बस्तर में हालात बदतर, जरूरत एक और भूमकाल की

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भूमकाल आंदोलन की महत्ता पर ग्रामीणों को जागरूक करेगी सीपीआई,रेंगानार से चरणबद्ध कार्यक्रम की शुरूआत

बीजापुर। बस्तर के चर्चित भूमकाल विद्रोह के नायक रहे गुंडाधुर को याद करते सीपीआई 10 फरवरी को भूमकाल विद्रोह की वर्षगांठ तक गांव-गांव जनसंपर्क अभियान चलाएगी। इसकी शुरूआत मंगलवार को जिला मुख्यालय के करीबी गांव रेंगानार से हुई। सीपीआई के जिला सचिव कमलेश झाड़ी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने भूमकाल विद्रोह के नायक गुंडाधुर की तस्वीर पर पुष्पार्पण कर आदिवासी हितार्थ उनके सिद्धांतों पर चलने का संकल्प लिया। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते कमलेश ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत की दमनात्मक नीतियों के खिलाफ गुंडाधुर जब मुखर हुए थे, तो अंग्रेजों को भी पीछे हटने मजबूर होना पड़ा था। गुंडाधुर बस्तर और यहां के आदिवासियों के सच्चे सेवक और एक जननायक थे, जिनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। बस्तर में आज जो हालात है उससे महसूस होता है कि बस्तर में एक और भूमकाल की दरकार है। सत्तासीन सरकारें आदिवासियों को उनक ेजल-जंगल-जमीन से बेदखल करना चाहती है। यहां की वन, खनिज संपदाओं से बेदखल कर निजी हाथों में देना चाहती है। ऐसे तमाम ज्वलंत मुद्दे हैं, जिससे बस्तर और यहां का मूल आदिवासी जूझ रहा है, उन्हें इस भंवर से बाहर लाने आदिवासियों को एक बार फिर अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए मुखर होने की जरूरत है, एक और भूमकाल करने की जरूरत है। कमलेश ने कहा कि बस्तर में सीपीआई ही इकलौती पार्टी है जो भूमकाल विद्रोह के नायक गुंडाधुर के सिद्धांतों पर चलती आई है और आगे भी चलती रहेगी। कार्यक्रम की रूपरेखा का जिक्र करते कमलेश ने कहा कि 10 फरवरी तक सीपीआई गांव-गांव जाएगी और आदिवासियों को भूमकाल विद्रोह के बारे में बताएगी। साथ ही जल-जंगल-जमीन के अपने अधिकारों के प्रति उन्हें जागरूक भी करेगी। इस चरणबद्ध कार्यक्रम का समापन 10 फरवरी को भूमकाल आंदोलन के वर्षगांठ पर किया जाएगा।

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