छत्तीसगढ़ मे कुप्रबंधन के चलते अधिकांश कृषि उपज मंडी समितियों को लगातार घाटा झेलना पड रहा है। कृषि उपज मंडी समितियों की आय बढाने के लिये और मितव्ययिता बरत घाटे की विषम परिस्थिति से उबरने के विए बोर्ड के रहुनमा गंभीरता से कदम उठाने की बजाय अनाप शनाप अव्यवहारिक और आर्थिक अधिभार बढाने वाला फरमान जारी उठाया जा रहा है। जैसे कि-कृषि उपज मंडी समिति- केशकाल के सचिव का अचानक स्वास्थ्य खराब होने पर कृषि उपज समिति-केशकाल के सचिव का काम चलाने के लिये सचिव पद का प्रभार स्थानिय उपनिरीक्षक को अथवा कोंडागाँव जिला के या समीपस्थ स्थान के किसी अधिकारी /कर्मचारी सौपने की बजाय केशकाल से लगभग 150-160 किलोमीटर दूर पखान्जूर समिति के सचिव को प्रभारी सचिव का पदभार निर्वाह करने फरमान आदेश जारी कर दिया गया। यह फरमान जारी करने के पूर्व शायद यह विचार नही किया गया कि इतने घुमावदार दूरी तक जा आकर उक्त ब्यक्ति कैसे अपने दायित्व का निर्वाह कर पायेगा-? इससे मंडी समिति की प्रबंधन /व्यवस्था पर क्या दुष्प्रभाव पडेगा -? और प्रभारी सचिव महोदय को इसके एवज मे कितना अधिक यात्रा भत्ता (टी ए – डी ए )देना पडेगा –??? राजधानी और संभाग मुख्यालय में सर्वसुविधा युक्त कार्यालय मे बैठे वरिष्ठ अधिकारियों को इस तरह के आत्मघाती फरमानो से कोई फर्क नही पड रहा है पर इसी तरह के छोटे छोटे अव्यवहारीक – आय घटाने और खर्च बढाने वाले फैसलों के चलते ही प्रदेश के कृषि उपज मंडियों का हाल बेहाल होते जा रहा है तथा दिवालिया होने की कगार पर पंहुचने जा रही है मंडी समितियां ।