गैर-राज्यीय सेल्समैन धड़ल्ले से कर रहे हैं संभाग के मदिरा दुकानों में काम

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निष्पक्ष जांच के अभाव में बस्तर के आदिवासी बेरोजगारों को करना पड़ रहा अन्य राज्यों में पलायन

जगदलपुर – बस्तर जिले सहित संभाग के अन्य जिलों के शासकीय शराब दुकानों में सेल्समैन की नौकरी कर रहे कई कर्मचारी, फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनाकर इन दुकानों में धड़ल्ले से कार्य कर रहे हैं. समय के साथ ये कर्मचारी अपने एजेंसी के ठेकेदार सहित विभागीय अधिकारियों से सांठगाँठ कर दुकानों में ऐसी पैठ बना लिए हैं कि इन कर्मचारियों को हटाना तो दूर इन पर निष्पक्षता से जांच करने में भी सम्बंधित जिला आबकारी विभाग के पसीने छुट रहे हैं.

राजस्व कर्मचारियों से सांठगाँठ कर बनाये गए हैं फर्जी निवास प्रमाण पत्र

सूत्र बताते हैं कि शासकीय शराब दुकान के सेल्समैन, अन्य राज्यों से आकर बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों में राजस्व कर्मचारियों से सांठगाँठ कर अपना निवास प्रमाण पत्र बनाकर जिले के शराब दुकानों में सेल्समैन के पद पर फर्जी तरीके से नियुक्ति कर लिए हैं. इन कर्मचारियों के अंकसूची की जांच करने पर बड़े पैमाने में इस फर्जीवाड़े को उजागर किया जा सकता है.

प्लेसमेंट एजेंसी को कांग्रेस के बड़े नेताओं का प्राप्त है संरक्षण

बताया जा रहा है कि बस्तर जिले के प्लेसमेंट एजेंसी के ठेकेदार को कांग्रेस के बड़े नेताओं का संरक्षण प्राप्त है जिसके चलते मनमाना तरीके से बाहरी लोगों की भर्ती धड़ल्ले से यहाँ की गयी है. वहीँ, दूसरी ओर बस्तर जिले के आदिवासी शिक्षित बेरोजगार युवकों को अपने ही जिले में नौकरी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है और मजबूर होकर अन्य राज्यों में ये पलायन करना पड़ रहा है.

ठेका पद्दति के समय के कई गैर-राज्यीय सेल्समैन आज भी कर रहे नौकरी

बस्तर जिले की ही अगर बात करें तो यहाँ के दुकानों में अधिकांश सेल्समैन अन्य राज्यों से आकर काफी समय से कार्य कर रहे हैं. इनमें से कुछ तो उस वक़्त से कार्यरत हैं जब इन शराब की दुकानों को ठेका पद्दति से आबंटित किया जाता था, जिसमें अधिकतर उत्तर प्रदेश व बिहार राज्यों के सेल्समैन हुआ करते थे. अब इसी तथ्य से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस वक़्त अन्य राज्य से आये सेल्समैन को इन शासकीय दुकानों में स्थानीय बनाकर कैसे नौकरी दे दी गयी. हालाँकि, इस विषय पर अगर निष्पक्षता पूर्वक जांच होती है तो कहीं न कहीं इससे बस्तर व संभाग के स्थानीय आदिवासी बेरोजगार युवकों को नौकरी मिल सकेगी.

स्थानीय बेरोजगारों को नौकरी, क्या केवल एक ढकोसला?

राज्य शासन द्वारा विगत कई वर्षों से जनता के बीच यह बात कही जाती रही है कि किसी भी क्षेत्र के स्थानीय बेरोजगारों को वहां लगने वाले उद्योग अथवा शासकीय उपक्रमों में नौकरी के लिए प्राथमिकता दी जाएगी लेकिन, न तो सही तरीके से नगरनार स्टील प्लांट में इन आदिवासी बेरोजगारों को नौकरी आज पर्यंत मिल सकी और न ही बस्तर जिले के इन मदिरा दुकानों में. शहर में इस विषय पर चर्चा करने पर लोगों ने बताया कि स्थानीय बेरोजगारों को नौकरी के दिए जाने की बात केवल ढकोसला मात्र है और अब तो खयाली पुलाव भी साबित होने लगा है.