महामाया खदान में बीएसपी प्रबंधन ड्राइवरों का कर रहीं शोषण, भारतीय मजदूर संघ

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भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री मुशताक अहमद और खदान मजदूर संघ के अध्यक्ष एम पी सिंग ने संयुक्त रूप से विज्ञप्ति जारी कर बताया कि महामाया खदान में कार्यरत ठेका श्रमिकों की समस्याओं के जल्द से जल्द अगर बीएसपी प्रबंधन द्वारा निवारण नहीं किया जाता है तो संघ कड़े कदम उठाएयेगा । संघ के दोनों नेताओं ने बताया कि पूर्व में बीएसपी प्रबंधन को संघ के उप-महासचिव द्वारा महामाया खदान में कार्यरत ठेका श्रमिकों की समस्याओं को रखते हुए इनके त्वरित निवारण हेतु निवेदन किया गया था। और ईस सन्दर्भ में बीएसपी प्रबंधन के साथ संघ के प्रतिनिधिमंडल की चर्चा भी हुई थी जिसमें प्रबंधन द्वारा समस्याओं का निवारण तत्काल करने की बात कही गई थी किन्तु आज लगभग 03 माह बीतने के बावजूद समस्याएं आज भी यथावत बनी हुई हैं और उनके निवारण हेतु महामाया खदान प्रबंधन अथवा राजहरा खदान समूह प्रबंधन द्वारा किसी तरह की कारवाई होते नजर नहीं आ रही है।

इस तारतम्य में संघ द्वारा पुनः बीएसपी प्रबंधन के सामने समस्याओं को रखते हुए इनके निवारण की मांग की गई है एवं आशा की जाती है कि किसी तरह की प्रबंधन अड़ियल रवैया न अपनाते हुए महामाया खदान प्रबंधन एवं राजहरा खदान समूह प्रबंधन द्वारा श्रमिक हितार्थ आवश्यक समुचित कदम उठाये जावेंगे जिससे कि औद्योगिक सौहार्द भी बना रहे और उत्पादन पर भी किसी तरह का कोई विपरीत प्रभाव न पड़े । संघ के द्वारा प्रबंधन से की जाने वाली मांगें इस प्रकार से हैं आज राजहरा खदान समूह के सभी खदानों में प्रोडक्शन से जुड़े ट्रांसपोर्टिंग के ठेके में कार्यरत टिप्पर चालकों को शुरू से ही अति कुशल श्रेणी के कामगार का वेतन दिया जाता है। किन्तु महामाया में प्रोडक्शन से जुड़े ट्रांसपोर्टिंग के ठेके में कार्यरत उन ठेका श्रमिकों को, जो की महामाया अथवा आसपास के गांव से कार्य करने आते हैं, कुशल श्रेणी के कामगार का वेतन दिया जाता है जबकि इसी कार्य में लगे ऐसे ठेका श्रमिक जो कि राजहरा या अन्य दूसरी जगह से आकर वहां काम कर रहे हैं उन्हें अतिकुशल श्रेणी का वेतन दिया जाता है और प्रबंधन द्वारा इसके लिए उन्हें 15 वर्षों के अनुभव होने की बात कही जाती है।

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संघ द्वारा प्रबंधन के इस व्यवहार का पुरजोर विरोध किया जाता है और यह मांग की जाती कि महामाया खदान में उत्पादन से जुड़े ट्रांसपोर्टिंग के ठेके में कार्यरत टिप्पर परिचालकों को अति कुशल श्रेणी का वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जावे। क्योंकि जब राजहरा खदान समूह के सभी ट्रान्सपोटींग के ठेकों में ड्राइवरों को अतिकुशल श्रेणी का वेतन दिया जाता है तो यहां के श्रमिकों के साथ ऐसा क्यों? इससे तो ऐसा लगता है कि महामाया खदान प्रबंधन द्वारा जानबूझकर ठेके के नियम शर्तों से छेड़छाड़ किया जा रहा है।और ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिकों को उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। महामाया खदान प्रबंधन को बार बार बोलने के बाद भी अपने अडीयल रवैये से श्रमिकों का नुक़सान करने में लगे हुए हैं। जबकि आज खदान में एक छोटी गाड़ी चलाने वाले को भी कुशल श्रेणी का वेतन दिया जाता है और महामाया खदान में तो महामाया खदान प्रबंधन द्वारा अलग ही कानून चलाया जा रहा है ठेकेदार का के नियमों का पालन महामाया खदान प्रबंधन करते नजर आ रहे हैं जोकि बहुत ही शर्मनाक है। संघ के नेताओं ने बताया कि महामाया में कार्यरत कुछ ठेका श्रमिकों के मृत्यु उपरांत उनके आश्रितों को (अनुकंपा) मानवीय आधार पर नियुक्ति नहीं दी जा रही है। इस सन्दर्भ में महामाया खदान प्रबंधन का कहना है कि चूँकि अनुकम्पा नियुक्ति हेतु मृतक कर्मी के परिवार में उनकी पत्नियां हैं अतः महिलाओं को महामाया में अनुकम्पा नियुक्ति नहीं दी जावेगी , महामाया प्रबंधन का उक्त तर्क निराधार एवं महिलाओं के प्रति भेद भाव पूर्ण रवैया को उजागर करता है।

आज महिलाएं सभी जगह बराबरी से कार्य कर रही है और महामाया खदान प्रबंधन का यह कहना बहुत ही शर्मनाक है जिसका संघ पुरजोर विरोध करता है और यह मांग करता है कि अविलम्ब मृतक ठेका श्रमिकों के पत्नियों को महामाया खदान में ही अनुकम्पा नियुक्ति दी जावे ,जिस तरह राजहरा खदान समूह के अन्य ठेकों पर दी जा रही है। संघ के नेताओं ने बताया कि महामाया खदान में नए कार्य हेतु कार्यादेश दिया जा चुका है किन्तु ठेकेदार द्वारा पांच माह बीतने के बाद भी कार्य शुरू नहीं किया गया है और पुराने ठेकेदार को ही एक्सटेंशन आर्डर देकर पुराने रेट पर कार्य कराया जा रहा है जिससे कंपनी को नुक्सान होने की बात कही जा रही है। संघ यह मांग करता है कि अगर ठेकेदार द्वारा कार्य शुरू करने में कोताही बरती जा रही है तो तत्काल प्रभाव से रिस्क एंड कॉस्ट आधार पर उक्त निविदा को निरस्त किया जावे और नयी निविदा निकाली जावे जिसमें टिप्पर परिचालकों को अति कुशल श्रेणी का वेतन देना सुनिश्चित किया जावे। नये ठेके को समय पर प्रारंभ न करना महामाया खदान प्रबंधन की कार्यशैली को दर्शाता है और इसमें किसको लाभ हो रहा है ये भी जांच का विषय है क्योंकि जिस तरह राजहरा खदान समूह में कुछ अधिकारी ठेकों में खुलेआम धांधली करते पकड़े गए हैं तो महामाया खदान में भी सभी ठेकों की जांच होनी चाहिए। अगर महामाया खदान प्रबंधन अथवा राजहरा खदान समूह प्रबंधन द्वारा संघ की मांगों पर विचार करते हुए महामाया के श्रमिकों के हितार्थ प्रबंधन द्वारा समुचित कदम नहीं उठाये जाते हैं तो मजबूरन संघ को कड़े कदम उठाने हेतु बाध्य होना पड़ेगा जिससे होने वाले किसी भी तरह के नुकसान के लिए सिर्फ और सिर्फ महामाया खदान प्रबंधन एवं राजहरा खदान समूह प्रबंधन ही जिम्मेदार होंगे।