एनएमडीसी प्रबंधन की वादाखिलाफी को लेकर फूटा स्थानीय ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, विरोध में आंदोलन

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  •  पांच दिवसीय क्रमिक भूख हड़ताल जारी, उग्र आंदोलन की दी गई चेतावनी 
    -अर्जुन झा-
    नगरनार एनएमडीसी के नगरनार संयंत्र में स्थानीय बेरोजगारों और ट्रांस्पोर्टरों को काम न देने और प्लांट द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण के विरोध में क्रमिक भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है। भूख हड़ताल और धरने पर जय झाडेश्वर परिवहन संघ के पदाधिकारी, सदस्य एवं स्थानीय नागरिक बैठे हुए हैं।
    जय झाड़ेश्वर परिवहन सहकारिता समिति मर्यादित, नगरनार के तत्वावधान में यह आंदोलन 7 जून से शुरू हुआ है और फिलहाल 11 जून तक चलेगा। समिति की प्रतिनिधि एवं नगरनार मंडल भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष गीता मिश्रा भी हड़ताल पर बैठी हैं। गीता मिश्रा ने कहा कि नगरनार इस्पात संयंत्र की स्थापना के समय एनएमडीसी ने जितने भी शर्त ग्रामीणों से की थी, उनमें से एक भी शर्त को एनएमडीसी प्रबंधन ने पूरा नहीं किया है। आसपास के तमाम गांवों में संयंत्र से उठने वाली गर्द का प्रदूषण फैल रहा है।एनएमडीसी ने कहा था कि संयंत्र स्थापना के साथ साथ मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की भी स्थापना नगरनार में कर दी जाएगी, मगर आज तक हॉस्पिटल की नींव भी नहीं रखी जा सकी है। संयंत्र के प्रदूषण से अंचल के ग्रामीण बीमार पड़ रहे हैं, वे अपना इलाज कराने कहां जाएं। गीता मिश्रा ने कहा कि संयंत्र में स्थानीय बेरोजगारों और ट्रांसपोर्टरों को काम भी नहीं दिया जा रहा है।

बाहरी लोगों की भर्ती: नाग
जय झाड़ेश्वर परिवहन सहकारी समिति के सदस्य एवं नगरनार के प्रतिष्ठित ग्रामीण सियाराम नाग ने कहा कि एनएमडीसी ने क्षेत्र के गांवों के किसानों की जमीन लेते समय जो पांच वादे किए थे, उन वादों से एनएमडीसी प्रबंधन पूरी तरह मुकर गया है। यहां मजदूरों की भर्ती भी बाहर से की जा रही है। जबकि प्रबंधन ने कहा था कि संयंत्र स्थापना के लिए जिन ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहित की गई है, उनके परिवारों के सदस्यों तथा बस्तर संभाग के ही बेरोजगारों की भर्ती संयंत्र में की जाएगी। मगर शुरू से टेक्निकल भर्ती के नाम पर मजदूरों के रूप में दूसरे राज्यों के लोगों को नगरनार संयंत्र में नौकरियां दी जा रही हैं। वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण का दंश हम झेल रहे हैं और यहां बाहरी लोग मौज कर रहे हैं। अगर प्रबंधन ने वादा पूरा नहीं किया तो हम उग्र आंदोलन करेंगे। सियाराम नाग ने कहा कि हमारे परिवारों के युवा सदस्यों ने इस उम्मीद में कर्ज लेकर वाहन खरीदे थे कि संयंत्र में माल परिवहन का काम मिल जाएगा। लेकिन परिवहन का काम भी बाहरी लोगों को दिया जा रहा है। प्रबंधन का यह चरित्र असहनीय हो गया है। अब हम और ज्यादती बर्दाश्त नहीं कर सकते।

प्रबंधन रवैया बदले: बघेल
जय झाड़ेश्वर परिवहन सहकारी समिति के सदस्य लखीधर बघेल ने कहा कि 22 साल से नगरनार इस्पात संयंत्र का काम चल रहा है। संयंत्र स्थापना के शुरूआती दौर में एनएमडीसी प्रबंधन ने नगरनार समेत आसपास की 11 ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों के साथ जो करार किया था, उससे प्रबंधन पीछे हट गया है। यहां न हॉस्पिटल खोला गया है, न प्रदूषण नियंत्रण के उपाय किए गए हैं। संयंत्र से निकलने वाला केमिकल युक्त काला पानी हमारे खेतों को बंजर बना रहा है और तालाबों को प्रदूषित कर रहा है। प्रदूषण के चलते ग्रामीण तरह तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। उनके उपचार की व्यवस्था तक एनएमडीसी प्रबंधन ने नहीं की है। स्कूल खोला भी गया है, तो वहां बाहरी लोगों के बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है। हमने जमीन गंवाई और हमारे ही बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित हैं। रोजगार देने के मामले में भी प्रबंधन ने स्थानीय लोगों के साथ छल किया है। नगरनार इस्पात संयंत्र में सभी श्रेणियों की भर्ती में बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है। जबकि करार में कहा गया है कि स्थानीय और बस्तर संभाग के बेरोजगारों को नौकरियों में प्राथमिकता दी जाएगी। लखीधर बघेल ने कहा कि परिवहन का काम भी बाहरी ट्रांसपोर्टरों से कराया जा रहा है। हमारे स्थानीय लोगों ने कर्ज लेकर गाड़ियां खरीदी हैं जो आज काम न होने के कारण ब्याज तक अदा नहीं कर पा रहे हैं। श्री बघेल ने कहा कि प्रबंधन हमारे सब्र की परीक्षा न ले।