सुकमा वनमंडल से हरा सोना का अवैध परिवहन का जिम्मेदारी कौन?

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जगदलपुर सुकमा वनमंडल के कोंटा वन परिक्षेत्र के 3 समितियों से 10 हजार से अधिक मानक बोरा तेंदूपत्ता अवैध परिवहन कर शबरी पार उड़ीसा भेजे जाने की जांच का मामला ठंडे बस्ते में है। खबर है कि विभाग भी इस मामले में दोषी विभाग के अधिकारी एवं प्रबंधन को बचाव करने के तोड़ तोड़ में जुट गई है। उधर तीन समितियों के 9 हजार से अधिक संग्राहकों के भुगतान मामले में प्रशासन का रवैया भी ढुलमूल है। हरा सोना के ठेकेदार जेल से बाहर आने भुगतान करने के बाजाये बड़े महानगरों में सैर पर निकल चुके है। संग्राहक एक बार फिर सड़क पर उतरने की तैयारी में है। ज्ञातव्य हो कि सुकमा वन मंडल के कोंटा वन परिक्षेत्र के 3 समितियों में तेंदूपत्ता खरीदी घोटाले मामले में सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। सरकार के किरकिरी के बाद वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस मामले को लेकर अब भी गंभीर नहीं है। ऐसी चर्चा है कि विभाग के संरक्षण में ही तेंदूपत्ता की अवैध खरीदी एवं अवैध परिवहन मामले में विभाग की भूमिका भी संदिग्ध है। खबर है कि जिस प्रकार संबंधित ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई की गई है। तो कही न कही विभाग के अधिकारी एवं प्रबंधक भी उतने ही ज्मिेदार है। बड़े खिलाडिय़ों को बचाने की कवायद : तेंदूपत्ता के तस्करी मामले में जांच के आदेश तो दिये गये है जिसमें दंतेवाड़ा एवं सुकमा के एसडीओ द्वारा मामले की जांच को लेकर महज एक औपचारिकता पूरी की जा रही है। खबर यह भी है कि मामले में संलिप्त वन विभाग के कुछ कर्मचारी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। उन संलिप्त कर्मचारी पर गाज गिरी तो कई अधिकारी पर भी जांच की आंच आ सकती है। अधिकारियों तक जांच न पहुंचे इसके पहले ही बड़े खिलाडिय़ों को बचाने की कवायद की जा रही है। जांच शुरू किए एक माह से अधिक का समय निकल चुका है लेकिन अब तक यह खुलासा नहीं हो पाया है कि अवैध परिवहन को लेकर जिम्मेदारी कौन है जबकि नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण पुलिस हमेशा उन इलाको में चौकन्ना रहा करती है फिर भी इतनी मात्रा में अवैध परिवहन होना पुलिस विभा के कार्यप्रणाली पर भी संदेह उत्पन्न करता है। संग्राहक को भुगतान का इंतजार: कोंटा रेंट के तीन समितियों के 10 से अधिक गांव के लगभग 9 हजार से अधिक संग्राहको को एक करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान नहीं हो पाया है जो आज भी भुगतान को लेकर भटक रहे है। तेंदूपत्ता के ठेकेदारों के गिरफ्तारी से संग्राहकों में यह आस जगी थी कि पुलिस उन संग्राहकों को भुगतान दिलाने में सफल हो पायेगी और पुलिस उन ग्रामीणों के विश्वास जीतने में सफल होगी। पुलिस के जांच में ढुलमूल रवैया के कारण हजारों संग्राहकों को एक बार फिर मायूसी हाथ लगी है। ऐसी खबर है कि संग्राहकों द्वारा थाने में भी शिकायत कर ठेकेदार के खिलाफ बयान दर्ज कराया गया था। जांच मामले में विभाग के जिम्मेदारी अधिकारी भी चुप्पी साधे हुए है। संग्राहको का भुगतान कब होगा कोई भी जिम्मेदार अधिकारी स्पष्ट नहीं कर रहे है। जिला प्रशासन के जिम्मेदारी अधिकारी भी गोलमोल जवाब देते हुए इस मामले में दुरियां बना ली है।