पुलिस महानिदेशक के आदेश की खुलेआम अवहेलना, शहर में धड़ल्ले से जारी है ओपन-क्लोज़ का कारोबार

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जगदलपुर

सरकार बदलने के साथ ही नए पुलिस महानिरीक्षक द्वारा पुलिस विभाग को फरमान जारी किया गया कि समस्त जिले के पुलिस अधीक्षक अपने क्षेत्रों में अवैध रूप से संचालित किये जाने वाली कार्यों पर ध्यान देकर तत्काल कार्यवाई करें, अगर जानकारी के बावजूद ऐसे कार्य किसी भी जिले में संचालित करने की बात सामने आएगी तो उस जिले के पुलिस अधीक्षक पर कार्यवाई की जाएगी. लेकिन, बस्तर जिले के जगदलपुर शहर के बोधघाट थाना अंतर्गत आने वाले कई क्षेत्रों में खुलेआम सट्टा का सञ्चालन किया जा रहा है.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कुछ माह पूर्व ही डीजीपी के आदेश पर पूर्व पुलिस अधीक्षक द्वारा जगदलपुर शहर के तमाम क्षेत्रों में सट्टा के अवैध सञ्चालन को बंद करा दिया गया था. साथ ही साथ कुछ खाईवाल पर कार्यवाई कर उन्हें यह क्षेत्र छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया था. किन्तु, पुलिस अधीक्षक बदलने के साथ ही बोधघाट थानाक्षेत्र में सट्टा सञ्चालन की गतिविधियाँ बढ़नी शुरू हो गयी है.

जानकारी के अनुसार, बोधघाट थानाक्षेत्र अंतर्गत आने वाले रेलवे कॉलोनी, नया बस स्टैंड क्षेत्र का इलाका के साथ ही साथ नयामुंडा के अंतर्गत आने वाले आंबेडकर चौक, बोधघाट चौक इत्यादि सट्टा सञ्चालन का प्रमुख केंद्र बन गया है. सूत्रों की बातों पर अगर विश्वास किया जाए तो केवल आंबेडकर वार्ड व बोधघाट क्षेत्र से ही सट्टा पर दांव लगाने वाले लोग, खाईवाल के माध्यम से प्रतिदिन 10 से 15 लाख रुपये तक का सट्टा इस क्षेत्र से लेकर शहर के ही अन्य खायिवालों को भेज देते हैं.

सट्टा सञ्चालन का आलम यह है कि अवैध रूप से संचालित सट्टा, कई लोगों के लिए लघु व्यवसाय का रूप बन गया है. सुबह से लेकर दोपहर एवं देर रात्रि तक ओपन-क्लोज़ के शौकीन लोग, बोधघाट चौक से लेकर आंबेडकर वार्ड क्षेत्र के कई जगहों पर खायिवालों के पट्टी-धारकों के पास नंबर लिखाते नज़र आते हैं. इस मामले पर कई बार क्षेत्र के लोगों द्वारा जिला पुलिस अधीक्षक के पास भी शिकायत की गयी, लेकिन जब सैय्याँ भये कोतवाल तो डर काहे का, की तर्ज पर सटोरिये खुलेआम सट्टा लिखने में मशगूल दिखाई देते हैं.

इसी क्षेत्र के कुछ कथित खायिवालों के अनुसार, इन पर पुलिस कार्यवाई इसलिए नहीं करती की सट्टा के व्यवसाय से प्रतिदिन कई लाख रुपयों की आमदनी होती है जिसका बटवारा पुलिस विभाग के साथ-साथ अन्य कुछ प्रशासनिक अमलों में भी होता है. चूँकि, सट्टा सञ्चालन के माध्यम से प्रतिमाह कई लाख रुपयों की आमदनी पुलिस के बड़े अधिकारियों से लेकर छोटे कर्मचारियों के बीच होती है. अतः इतनी बड़ी आवक को रोकने में वे अमूमन हिचकिचाहट महसूस करते हैं.

जगदलपुर शहर के कई थानों में वर्षों से पदस्थ पुलिस कर्मचारियों के अनुसार, थाने में अधिकारी एवं कर्मचारियों के पदस्थापना के समय से ही उन्हें यह जानकारी दे दी जाती है कि इस क्षेत्र में ऐसे कारोबार को आप कैसे सहूलियत से संचालित करा सकते हैं. वर्तमान में जगदलपुर शहर एवं उसके आसपास थाने के क्षेत्र से लाखों रुपयों की सट्टा-पट्टी, पट्टीदारों के माध्यम से खुलेआम बड़े व्यवसायी एवं प्रतिष्ठित कहे जाने वाले खायिवालों के पास पहुँच रही है. लेकिन सब कुछ जानने के बावजूद भी स्थानीय अधिकारी किसी भी प्रकार की कार्यवाई न कर, छत्तीसगढ़ शासन के पुलिस महानिरीक्षक के दिए गए आदेश की अवहेलना करने पर उतारू हैं.