अर्जुन्दा :- परिस्तिथियां चाहे कितनी भी बड़ी क्यो ना हो, सच्ची लगन और जज्बे से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।ये कहानी है ऐसे ही होनहार और प्रतिभावान साहसी युवा की जिसने अपने सपने और खुद के बीच कभी गरीबी को आने नही दिया है। बालोद जिले के गुण्डरदेही विकासखंड के अन्तर्गत अर्जुन्दा ब्लाॅक से महज 3 किमी में बसा छोटा सा गांव डुड़िया जहा यशवंत कुमार टंडन रहते है। विगत दिनों 31 मई 2022 से 04 जून 2022 तक इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन द्वारा हिमाचल प्रदेश के जबाली अम्बाला (शिमला) में साहसिक शिविर का आयोजन किया गया था। राष्ट्रीय स्तर पर कराए गए साहसिक शिविर में देशभर के लगभग 70 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। 31 मई को राजनांदगांव रेलवे स्टेशन से तिरंगा लेकर हुए रवाना बालोद जिले के माउंटेन ट्रेकर यशवंत कुमार टंडन और माउंटेन ट्रेकर पल्लवी बारले 31 मई को राजनांदगांव रेलवे स्टेशन से रात 10:30 बजे समता एक्सप्रेस से नई दिल्ली के लिए रवाना हुए। जिसमें राजनांदगांव जिले के उमा विश्वकर्मा और उपासना के साथ रवाना हुए।
इन राज्यों के प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा जिनमें से राजस्थान से 3 प्रतिभागी, महाराष्ट्र (गोंदिया) से 4 प्रतिभागी, पश्चिम बंगाल से 1 प्रतिभागी, ललितपुर से 2 प्रतिभागी, छत्तीसगढ़ राज्य से कुल 63 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। जिसमें रायपुर से 27 प्रतिभागी, दुर्ग से 29 प्रतिभागी, राजनांदगांव से 2 प्रतिभागी, सरगुजा (अम्बिकापुर) से 1 प्रतिभागी और वही बालोद जिले से 3 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। जिसमें अर्जुन्दा ब्लाक के डुड़िया गांव के माउंटेन ट्रेकर यशवंत कुमार टंडन और गुण्डरदेही ब्लाक के ग्राम तवेरा से माउंटेन ट्रेकर पल्लवी बारले गुरूर ब्लाक के कनेरी गांव के निखिल यादव ने हिस्सा लिया।
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माउंटेन ट्रेकर यशवंत कुमार टंडन ने हिमाचल प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी जाखू टेंपल पर चढ़ाई करने से पहले कसोल ट्रैक 6000 फीट ऊंची ट्रैक की चढ़ाई की थी। उसके अगले दिन जाखू टेंपल की सफल चढ़ाई की। जिसमें माउंटेन ट्रेकर यशवंत कुमार टंडन ने तय समय पर शिमला की सबसे ऊंची चोटी जाखू टेंपल 9500 फीट पर पानी की एक बूंद भी पीएं बगैर व बिना कुछ खाए ही अपने टीम के 70 सदस्यों को पीछे छोड़ सबसे पहले चढ़कर तिरंगा लहराकर और अपना लोहा मनवाया और एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। माउंटेन ट्रेकर यशवंत कुमार टंडन और पल्लवी बारले ने चोटी पर पहुंचने के बाद भारत माता की जय, वंदे मातरम्, छत्तीसगढ़ महतारी की जय, छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया के जयकारे लगाए।
छात्र जीवन मे एन.सी.सी राष्ट्रीय कैडेट कोर और राष्ट्रीय सेवा योजना नेशनल सर्विस स्कीम में हिस्सा लेकर अपने व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करते हुए एन.सी.सी मे “ए” सर्टिफिकेट और एन.एस.एस में भी “ए” सर्टिफिकेट हासिल किया। अभी वर्तमान में शासकीय महाविद्यालय अर्जुन्दा में बी.ए. प्रथम वर्ष की पढ़ाई के साथ साथ राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवक है। और राष्ट्र एवं समाज हित सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले यशवंत कुमार टंडन अपने पिताजी को प्रेरणा का पुंज मानते है। पिताजी हूबलाल टंडन हमेशा से प्रोत्साहित किया है।माताजी सविता टंडन ने भी एक सच्चे इंसान बनने की शिक्षा बचपन से दिए है।
आपातकालीन स्तिथि में रक्तदान के लिए हमेशा तत्पर रहते है।अभी तक 2 बार रक्तदान दे चुके है। और मरणोपरांत नेत्रदान की भी घोषणा कर चुके हैं।माउंटनीयर बनने के ख्वाब लिए दिन की शुरुआत होती है।सपने को हकीकत में बदलने की कोशिश जारी है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर बालोद जिले का लगातार तीसरी बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं यशवंत। यशवंत ने खुद को दी चुनौती पानी की एक भी बूंद पीएं बगैर व बिना कुछ खाए 9500 फीट ऊंची चोटी जाखू टेंपल पर सबसे पहले कर ली चढ़ाई कहते हैं चुनौतियों स्वीकार कर लो तो सफलता कदम चूमेगी इस वाक्य को साबित करते हुए कुछ ऐसा ही कारनाम कर दिखाया है माउंटेन ट्रेकर यशवंत कुमार टंडन ने उन्होंने खुद की काबिलियत साबित करने और अपने शरीर की क्षमता को परखने के लिए यह जोखिम कदम उठाया ।
उन्होंने लक्षय लिया की जब तक मैं शिमला की सबसे ऊंची चोटी जाखू टेंपल पर तिरंगा ना लहरा दूं तब तक ना ही मैं पानी की एक भी बूंद पीऊंगा और ना ही कुछ खाऊंगा। खड़ी रास्तों के कारण चढ़ाई करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। गर्मी के कारण मुंह सूख रहे थे। सांसें तेज हो रही थी। दिल की धड़कनें तेज चलने लगी थी और पैर दर्द के मारे जवाब देने लग गए थे। शरीर में कमजोरी महसूस होने लग रही थी। लेकिन यशवंत ने हरा नहीं मानी निरंतर प्रयास और दृढ़ इच्छाशक्ति सदैव इंसान को शिखर की ओर ले जाती है दृढ़ इच्छाशक्ति और मजबूत इरादे के बल पर उन्होंने अपनी टीम के 70 सदस्यों को पीछे छोड़ सबसे पहले चढ़कर तिरंगा लहराकर यह एक नई कीर्तिमान रचने में सफल रहे। 9500 फीट ऊंची चोटी से दिया बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश हिमाचल प्रदेश के शिमला की सबसे ऊंची चोटी जाखू टेंपल जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 9500 फीट ऊंची चोटी से माउंटेन ट्रेकर यशवंत कुमार टंडन और माउंटेन ट्रेकर पल्लवी बारले ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया।
और बेटियों को शिक्षित करने के लिए लोगों को जागरूक और प्रेरित किया। और कहा कि बेटियां किसी से भी कम नहीं है और आज बेटियां हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। ऐसा कोई कार्य नहीं जो आज बेटियां नहीं कर रही हो हर क्षेत्र में बेटियां पुरुषों से उत्कृष्ट कार्य कर रही है। पल्लवी और यशवंत बताते हैं कि भविष्य में वह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा लहरा कर अपने बालोद जिले का मान बढ़ाना चाहते हैं। यशवंत और पल्लवी का यह तीसरी उपलब्धि है। इन लोगों ने की यशवंत की आर्थिक मदद
एक सामान्य परिवार में जन्मे यशवंत के माता-पिता कृषि कार्य करते हैं। वहीं खेती मजदूरी करके घर का खर्च चलाते हैं। राष्ट्रीय स्तर साहसिक शिविर में जाने के लिए यशवंत के पास पैसे भी नहीं थे। और घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण माता-पिता ने भी पैसे देने से मना कर दिया। लेकिन यशवंत ने हारा नहीं मानी उन्होंने अपनी बात तहसील अर्जुन्दा के तहसीलदार सुश्री ममता टावरी को बताई। फिर तहसीलदार ममता टावरी ने अपनी संवेदना और ममतामयी दिखाते हुए यशवंत को 2000 रूपए की स्वैच्छिक राशि प्रदान कर आर्थिक सहायता की।
साथ ही गुण्डरदेही विधानसभा क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक माननीय श्री कुंवर सिंह निषाद संसदीय सचिव छत्तीसगढ़ शासन एवं विधायक गुण्डरदेही विधानसभा क्षेत्र ने भी यशवंत को 5000 रूपए की राशि प्रदान कर मदद की। वहीं डुड़िया के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई के वैज्ञानिक डॉ सूर्ययप्रकाश देवांगन ने भी यशवंत को 1000 रूपए की आर्थिक सहायता राशि प्रदान की। वहीं सतनामी समाज छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष श्री राजेश चतुर्वेदी ने भी यशवंत को 1000 रूपए की आर्थिक सहायता राशि प्रदान की।माता-पिता ने कहा गर्व है हमें अपने बेटे पर
यशवंत कुमार टंडन के पिता श्री हूबलाल टंडन और मां श्रीमती सविता टंडन ने कहा कि बेटे ने राष्ट्रीय स्तर पर साहसिक शिविर में हिस्सा लेकर हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में स्थित शिमला की सबसे ऊंची चोटी जाखू टेंपल पर तिरंगा लहराकर छत्तीसगढ़ सहित बालोद जिले और अपने गांव, समाज और हमारा नाम रोशन किया है। हमें गर्व है अपने बेटे पर कि यशवंत हमारा बेटा है।
शासकीय महाविद्यालय अर्जुन्दा के राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वंय सेवक है यशवंत शासकीय महाविद्यालय अर्जुन्दा में अभी यशवंत कुमार टंडन बी.ए प्रथम वर्ष में अध्ययनरत हैं। और राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस) के सक्रिय स्वंय सेवक भी है। जो कि राष्ट्र विचार धारा के साथ निरंतर समाज हित और देश हित में कार्य करता रहता है। गांव आगमन पर पुष्पहारों व पुष्पगुच्छ से किया स्वागत,बेटे को देख मां के आंखों में आएं खुशी के आंसू यशवंत कुमार टंडन और पल्लवी बारले जब कैंप से अपने घर वापस लौटकर आए तब बस से उतरने के बाद उन दोनों का स्वागत उनकी पुष्पहारों, तिलक लगाकर, और आरती उतारकर काफी हार्षो उल्लास के साथ भव्य स्वागत किया गया। और बेटे के साहस और बहादुरी देख यशवंत ने मां सविता टंडन ने उन्हें अपने गले से लाकर रो पड़ी और कहा तुमने फिर एक बार हमारा नाम और बालोद जिले का नाम गौरवान्वित किया है। गांव पहुंचने के बाद भारत माता की जय, वन्दे मातरम,छत्तीसगढ़ महतारी की जय, छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया, के नारे लगाए।
इन लोगों ने दी बधाईयां व शुभकामनाएं इस साहसिक कार्य के लिए इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन के प्रेसिडेंट इफ्राहीम अहमद, राजनांदगांव जिले के प्रथम पर्वतारोही रोहित कुमार झा जो छत्तीसगढ़ से टीम का लीडर और साथ में नेशनल लीडर भी है।, पर्वतारोही संजय सिंह भोज, अर्जुन्दा तहसील के तहसीलदार सुश्री ममता टावरी, कुंवर सिंह निषाद संसदीय सचिव छत्तीसगढ़ शासन एवं विधायक गुण्डरदेही विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 61, जिला सतनामी समाज बालोद के समस्त पदाधिकारियों और अन्य लोगों ने यशवंत कुमार टंडन और पल्लवी बारले की उपलब्धि पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी।