विगत दिनों खदान मजदूर संघ भिलाई संबंद्ध भारतीय मजदूर संघ का एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य महाप्रबंधक खदान के माध्यम से
डायरेक्टर इंचार्ज भिलाई इस्पात संयंत्र इस्पात भवन भिलाई को ज्ञापन सौंपकर राजहरा स्थित बीएसपी अस्पताल की जर्जर व्यवस्था को सुधरने बाबत निवेदन किया और बताया कि वर्तमान में राजहरा स्थित बीएसपी अस्पताल की व्यवस्था काफी लचर हो चुकी है एवं यहाँ कार्यरत कर्मी एवं उनके परिजनों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इस तारतम्य में संघ आपके समक्ष निम्न तथ्यों को रखते हुए अस्पताल के मौजूदा व्यवस्था में सुधार करने की मांग करता है-
(1) महोदय वर्तमान में बीएसपी प्रबंधन द्वारा कुछ विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता महीने में एक या दो बार ही राजहरा अस्पताल में उपलब्ध है। दांत, गायनो विभाग, आँख, आदि विभाग में डॉक्टरों की सुविधा महीन में एक या दो बार ही उपलब्ध है जिसके कारण यहाँ के कर्मियों को काफी दिकत्तों का सामना करना पड़ रहा है। महोदय उपरोक्त उल्लेखित विभागों से सम्बंधित बीमारियाँ केवल हफ्ते में एक या दो बार ही और वो भी विशेषज्ञ डॉक्टरों के उपलब्ध होने के दिन ही नहीं आती हैं। ऐसे में कर्मियों अथवा उनके परिजनों को जिस दिक्कत का सामना करना पड़ता है उसे देखते हुए आपसे अनुरोध है के इन विभागों में स्थायी रूप से डॉक्टरों की नियुक्ति जल्द से जल्द करवाने की कृपा करें।
(2) वर्तमान में राजहरा अस्पताल में हृदय रोग से सम्बंधित न तो कोई डॉक्टर है और न ही हृदयाघात से सम्बंधित किसी प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध है। अगर कोई कर्मी/कर्मी के परिजन/आम व्यक्ति, हृदयाघात से ग्रसित होकर अस्पताल आता है तो उसके बचने की सम्भावना, वर्तमान परिस्थिति में, केवल 10%-15% ही होती है। हाल ही में ऐसे प्रकरण भी हुए हैं जिसमे हृदयाघात से ग्रसित व्यक्ति आपातकालीन सेवा विभाग में लगभग 45 मिनट तक तड़पता रहा लेकिन कोई डॉक्टर उसे देखने तक नहीं आया और कर्मी की मृत्यु हो गयी। कई बार तो हृदयाघात के समय दिए जाने वाली जीवन रक्षक दवाई भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं रहती है। ऐसे में मरीज को साधारण एम्बुलेंस से 100 Km दूर सेक्टर-09 अस्पताल भेजा जाता है जिसमे न कोई टेंडेंट रहता है और न ही कोई नर्स या डॉक्टर। अतः संघ आपसे यह मांग करता है कि राजहरा अस्पताल में हृदय रोग से सम्बंधित डॉक्टर की नियुक्ति की जावे हृदयाघात से लड़ने हेतु समुचित साधन की व्यवस्था की जावे और हृदय रोग से सम्बंधित एवं उक्त रोग हेतु समर्पित एम्बुलेंस की व्यवस्था राजहरा अस्पताल के लिए जल्द से जल्द की जावे ताकि हृदयाघात आने पर मरीज की जान बचाई जा सके।
(3) महोदय, कुछ दशक पहले राजहरा अस्पताल का नवीकरण किया गया था जिसमे करोड़ों रुपये खर्च किये गए थे। प्रबंधन द्वारा यह कहा गया था कि रावघाट खदान शुरू होने के बाद राजहरा अस्पताल मरीजों के लिए एक मुख्य केंद्र होगा। किन्तु उक्त नवीकरण कार्य पूर्ण होने के बाद आश्चयजनक ढंग से अस्पताल में डॉक्टरों की संख्या कम होती गयी। विशषज्ञ डॉक्टरों का तबादला भिलाई मुख्य चिकित्सालय में कर दिया गया। सभी डॉक्टरों को भेङ-बकरी की तरह एक ही कमरे में बैठा दिया गया है जिसमें भी आज मुश्किल से एक या दो डॉक्टर ही ओपीडी में उपलब्ध रहते हैं। मरीजों को डॉक्टरों से कई व्यक्तिगत समस्याएँ साझा करने में परेशानी एवं शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ती है क्योंकि जो बातें केवल डॉक्टर एवं मरीजों के बीच ही रहनी चाहिए उन्हें सुनने हेतु कई मरीज वहां बैठे रहते हैं जिसके वजह से मरीजों को परेशानी होती है। अतः संघ यह मांग करता है कि वर्तमान व्यवस्था को बंद करते हुए सभी डॉक्टरों को अलग-अलग कमरे उपलब्ध कराये जावें जिससे की मरीजों को डॉक्टरों से संवाद करने में (खास कर महिला मरीजों को) कोई परेशानी न हो और उनका इलाज अच्छे से हो सके। इसके अलावा अनिवार्य रूप से एक स्त्री रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति स्थायी तौर पर अस्पताल में किया जावे।
(4) महोदय, राजहरा अस्पताल में सोनोग्राफी, डिजिटल क्ष-रे आदि की सुविधा तो है किन्तु अक्सर यह देखने में आता है कि एक तरफ कभी क्ष-रे तकनीशियन नहीं है तो दूसरी तरफ सोनोग्राफी मशीन का ऑपरेटर नहीं होने के कारण इसका लाभ यहाँ के मरीजों को नहीं मिल पता है और गर्भावस्था में भी महिला मरीजों को 100 Km दूर जाकर सोनोग्राफी करवानी पड़ती है या फिर क्ष-रे तकनीशियन न होने से मरीजों को बाहर से क्ष-रे करवाना पड़ता है। इस समस्या से अवगत होने के बावजूद राजहरा अस्पताल अथवा राजहरा खदान/बीएसपी प्रबंधन द्वारा किसी तरह का कोई समुचित कदम न उठाना यह दर्शाता है कि बीएसपी प्रबंधन के लिए खदान कर्मियों की कोई महत्ता नहीं है हुए वे केवल उत्पादन करने वाले गुलाम हैं। अतः संघ यह मांग करता है कि राजहरा अस्पताल में पूर्णकालिक क्ष-रे तकनीशियन एवं सोनोग्राफी टेक्निशन की पोस्टिंग की जावे।
(5) महोदय, ईसीजी एक महत्वपूर्व सुविधा है जिसका हृदय रोग में अनिवार्य रूप से उपयोग होता है। किसी भी अस्पताल में ईसीजी मशीन को चलने हेतु विशेषज्ञ ऑपरेटर रखे जाते हैं किन्तु राजहरा अस्पताल में ईसीजी मशीन को ऐसे लोग ऑपरेट करते हैं जो कभी ईसीजी मशीन के बारे में कुछ जानते ही नहीं हैं। कई बार इस सम्बन्ध में शिकायत की जा चुकी है किन्तु प्रबंधन द्वारा कोई समुचित कदम नहीं उठाया गया है। संघ द्वारा यह मांग की जाती है कि जल्द से जल्द ईसीजी मशीन हेतु शिक्षित एवं कुशल ओपेरटर की नियुक्ति की जावे।
(6) कई बार कैजुअल्टी में जब मरीज जाता है तो वहां डॉक्टर नहीं होता है। पूछने पर जानकारी दी जाती है कि डॉक्टर आ रहे हैं। उसके बाद ड्यूटी नर्स द्वारा फोन पर डॉक्टर को सूचित किया जाता है कि कोई मरीज आया है तब डॉक्टर 20-25 मिनट के बाद आते है कैजुअल्टी एक आपातकालीन सेवा है जिसमे 24 घंटे डॉक्टर की सुविधा उपलब्ध रहना अनिवार्य है किन्तु महारत्न कंपनी के इकाईओं में इस तरह से कैजुअल्टी में भी डॉक्टरों की अनुपलब्धता से साफ हो जाता है कि कंपनी प्रबंधन को कर्मियों के स्वास्थ्य की कोई चिंता नहीं है।
कई बार डॉक्टरों के देर से आने के वजह से गंभीर मरीजों की जान भी जा चुकी है अतएव संग यह पुरजोर मांग करता है कि समुचित संख्या में डॉक्टरों की सुविधा राजहरा अस्पताल में किया जावे ताकि मरीजों की जान के साथ हो रहे खिलवाड़ पर विराम लग सके।
इन सभी मुद्दों पर मुख्य महाप्रबंधक खदान से राजहरा खदान समूह के सभागार में खदान मजदूर संघ भिलाई संबंद्ध भारतीय मजदूर संघ के सदस्यों के साथ चर्चा हुई जिसमें मुख्य महाप्रबंधक खदान ने माना कि सोनोग्राफी मशीन खराब है और ईसके लिए एक निविदा निकाली जायेगी जिससे सोनोग्राफी मशीन को ठेके में लेने से कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सकेगा, संघ की मांग को तत्काल मानते हुए मुख्य महाप्रबंधक ने ईस बात पर भी सहमति जताई कि महिला डाक्टर को अलग कमरे में बैठने की व्यवस्था की जाएगी जिससे महिलाओं को डाक्टर के समक्ष अपनी समस्या रखने में परेशानी नहीं होगी, एक्स-रे मशीन आपरेटर अस्पताल में समय पर उपस्थित नहीं रहते जिससे कर्मचारियों को आपातकाल की स्थिति में प्राइवेट में करवाना पड़ता है जिस पर मुख्य महाप्रबंधक ने कहा कि एक ही एक्स रे मशीन आपरेटर होने के कारण समस्या हो रही है,रावखाट में नियुक्त एक्स-रे मशीन आपरेटर को तत्काल राजहरा अस्पताल में नियुक्त किया जावेगा, अस्पताल में उपलब्ध बेड और अन्य फर्नीचर जर्जर अवस्था में पहुंच चुके है, उन्हें बदलकर नये बेड , फर्नीचर और गद्दे,चादर तकिये उपलब्ध कराया जाए , जिससे मरीज को स्वच्छ वातावरण में इलाज करा सकें,और अस्पताल में ड्रेसर की उपलब्धता आपातकाल में 24 घंटे सुनिश्चित किया जावे और ड्रेसर लोगों को कार्य के समय नशा करने की मनाही की जावे जिससे मरीज बिना किसी भय के अपना ईलाज और ड्रेसिंग करा सकें।
इसके अलावा भी अस्पताल प्रबंधन से जुडी कई अन्य समस्याएँ हैं जिन्हे समय समय पर प्रबंधन के समक्ष रखते हुए इनके निराकरण हेतु निवेदन की जा चुकी है किन्तु प्रबंधन द्वारा किसी तरह का कोई समाधान ना करना अपने आप में कर्मियों के प्रति उनकी संवेदनहीनता को दर्शाता है। अतः संघ आपसे सनम्र अनुरोध करता है कि कर्मी हित को ध्यान में रखते हुए संघ द्वारा की गयी यथोचित मांगों के समाधान हेतु संघ के प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चा हेतु समय देवें ताकि कर्मियों के हितार्थ किये गए मांगों पर समुचित पहल की जा सके। अगर प्रबंधन द्वारा संघ की उक्त मांगों को दरकिनार अथवा नजरअंदाज किया जाता है और संघ के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा हेतु समय नहीं दिया जाता है तो मजबूरन संघ को कड़े कदम उठाने पड़ेंगे जिससे होने वाले किसी भी तरह के नुकसान के लिए केवल और केवल प्रबंधन ही जिम्मेदार होगा।
अंत में मुख्य महाप्रबंधक खदान ने कहा कि जल्द ही डीजीएम पर्सनल के अंडर एक बैठक आयोजित किया जाएगा जिसमें डाक्टर, प्रबंधन और यूनियन शामिल होंगे और उस बैठक में जो भी तय किया जावेगा उसका एक डिमांड नोट डीआईसी को भेजा जायेगा ।जिस पर संघ ने भी सहमति जताई।
इस बैठक में मुख्य रूप से जिला मंत्री मुश्ताक अहमद, केन्द्रीय अध्यक्ष एम पी सिंग, राजहरा शाखा अध्यक्ष किशोर कुमार मायती, सचिव लखन लाल चौधरी , ओ पी सोनी, विनोद कुमार आरडे, महेंद्र साहू, राजीव सिंग उपस्थित थे।