नियमितीकरण के मुद्दे को लेकर छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ ने प्रदेश सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

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छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ नियमितीकरण को लेकर एक बड़ी बैठक हो रही है | दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ नियमितीकरण को लेकर भाजपा शासन काल से अपनी मांगो को लेकर आ रहे है पूर्व में भी भाजपा शासन काल में नियमितीकरण के लिए एक कमेटी गठित की हुई थी लेकिन उस कमेटी द्वारा किसी भी प्रकार का कोई निर्णय नहीं लिया गया जिसके कारन छत्तीसगढ़ के सम्पूर्ण दैनिक वेतन भोगी आक्रोशित रहे और अनेको प्रकार की रैली निकाले और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहे | वर्तमान में एक आशा की किरण जगी और कांग्रेस सरकार को पूर्ण समर्थन करते हुए कांग्रेस की सरकार का गठन किया और आज कांग्रेस सरकार ने

अपने जन घोषणा पत्र में वादा किया हुआ है कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जायेगा एवं किसी की छटनी नहीं की जाएगी लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि कांग्रेस सरकार के आते ही छटनी का कार्य प्रारंभ हो चूका है वन विभाग में कई ऐसे कर्मचारी है जिनकी छटनी कर दी गई है और नियमितीकरण के सम्बन्ध में जो कमेटी गठित की गई है प्रमुख सचिव वाणिज्य कर विभाग की अध्यक्षता में लेकिन उक्त समिति द्वारा किसी भी प्रकार का कोई निर्णय नहीं लिया गया है और अपने अंतिम अभिमत देने के लिए महाधिवक्ता बिलासपुर को पत्र प्रेषित किया हुआ है कि अनुच्छेद 14 एवं 16 के तहत नियमितीकरण के सम्बन्ध में अपना निर्णय दे किन्तु वर्तमान सरकार द्वारा जन घोषणा पत्र में यह स्पष्ट किया जा चूका है कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जायेगा | यह लड़ाई सन 1998 से चली आ रही है सरकार वादा तो करते है पर उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकलता |

छत्तीसगढ़ के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी ने कहा है कि सरकार के पास तीन महीने का समय है इस बीच सरकार अपना निर्णय ले लेवे अन्यथा कर्मचारियों द्वारा सरकार के साथ आर या पार की लड़ाई की जाएगी |

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