बाहुड गोंचा पर्व पर रथयात्रा में शामिल होकर बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल जी ने विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना की एवं क्षेत्रवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की

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बस्तर विधायक ने कहा की रथ खींचने की पूर्व भगवान जगन्नाथ के मंदिर पहुंचे एवं विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना की और कहा की 15 दिन तक प्रभु जी को एक विशेष कक्ष में रखा जाता है जिसे ओसर घर कहते हैं इस 15 दिनों की अवधि में महाप्रभु को मंदिर के प्रमुख सेवकों और वैद्यों के अलावा कोई और नहीं देख सकता इस दौरान मंदिर में महाप्रभु के प्रतिनिधि अलारनाथ जी की प्रतिमा स्थपित की जाती हैं तथा उनकी पूजा अर्चना की जाती है 15 दिन बाद भगवान स्वस्थ होकर कक्ष से बाहर निकलते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं जिसे नव यौवन नैत्र उत्सव भी कहते हैं इसके बाद द्वितीया के दिन महाप्रभु श्री कृष्ण और बडे भाई बलराम जी तथा बहन सुभद्रा जी के साथ बाहर राजमार्ग पर आते हैं और रथ पर विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं और भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने उनसे नगर देखने की इच्छा जाहिर की तो वो उन्हें भाई बलभद्र के साथ रथ पर बैठाकर ये नगर दिखाने लाए थे कहा जाता है कि इस दौरान वो भगवान जगन्नाथ की अपने मौसी के घर गुंडिचा भी पहुंचे और वहां पर सात दिन ठहरे थे. अब पौराणिक कथा को लेकर रथ यात्रा निकाली जाती है |

जिसमें मौजूद रहे अध्यक्ष ईश्वर खम्बारी, बालक राम जोशी, दिनेश यदु, आयतु राम, सुकरू राम, दुलभ सूर्यवंशी,भॅवरलाल भारती, बुदरू राम, राजेश कुमार, मोना पाड़ी,एवं समाज सदस्य,समस्त कार्यकर्त्तागण उपस्थित रहे |