नक्सल मोर्चे पर जूझती पुलिस मशीन नहीं इंसान है…

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जगदलपुर। धुर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के दोरनापाल थाने के प्रभारी सुरेश जांगड़े का एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान का पुराना वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें वे नृत्य करते बताये जा रहे हैं। बीते माह दोरनापाल मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था।

https://youtube.com/shorts/pcmZ-xeXfNY?feature=share

उसी मेले में धार्मिक आयोजन के दौरान आबकारी और उद्योग मंत्री कवासी लखमा को देवी के भाव आने और उनके द्वारा बस्तर की संस्कृति के अनुरूप अनुष्ठान करने की खबर सामने आई थी। उस मेले में आये लोगों के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रखा गया था। उस कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में स्थानीय कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत नृत्य किया था। व्यवस्था के लिए मौजूद थाना प्रभारी सुरेश जांगड़े ने जनप्रतिनिधियों के आग्रह पर कथित तौर पर कुछ क्षण नृत्य किया, जिसका वीडियो अब वायरल हो रहा है। वीडियो वायरल करने के पीछे मंशा क्या है, यह अलग बात है लेकिन नक्सल प्रभावित इलाके में जनता की हिफाजत के लिए दिन रात जूझने वाली पुलिस यदि लोक महोत्सव में कुछ पल जनता के साथ भागीदारी कर ले तो इसमें गलत क्या है? पहली बात तो यह है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में जनता का विश्वास जीतने के लिए पुलिस को जनता से आत्मीय व्यवहार कारगर साबित हो सकता है। दूसरी बात यह कि पुलिस कोई मशीनगन नहीं, बल्कि इंसान है। उसकी मानवीयता का अनर्थ लगाना जनता और पुलिस के बीच दूरी बना सकता है।