छुड़ाए गए तेलंगाना में बंधक बस्तर के 24 मजदूर

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  • Llप्लाईवुड फैक्ट्री मालिक ने जप्त कर लिए थे श्रमिकों के एटीएम और आधार कार्ड-
    -बिना मजदूरी दिए लगातार कराया जा रहा था काम
  • संसदीय सचिव रेखचंद जैन की पहल पर मिली मुक्ति
    जगदलपुर. तेलंगाना में बंधक बनाए गए बस्तर संभाग के दो दर्जन मजदूरों को आज मुक्त कराकर ले आया गया. इस मामले में संसदीय सचिव एवं क्षेत्रीय विधायक रेखचंद जैन की पहल पर जिला एवं पुलिस प्रशासन ने सजगता के साथ त्वरित कार्रवाई की. छुड़ाए गए मजदूरों को फैक्ट्री मालिक से मजदूरी के बकाया करीब तीन लाख रूपये का भुगतान भी कराया गया. मालिक ने मजदूरों के विभिन्न दस्तावेज भी छीन रखे थे, जिन्हें भी वापस दिलाया गया.
    रोजी रोटी की तलाश में तेलंगाना गए बस्तर व कोंडागांव जिले जिले के 5-5, दंतेवाड़ा व नारायणपुर जिले 4-4 तथा बीजापुर व कांकेर जिले के 3-3 मजदूरों को फैक्ट्री मालिक के चंगुल से छुड़ाया गया है. इन मजदूरों को तेलंगाना के विकाराबाद और रंगारेड्डी जिलों में संचालित हैदराबाद प्लाईवुड कंपनी में काम पर रखा गया था. फैक्ट्री मालिक ने इन मजदूरों के आधार कार्ड, एटीएम कार्ड तथा अन्य दस्तावेजों को छीन लिया था. वहीं मजदूरों से लगातार काम लेने के बावजूद उन्हें मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया जा रहा था. मजदूरों ने अपने शोषण की जानकारी किसी तरह अपने परिजनों व अन्य ग्रामीणों तक पहुंचाई. इसके बाद नेतानार ग्राम के ग्रामीण संजय नाग ने जगदलपुर के सजग विधायक व संसदीय सचिव रेखचंद जैन को मामले से अवगत कराया. श्री जैन ने तत्काल स्थानीय कलेक्टर चंदन कुमार इस गंभीर प्रकरण से अवगत कराया और बंधक बनाए गए मजदूरों की सकुशल रिहाई जल्द से जल्द सुनिश्चित करने के लिए कहा. कलेक्टर ने फ़ौरी कार्रवाई करते हुए मजदूरों की रिहाई के लिए एक टीम का गठन किया. इस टीम में राजस्व निरीक्षक जगन्नाथ चालकी, श्रम निरीक्षक नमिता जॉन पुलिस के प्रधान आरक्षक धनसिंह बघेल व आरक्षक जयंती कश्यप को शामिल किया गया था. टीम ने तेलंगाना पहुंचकर विकाराबाद के कलेक्टर से संपर्क किया. वहां के जिला और पुलिस प्रशासन के सहयोग से सभी 24 श्रमिकों को फैक्ट्री मालिक के चंगुल से मुक्त करा लिया गया. मजदूरों के छीने गए सभी दस्तावेज तथा रोकी गई मजदूरी के 2 लाख 63 हजार 100 रूपये का भुगतान भी कराया गया. इन सभी मजदूरों को लेकर टीम आज जगदलपुर लौट आई. श्रमिकों ने यहां कलेक्टर चंदन कुमार से मुलाक़ात की. श्रमिकों को समझाईश दी गई की वे काम की तलाश में जिले या राज्य से बाहर जाने से पहले इसकी सूचना पंचायत सचिव को अनिवार्य रूप से दें. इसके बाद यहां के श्रम पदाधिकारी पंकज बिचपुरिया द्वारा बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बीजापुर तथा कांकेर जिलों के श्रम पदाधिकारियों के सहयोग से सभी मजदूरों को उनके गृह ग्रामों के लिए रवाना कर दिया गया.
    ऐसे ही सजग हों सभी रहनुमा
    दूसरे राज्य हों या फिर छत्तीसगढ़ के दीगर जिले, हर जगह बस्तर के आदिवासियों और मजदूरों का शोषण होता ही है, लेकिन अगर जनप्रतिनिधि चौकन्ने और अपनी अवाम के प्रति जिम्मेदार हों, तो मजदूरों को शोषकों के चंगुल से ठीक उसी तरह बचाया जा सकता है, जैसे उक्त मजदूरों को बचाया गया. संसदीय सचिव एवं विधायक रेखचंद जैन बस्तर के वनपुत्र श्रमिकों की रिहाई के लिए जिस जिम्मेदारी, साजगता और संजीदगी का परिचय दिया, वह काबिले तारीफ़ है. अगर छत्तीसगढ़ के सारे रहनुमा रेखचंद जैन जैसे हो जाएं, तो मजदूरों का शोषण नहीं हो सकेगा. फैक्ट्री मालिक के चंगुल से मुक्त होकर लौटे श्रमिकों के चेहरों पर ख़ुशी अलग ही झलक रही थी. इन श्रमिकों ने संसदीय सचिव जैन, कलेक्टर चंदन कुमार तथा पुलिस प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया.