्कूलों में रौनक लौट आई है। मगर झिटकागुड़ा की प्राथमिक शाला के बच्चों के चेहरों पर आज भी बेबसी झलक रही है। दरअसल इस स्कूल में न पीने के पानी का इंतजाम है, न बच्चों और स्टॉफ के लिए शौचालय का। भवन जरूर है, मगर उसकी भी हालत कुछ ठीक नहीं है। दीवारें दरक रही हैं, छत भी कमजोर है। शौचालय का सेफ्टीक टैंक धसक गया है।

दीवार टूट गई है।नया सेफ्टीक टैंक बनाने से शौचालय छोटा हो जाएगा और उसकी उपयोगिता नहीं रहेगी। इसलिए नया शौचालय बनाया जाना ही बेहतर होगा। वहीं हैंडपंप को पिछले साल से बंद कर दिया गया है। क्योंकि हैंडपंप से पानी के साथ जिंदा और मरे हुए केंचुए निकलते थे और पानी में आयरन की मात्रा ज्यादा थी।बच्चों को पीने के पानी का इंतजाम दूर जाकर करना पड़ता है। शाला भवन की मरम्मत के लिए 3 लाख 2 हजार रुपए की स्वीकृति मिली थी। मगर इस राशि से मरम्मत के नाम पर बाहरी एवं भीतरी दीवारों के रंग रोगन पुट्टी जैसे मामूली कार्य कराकर राशि हजम कर ली गई। भवन की दशा को देखते हुए प्रधान पाठक ने मरम्मत के लिए आवेदन दिया था।ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव मरम्मत न कराकर हल्के फुल्के काम करा दिए।सचिव अब कह रहे हैं कि नया बोर कराकर मोटर लगवाएंगे, शौचालय की मरम्मत करा देंगे। शिक्षा विभाग के बीआरसी को इस स्कूल की हालत के बारे में पता ही नहीं है। उनका कहना है कि उनके पास कोई शिकायत नहीं पहुंची है।