जल संसाधन विभाग में बड़ा घोटाला बिना कार्य कराए लाखों रूपए डकारने का आरोप

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अर्जून झा

जगदलपुर जल संसाधन विभाग बीजापुर के कार्यपालनयंत्री पर डेम मरम्मत की आड़ में करीब लाखों रूपये का गबन करने संबंधी गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले को लेकर सत्तापक्ष के एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि ने कार्यपालनयंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस को आवेदन दिया है। राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, राजस्व विभाग, जन विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग जैसे अनेक विभाग हैं, जो भ्रष्टाचार और सरकारी धन की बंदरबांट के मामले में कुख्यात हैं। अब तो बेदाग माने जाने वाले शिक्षा विभाग पर भी भ्रष्टाचार की कालिख लग चुकी है।हाल ही में विकास खंड शिक्षा अधिकारी जगदलपुर से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आ चुका है।प्रदेश शासन का जल संसाधन विभाग तो भ्रष्ट अधिकारियों के लिए ……के खजाने से कम नहीं है। बारहों माह इस खजाने की लूट मची रहती है। विभाग टाईम कीपर, सब इंजीनियर से लेकर कार्यपालन यंत्री और अन्य वरिष्ठतक अधिकारी तक इस लूट में भागीदार होते हैं।बारिश का मौसम हो या सूखे का, इन कर्मियों व अधिकारियों की अवैध कमाई धड़ल्ले से चलती रहती है। मरम्मत के कार्य हो या फिर नए निर्माण हर काम में बेतहाशा अवैध कमाई होती है। छोटे-मोटे निर्माण और मरम्मत के कार्य सिर्फ कागजों पर कराए जाते हैं और ऐसे कार्यों के नाम पर राशि-रकम अफसरों की जेब में समा जाती है।ऐसा ही एक बड़ा घोटला जल संसाधन विभाग के बीजापुर कार्यालय में उजागर हुआ है। मिली जानकारी के अनुसार जल संसाधन विभाग बीजापुर के अधीन स्टापडेम मरम्मत कार्य के लिए प्रति डेम 9 लाख रू़ के मान से कुल 13 कार्याें के लिए 1 करोड़ 17 लाख रूपए की मंजूरी जिला पंचायत बीजापुर एवं जिला निर्माण समिति बीजापुर द्वारा प्रदान की गई थी। स्वीकृत राशि में प्रत्येक कार्य के लिए राष्टीय रोजगार गारंटी मद से 4.50 लाख रूपए एवं डीएसएफ मद से भी 4.50 लाख रूप्ए शामिल थी। कलेक्टर बीजापुर ने इन कार्यों के लिए प्रशासनिक स्वीकृति दी थी। इस हेतु जल संसाधन विभाग बीजापुर को कार्य एजंेसी नामित्त किया गया था। जून से लेकर अगस्त 2022 के अंत तक भारी बरसात के चलते किसी भी तरह का निर्माण एवं मरम्मत कार्य किसी भी सूरत में संभव नहीं था, बावजूद बीजापुर में मरम्मत कार्य दर्शाकर बड़ा खेला कर दिया गया। माप पुस्तिका में दर्ज किये बिना ही जिला पंचायत द्वारा स्वीकृत सरकारी राशि का गबन कर लिया गया। बाक्स—-जीएसटी का भी फर्जीवाड़ा आरोप है िकइस मामले में जीएसटी का भी फर्जीवाड़ा किया गया है। शिकायर्ता के अनुसार स्टापडेम में मरम्मत कार्य के नाम पर कोर्राम गणपत को 18 लाख 61 हजार 430 रूपए भुगतान किया जाना बताया गया है एवं इस व्यक्ति के नाम से फर्जी जीएसटी अंकित कर फर्जी बिल लगाए गए और लाखों रूपए आहरित कर लिए गए। बताया गया है कि कथित कोर्राम गणपत के नाम से न तो क्रय-विक्रय का बिल है और न ही वह जीएसटी के लिए शासन द्वारा रजिस्टर्ड है। इस तरह दोहरी जालसाजी करते हुए शासन को लाखों की चपत लगा दी गई।बाक्स—पहले भी आ चुके हैं पकड़ में शिकायतकर्ता राज्य युवा आयोग के सदस्य अजय सिंह ने बताया है कि उक्त कार्यपालनयंत्री इस पद पर पदोन्नति से पहले भोपालपटनम में जल संसाधन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी थे। उस दौरान भी उन पर 29 लाख 67000 रू की गड़बड़ी के आरोप लगे थे। और अनुविभागीय दंडाधिकारी द्वारा की गई जांच में आरोप सही पाया गया था तब अनुविभागीय दंडाधिकारी ने एसडीओ जो कि मौजूदा समय में बीजापुर में जल संसाधन विभाग के कार्यपालनयंत्री है, के खिलाफ जांच प्रतिवेदन कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया था। प्रतिवेदन में एसडीएम ने उक्त अधिकारी के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने एवं गबन की गई रकम की वसूली उनसे करने सिफारिश की थी। इस प्रतिवेदन पर जिला प्रशासन ने आश्चर्य ढंग से किसी तरह की कार्यवाई नहीं की।शिकायतकर्ता अजय सिंह ने बीजापुर थाना प्रभारी को दिए गए शिकायत पत्र में कार्यपालनयंत्री एम एल टंडन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर डकारी गई रकम की वसूली की मांग की है।