(अर्जुन झा)
जगदलपुर। दिल्ली में बस्तर की आवाज कहलाने वाले सांसद दीपक बैज का कहना है कि पंद्रह साल तक बस्तर का दिल जलाने वाले लोग अब यहां सियासी पर्यटन पर आ रहे हैं और कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार द्वारा किए जा रहे ठोस विकास को देखकर जल रहे हैं। ये लोग किसी न किसी तरह बस्तर के विकास में रोड़े अटका रहे हैं। ये बस्तर का विकास, बस्तरियों का सुख, शांति, चैन, सुकून बर्दाश्त नहीं कर पा रहे, इसलिए कभी अपनी किसी महिला नेता से अभद्र टिप्पणी करवाते हैं तो कभी किसी से भ्रम पैदा करवाने की कोशिश करते हैं। जनता से झूठ बोलते हैं।
बस्तर सांसद दीपक बैज ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि निर्दोष आदिवासियों को झूठे मामलों मे फंसाकर जेल में डाल देने वाले लोग, आदिवासियों की जमीन औद्योगिक उपयोग के लिए दे देने वाले लोग, बस्तर के भोले भाले आदिवासियों का हर तरह से उत्पीड़न करने वाले लोग आज बस्तर का विकास सहन नहीं कर पा रहे हैं और बस्तर की जनता के सपनों को साकार होते नहीं देख पा रहे। बस्तर से उखड़ जाने पर भी बस्तर की जन भावनाओं का सम्मान करना इन्होंने नहीं सीखा। अगर कुछ सीखे होते तो नगरनार प्लांट के डी मर्जर की नौबत नहीं आती। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार जब यह संकल्प पारित करा चुकी है कि अगर एनएमडीसी नगरनार प्लांट खुद चलाने की स्थिति में नहीं है तो इसे राज्य को संचालित करने दे दिया जाय तब इन्हें क्या दिक्कत है? ये केवल औद्योगिक घरानों का हित देखने वाले लोग हैं। इन्हें गरीब आदिवासियों, गरीब किसानों, मजदूरों से, उनके हितों से कोई लेना देना नहीं है। भाजपा के पंद्रह साल के राज में बस्तर अंचल को केवल अशांति और छलावा मिला। बस्तर विकास का झांसा देकर आदिवासियों की जमीन औद्योगिक घराने को दे दी गई थी, जिसे कांग्रेस की सरकार ने वापस लौटा दिया। भाजपा राज में जबरन फसाए गए आदिवासियों को कांग्रेस सरकार ने जेल से मुक्ति दिलाकर उन्हें न्याय दिलाया। आज किसान, मजदूर के साथ साथ पशु धन को भी न्याय मिल रहा है। बस्तर में विकास और विश्वास की धारा बह रही है। लोग सुरक्षित हैं। भाजपा के राज में तो उनके मंत्री तक सड़क पर नहीं उतरते थे और उड़नखटोले का सहारा लिया करते थे। आज सड़क मार्ग से हमारे जनप्रतिनिधि दूर दूर तक जनता के बीच जाते हैं और उनकी भावनाओं के अनुरूप विकास सुनिश्चित करते हैं। यह बुनियादी फर्क सबको दिखाई दे रहा है। सिर्फ उन्हें यह नहीं दिखता, जिनकी सोच पर परदा पड़ा है। अन्यथा उनकी राष्ट्रीय महासचिव और छत्तीसगढ़ प्रभारी इस तरह की बेहूदा टिप्पणी नहीं करतीं, जैसी यहां करके जन भावनाओं का अपमान करके गई थीं। उनकी केंद्रीय मंत्री ने भी बस्तर का सियासी पर्यटन किया लेकिन बस्तर का भला करने का विचार उनके मन में होता तो नगरनार प्लांट को बचाने के लिए बस्तर का समर्थन करना चाहिए था। ये लोग बस्तर का अब हो रहा विकास देखने आएं, बस्तर का अमन चैन देखने आएं, बस्तर की धरती पर बिखरे प्रकृति के सौंदर्य को निहारने आएं, पर्यटन के लिए आएं, बस्तर में इनका स्वागत है। लेकिन अब यहां की जनता इनके सियासी पर्यटन को कोई अहमियत नहीं देने वाली। बेहतर होगा कि “न विकास करेंगे और न करने देंगे” की संकुचित मानसिकता वाले लोग यहां की खुशहाली को नज़र न लगाएं।