दर्जनों शिकायतों के बावजूद क्यों नहीं हुई कार्यवाई, अधिकारी मौन, मामला जनपद पंचायत में दो कर्मचारियों के विवाद का, प्रधानमंत्री से लेकर स्थानीय अधिकारी तक की जा चुकी है शिकायत

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जगदलपुर
शासकीय कार्यालय में किये गए शिकायत के निराकरण के लिए बाकायदा राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर मापदंड तय किये गए हैं की निर्धारित समयावधि में शिकायत प्रकरणों में जांच उपरांत अंतिम रिपोर्ट तैयार कर निराकरण किया जाए. लेकिन एक मामला स्थानीय जनपद पंचायत का ऐसा भी आया है जहाँ विगत 8 वर्षों में किये गए शिकायतों पर किसी भी प्रकार का निराकरण नहीं किया गया, वहीँ अब भी कई ताजा शिकायत निराकरण के लिए लंबित हैं. अब यहाँ यह कहना लाजमी हो जाता है कि जिसके विरुद्ध शिकायत की गयी है वह या तो इतना प्रभावशाली है की उसने सभी अधिकारियों को धता दिखा दिया है या फिर उसके तेज़ और शातिराना दिमाग के आगे बड़े-बड़े अधिकारियों ने भी मत्था टेक दिया है.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, जनपद पंचायत कार्यालय में सहा. ग्रेड 03 के पद पर पदस्थ अंजली मिश्रा ने अपने ही कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड 02 सुजाता जेना के विरुद्ध वर्ष 2014 से लेकर अभी कुछ दिन पूर्व तक दर्जनों शिकायतें की जिसमें जबरन मानसिक प्रताड़ित करने, अभिलेख चोरी, सुचना के अधिकार के तहत जानकारी का प्रदान नहीं करना, एक पक्षीय कार्यवाई करते हुए अंजली को निलंबित करने सहित अनेकों मामले व शिकायत आज पर्यंत लंबित हैं. तब से लेकर अब तक अंजली द्वारा निरंतर पत्र व्यव्हार किया जा रहा है लेकिन सभी शिकायतों और आवेदनों पर कोई ठोस कार्यवाई का नहीं होना यह स्पष्ट कर रहा है की जनपद पंचायत में अधिकारी से ज्यादा कर्मचारियों की तूती बोल रही है.

वर्ष 2016 के जनवरी माह में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के पत्र क्रमांक 2108/रामआ/जगदलपुर/16-183 के मुताबिक, अंजली मिश्रा के विरुद्ध चल रहे सेवा अभिलेख की चोरी के आरोप की जांच कर 07 दिवस के अन्दर आयोग को अवगत करना था लेकिन अंजली बताती है कि इस आदेश पर भी कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा कोई भी जवाब नहीं दिया गया जिसके चलते आज पर्यंत तक आयोग में मामला लंबित है. जनपद पंचायत के सभी कर्मचारियों ने सामूहिक तौर पर अंजली के विरुद्ध इसी साल जनवरी माह में ही अन्य कर्मचारियों के साथ गाली-गलौज व निरंतर झगड़ा करने की शिकायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी को किया था, यह भी आज पर्यंत तक लंबित है. जिला पंचायत के पत्र क्रमांक 1047/जिपं/शि.शा./जनशि/2016-17 दिनांक 18/नवम्बर/2016 व पत्र क्रमांक 11586/जिपं/शि.शा./जनशि/2016-17 दिनांक 31/दिसंबर/2015 में इसी मामले से जुड़े पांच कार्यालयीन पत्रों पर तत्काल जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी (जनपद) को निर्देशित किया गया था, लेकिन ये दोनों पत्र भी आज पर्यंत तक जनपद कार्यालय के किसी कोने में धूल खा रहे हैं. 07 फ़रवरी 2014 को राज्यपाल के अवर सचिव ने जन शिकायत निवारण विभाग, रायपुर के सचिव को भी अंजली के मामले में जांच करने हेतु आदेशित किया था लेकिन स्थानीय जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत से इस पत्र पर भी विशेष ध्यान नहीं दिया गया. इस सम्बन्ध में कलेक्टर बस्तर ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी को दिनांक 05 जून 2017 में स्मरण पत्र भी प्रेषित किया था लेकिन यहाँ भी जनपद के कर्मचारियों ने कलेक्टर को धता दिखाते हुए कोई ठोस कार्यवाई नहीं की. पूर्व विधायक संतोष बाफना ने वर्ष 2015 में पुलिस अधीक्षक को पत्र प्रेषित कर अंजली को मानसिक तौर पर परेशान किये जाने की जांच करने पत्र भी प्रेषित किया था, जिस पर भी कोई ठोस कार्यवाई नहीं हुई.

इस सम्बन्ध में जानकारी लेने के लिए जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वाई. के. पटेल को कई दफा फोन किया गया लेकिन ख़बर लिखे जाने तक उनका कोई जवाब नहीं आया.

मामले में सुजाता जेना ने कहा कि किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए लिखित आवेदन करें, तभी जानकारी दी जा सकेगी.