चिंता से चतुराई घटे, दुख से घटे शरीर…क्या नगरनार के निजीकरण का जश्न मना रही है भाजपा?

0
890

(अर्जुन झा)

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने चिंतन के साथ ही जमकर जश्न मनाया। चिंतन शिविर स्थल में बड़े बड़े नेता मांढर की थाप पर थिरकते नजर आए। लोगों को यह समझ नहीं आ रहा कि भाजपा के नेताओं की इस अपार खुशी की वजह क्या है? कांग्रेसी कह सकते हैं कि बड़े होटल में बैठ गरीबों की चिंता करते और निजीकरण, पेट्रोलियम पदार्थ, किसानों के मुद्दे के साथ ही बढ़ती हुई महंगाई के समर्थन में आत्मचिंतन कर मंत्रमुग्ध होते हुए भाजपा नेता अपनी मस्ती में मस्त हैं तो भाजपाई इसे बस्तर की आदिवासी शैली में आगामी संघर्ष के लिए उत्साह की अभिव्यक्ति बता सकते हैं। वैसे अभी हालात ऐसे नहीं हैं कि भाजपा में इस तरह का जश्न मनाया जा सके। लेकिन सीधे सीधे चिंतन ही किया जाय तो वह कहावत सामने खड़ी नजर आती है कि चिंता से चतुराई घटे, दुख से घटे शरीर!

इसलिए मस्त रहो मस्ती में! सो चिंतन के दौरान मनोरंजन का तड़का लगा लिया गया तो इस्में हर्ज क्या है? लेकिन कांग्रेसी यह कह सकते हैं कि चिंतन का नाटक मंचित करने वाली भाजपा को गरीबों, किसानों से लेकर आम आदमी तक किसी वर्ग की कोई चिंता नहीं है। देश में कमर तोड़ महंगाई और लगातार बढ़ते दामों से भाजपा का कोई लेना देना नहीं है। किसान बेहाल हैं। साल भर से भाजपा की केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। भाजपा की केंद्र सरकार शायद निजीकरण को ही अच्छे दिन आना मान रही है। रसोई गैस से लेकर पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृद्धि के बोझ तले दबी जनता का दर्द भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को महसूस नहीं हो रहा। उसके स्थानीय नेता क्या इसी का जश्न मना रहे हैं कि बस्तर का नगरनार प्लांट भी निजीकरण का शिकार होने वाला है? वैसे आम तौर पर लोग यह सोच सकते हैं कि शायद कांग्रेस के भीतर मची उथलपुथल से उत्साहित होकर भाजपा के लोग नाच गाकर अग्रिम उत्सव मना रहे हैं। लेकिन इससे भाजपा के खुश होने का तो कोई कारण ही नहीं है। कांग्रेस का अंदरूनी मामला कांग्रेस सुलझा लेगी।

This image has an empty alt attribute; its file name is mathur.jpg
This image has an empty alt attribute; its file name is JHA-3.jpg