भानुप्रतापपुर में सावित्री और ब्रम्हानंद के बीच मुकाबला

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  • श्रीमती मंडावी रह चुकी हैं शिक्षिका, ब्रम्हानंद का सियासी सफर सरपंच से विधायक तक
  • शैक्षणिक योग्यता में एक ग्रेजुएट, तो दूसरा है बारहवीं उत्तीर्ण
  • पति मनोज मंडावी की विरासत सम्हालने का मौका मिलेगा कांग्रेस की प्रत्याशी सावित्री मंडावी को ?
  • दूसरी बार विधायक की कुर्सी नसीब हो पाएगी भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम को ?


अभय शर्मा
कांकेर। भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट के उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी और भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम के बीच मुकाबला होगा। नामांकन दाखिले के साथ क्षेत्र में चुनावी घमासान शुरू हो गया है। अब देखना यह है कि सावित्री मंडावी को पति स्व. मनोज मंडावी की विरासत सम्हालने का मौका मिलेगा या फिर ब्रम्हानंद नेताम के सिर पर एक बार और विधायकी का ताज सजेगा ?
भानुप्रतापपुर सीट का चुनावी इतिहास बड़ा ही रोचक और रोमांचक रहा है। इस विधानसभा क्षेत्र में मुख्यतः कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुकाबला होता आया है। तीसरे दल की उपस्थिति इस क्षेत्र में नगण्य ही है। भानुप्रतापपुर में कभी कांग्रेस का परचम लहराता है, तो कभी भाजपा का। दस साल पहले यह सीट भाजपा के कब्जे में थी। उसके बाद अब तक लगातार दस साल कांग्रेस इस सीट पर काबिज रही है। क्षेत्र के कांग्रेस विधायक एवं छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे मनोज मंडावी का बीते 16 अक्टूबर को निधन हो गया। उनके देहावसान के बाद यह सीट खाली हुई है। कांग्रेस ने इस सीट के उप चुनाव में स्व. मनोज मंडावी की धर्मपत्नी सावित्री मंडावी को प्रत्याशी घोषित किया। वहीं भाजपा ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पहले भी कर चुके ब्रम्हानंद नेताम पर दांव खेला है। दोनों ही प्रत्याशी गोंड़ जनजाति से आते हैं और समाज में दोनों की पैठ लगभग बराबर है। कांकेर जिले की चारामा तहसील के तेलगरा गांव की निवासी करीब 56 वर्षीया सावित्री मंडावी ने पं. रविशंकर शुक्ल विवि से बीएचएससी स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की है। वे 33 वर्ष तक शासकीय शिक्षिका रहीं और फिर उन्होंने सेवानिवृत्ति ले ली। वहीं ब्रम्हानंद नेताम चारामा तहसील के ही गांव कसावाही के निवासी हैं। उन्होंने बारहवीं तक की शिक्षा हासिल की है। वे कसावाही ग्राम पंचायत के सरपंच रह चुके हैं। भाजपा में उनका सफर शक्ति केंद्र प्रभारी के रूप में शुरू हुआ और मंडल उपाध्यक्ष एवं प्रदेश उपाध्यक्ष तक जा पहुंचे।
सावित्री को विरासत में मिली है सियासत
कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी को सियासत तो विरासत में मिली है। स्व. मनोज मंडावी के पिता एवं सावित्री मंडावी के ससुर हरिशंकर सिंह ठाकुर अविभाजित मध्यप्रदेश में कांकेर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे। वहीं मनोज मंडावी भानुप्रतापपुर के विधायक रहे हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे मनोज मंडावी सामाजिक गतिविधियों में हमेशा सक्रिय रहते थे। उनकी धर्मपत्नी सावित्री मंडावी भी आदिवासी समाज के साथ ही अन्य जातियों और समाजों की गतिविधियों एवं क्रियाकलापों में भी सक्रिय भागीदारी निभाती आ रही हैं। समाज के सभी वर्गों से उनकी बेहतर तालमेल है। इस तरह सावित्री मंडावी को राजनीतिक और सामाजिक सरोकार विरासत में मिला है। पति के विधायक रहते वे भी सार्वजनिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर भाग लेती रही हैं। अब देखना होगा कि उन्हें सियासी विरासत को सम्हालने का मौका क्षेत्र के मतदाता देंगे या नहीं? वैसे चर्चा है कि मनोज मंडावी के असमय निधन से सावित्री मंडावी के पक्ष में सहानुभूति की लहर है। वहीं दूसरी ओर राज्य में कांग्रेस की सरकार रहने का भी लाभ उन्हें मिल रहा है।
ब्रम्हानंद : शून्य से शिखर तक
ब्रम्हानंद नेताम को राजनीति ने शून्य से शिखर तक पहुंचाया है। वे पहले भाजपा के आवरी शक्ति केंद्र अध्यक्षफिर चारामा मंडल उपाध्यक्ष, कसावाही के सरपंच बने। 2008 में नेताम भानुप्रतापपुर से विधायक चुने गए। तब उन्होंने कांग्रेस के बागी मनोज मंडावी और कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पोटाई को हराया था। नेताम भाजयुमो की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य और भाजपा मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय मंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में वे भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। अब देखना है कि ब्रम्हानंद का ब्रम्हास्त्र कितना कारगर साबित होगा?