प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने सोमवार को माहरा समाज के पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण समारोह में उद्गार व्यक्त किए

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जगदलपुर । बस्तर का सबसे पुराना मूल आदिवासी है माड़िया लेकिन विडंबना है कि आज भी माड़िया लोग जंगल में रहते हैं जिनके पास पट्टा नहीं है। वहीं माहरा जाति के लोगों का किसी मामले पर लफड़ा है। जगतु माहरा के नाम पर जगदलपुर शहर बसा है यह हर कोई जनता है। लेकिन सरकारी तौर पर इन्हें सम्मान नहीं मिला है। इसके लिए मुख्यमंत्री के पास जाकर मांग करेंगे तब काम हो जाएगा। प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने सोमवार को माहरा समाज के पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण समारोह में यह उद्गार व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि महेन्द्र कर्मा जब निर्दलीय चुनाव लड़कर सांसद बने थे तब उन्होंने राष्ट्रपति के पास जाकर माहरा समाज की मांग को रखा था। आजादी के 70 साल बाद भी बस्तर के कई समाजों के विषयों का समाधान नहीं हो सका है। लेकिन हम बस्तर के सभी विधायक, सांसद मिलकर मुख्यमंत्री के समक्ष आपकी मांग रखेंगे और निश्चित रूप से इसका समाधान हो जाएगा। लखमा ने कहा कि हारा हुआ और जीता हुआ दोनों ही समाज का व्यक्ति है इसलिए भेदभाव नहीं होना चाहिए। सभी को साथ लेकर चलने पर समाज आगे बढ़ता है। अलग-अलग रहने से समाज कमजोर होता है। समाज को अच्छे से चलाने के लिए सभी को संगठित रहना होगा यहां हारा हुआ या जीता हुआ जैसी बात नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों मुरिया दरबार में झाड़ा सिरहा के नाम पर भवन का नामकरण की घोषणा की। मैं भी चाहता हूं माहरा समाज में जगतु माहरा सबसे बड़ा नाम है इसलिए उनके नाम पर भी किसी जगह का नामकरण होना चाहिए। सभा को सांसद दीपक बैज, विधायक रेखचंद जैन तथा राजमन बेंजाम ने भी संबोधित किया। इस मौके पर क्रेड़ा अध्यक्ष मिथलेश स्वर्णकार, महापौर सफीरा साहू, नगर निगम अध्यक्ष कविता साहू, जनपद अध्यक्ष अनिता पोयाम, जिला कांग्रेस अध्यक्ष बलराम मौर्य, शहर जिलाध्यक्ष राजीव शर्मा, सामु कश्यप, लक्ष्मण कश्यप, अनवर खान समेत बड़ी संख्या में माहरा समाज के लोग मौजूद थे।
सुरेश रावल, मीडिया सलाहकार