बालोद। ग्राम जगन्नाथपुर में यादव परिवार द्वारा अनवरत “बेटी है तो कल है थीम” पर तीसरे वर्ष में प्रवेश करते हुए दिवाली मनाई जाएगी। इसके लिए इस बार भी यादव परिवार के द्वारा ग्रामीणों को हर घर 5-5 मिट्टी के दीपक वितरित किए जा रहे हैं। इस अभियान की शुरुआत 3 साल पहले हुई थी। जो लगातार जारी है। लक्ष्मी पूजन की शाम यानी दिवाली की रात को यहां की गलियां और आंगन बेटियों के नाम से रोशन होगी। ग्रामीण रंगोली सजाकर अपने घर आंगन में बेटियों के नाम से दीपक जलाएंगे। बेटियों का सम्मान बढ़ाने के लिए यह पहल यादव परिवार द्वारा शुरू की गई है। बेटी व बेटा में फर्क दूर करने के लिए यह अभियान शुरू हुआ था। जो एक नए रूप में सामने आया और इससे कई लोग प्रभावित व प्रेरित होने लगे हैं। दिवाली के पहले ही यादव परिवार के द्वारा मोहल्ले के लोगों को घर-घर जाकर 5-5 मिट्टी के दीपक का वितरण भी किया जा रहा है। इस यादव परिवार के मुखिया मधु लता यादव ने बताया कि उनकी पोती वैष्णवी यादव इस अभियान की प्रेरणा स्रोत है। अक्सर देखते हैं कि परिवार में बेटा पैदा होने पर बेटी पैदा होने के तुलना में ज्यादा

खुशियां मनाई जाती है। बेटा बेटी में आज भी कहीं ना कहीं भेदभाव देखा जाता है। इस फर्क को दूर करने के लिए जब उनके परिवार में पोती हुई तो पोते से ज्यादा खुशियां पोती की जन्मदिन पर मनाई गई। 3 साल पूर्व जब 14 जून को बहु माधुरी यादव का प्रसव सांकरा ज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हुआ। उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया, जब अस्पताल से छुट्टी हुई तो इस बेटी को लक्ष्मी स्वरूप मानकर गृह प्रवेश कराते हुए पूजा अर्चना की गई तो वहीं नामकरण संस्कार पर भी बेटी की ओर से लोगों को कार्ड जारी किया गया। जिसमें बेटी है तो कल है, का संदेश देते हुए लोगों को बेटियों को प्रोत्साहन देने के लिए पहल शुरू की गई। तत्कालीन कलेक्टर राजेश सिंह राणा ने भी इस प्रयास के लिए यादव परिवार को बधाई भेंट प्रेषित किया था। तो साथ ही इस बेटी के नामकरण उत्सव को भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ व पर्यावरण संरक्षण थीम के साथ मनाया गया था। बेटी है तो कल है इस थीम को फिर यादव परिवार ने एक प्रेरक वाक्य दर्शाते हुए हर

दिवाली में बेटियों के नाम से 5-5 दीपक जलाने की परंपरा शुरू की गई और इस मुहिम में सिर्फ एक परिवार नहीं बल्कि गांव के कई परिवार बेटियों के सम्मान में दिवाली की शाम को दीये जलाते हैं। सरपंच अरुण साहू ने बताया कि यादव परिवार की इस पहल से गांव का सम्मान भी बढ़ता है। उक्त परिवार की पहल अनुकरणीय है। समाज में हमेशा के लिए बेटी बेटा का फर्क दूर होना चाहिए। लोगों को नजरिया बदलने की जरूरत है। यादव परिवार का कहना है कि इसी के लिए वे प्रयास कर रहें हैं कि बेटी, बेटा में कोई भी अंतर ना माना जाए। लोग सोच बदले समाज अपने आप बदल जाएगा। परिवार में बेटी हो या बेटा दोनों के जन्म पर एक जैसी खुशियां मनाई जाए। अक्सर देखते हैं कि बेटे की आस में परिवार में जनसंख्या भी बढ़ जाती है। फिर आगे चलकर परेशानी और बढ़ने लगती है।


