- नगरनार स्टील प्लांट प्रबंधन ने सीएसआर मद से ग्राम पंचायत को दिए हैं करोड़ों रुपए
- बाजार में न शेड बनाए गए और ना ही सुविधायुक्त प्लेटफार्म
नगरनार विकास खंड जगदलपुर की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत नगरनार में भ्रष्टाचार के मामले भी बड़े बड़े सामने आ रहे हैं। ग्राम पंचायत के खेवनहार शासन और उद्योगों से मिलने वाले धन के सहारे अपनी नैया पार लगा रहे हैं। सरपंच, सचिव और कुछ पंच ग्राम पंचायत को विभिन्न मदों से मिलने वाली रकम की बंदरबांट करने में मशगूल हैं। नगरनार इस्पात संयंत्र से मिले करोड़ों रु. का भी गोलमाल किया गया है। यह रकम बाजार स्थल के सौंदर्यीकरण के लिए दी गई थी, लेकिन अनियमितता बरतते हुए कार्य निम्न स्तर का कराया गया और रकम डकार ली गई।
इस मसले को लेकर गांव में अब विरोध के स्वर उठने लगे हैं। नगरनार के रास्ते बस्तर संभाग का भाग्योदय होने जा रहा है। यहां विशाल इस्पात संयंत्र की स्थापना हो चुकी है। इस स्टील प्लांट के लगने से ढेरों सहायक उद्योगों की भी स्थापना के द्वार खुल गए हैं तथा बस्तरिहा युवाओं और मजदूरों के लिए रोजगार की अपार संभावनाएं भी उभरने वाली हैं। ऐसी सुखद अनुभूति के बीच भ्रष्टाचार की काली छाया भी जगदलपुर जनपद की इस सबसे बड़ी ग्राम पंचायत पर मंडराती नजर आने लगी है। शासन से विभिन्न मदों और योजनाओं के तहत नगरनार ग्राम पंचायत को मिलने वाली राशि की अफरा तफरी की बात समय समय पर सामने आती रही है, लेकिन अब बड़े पैमाने पर शासन तथा इस्पात संयंत्र की ओर से दी जाने वाली रकम की भी जमकर बंदरबांट होने लगी है। मिली जानकारी के अनुसार नगरनार इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने कुछ माह पहले अपनी सीएसआर स्कीम के तहत बाजार स्थल के सौंदर्यीकरण के लिए नगरनार ग्राम पंचायत को करोड़ों रुपए आवंटित किए थे। सरपंच, सचिव और कुछ पंचों ने आपसी सांठगांठ कर इस रकम के बड़े हिस्से को आपस में बांट लिया तथा थोड़ी बहुत राशि से सौंदर्यीकरण के नाम पर मामूली और पूरी तरह गुणवत्ता विहीन कार्य कराए। बाजार में फुटकर व्यापारियों की दुकानें लगाने के लिए आधा फुट से भी कम ऊंचे चबूतरे बनवाए गए हैं। चबूतरों के निर्माण के लिए बहुत ही कम मात्रा में सीमेंट तथा अन्य सामग्री का उपयोग किया गया है। चबूतरों की ऊपरी सतह का भराव सीमेंट कांक्रिट से ना कर मिट्टी भरवा दी गई है। चबूतरे अभी से टूट फूट गए हैं। वहीं नालियों का निर्माण भी स्तरहीन कराया गया है। इन नालियों से बरसाती पानी के साथ ही दुकानों व आसपास के घरों से निकलने वाली गंदगी की समुचित निकासी नहीं हो पाती। बाजार स्थल का समतलीकरण भी ढंग से नहीं कराया गया है तथा वहां मिट्टीयुक्त मुरुम डलवाई गई है। इसके चलते हल्की बरसात होने पर पूरे बाजार परिसर में कीचड़ ही कीचड़ हो जाता है। कीचड़ की वजह से खरीदारों और व्यापारियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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शेड लगवाए ही नहीं गए
बाजार स्थल पर दुकानों के लिए कहीं कहीं शेड लगवाए गए हैं तथा अधिकांश चबूतरों पर शेड बनाए ही नहीं गए हैं। जो शेड बनवाए गए हैं, वे भी भ्रष्टाचार की कहानी को बयां कर रहे हैं। स्तरहीन शेड उखड़ कर गिर गए हैं। वहीं अनेक चबूतरों पर शेड लगाने के नाम से महज लोहे के पाइप, रॉड आदि के ढांचे मात्र लगाकर छोड़ दिए गए हैं। लोहे के ये पाइप और रॉड जंग लगने से खराब होते जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पंचायत के खेवनहारों ने कार्य की पूर्णता सिर्फ दस्तावेजों में दर्शा कर राशि हजम कर ली है। बरसात के दिनों में व्यापारियों को तालपत्री या फिर प्लास्टिक लगाकर अपने सामानों का बचाव करना पड़ता है। पंचायत द्वारा व्यापारियों से पसरा टैक्स के रूप में अच्छी खासी रकम वसूली जाती है, लेकिन उन्हें जरा भी सुविधा प्रदान नहीं की जाती।
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गंदगी से भरी हैं नालियां
ग्राम पंचायत द्वारा बाजार स्थल पर जो नालियां बनवाई गई हैं, वे भी भ्रष्टाचार की गवाही खुले तौर पर दे रही हैं। नालियों के निर्माण में न तो तकनीकी पहलुओं का ध्यान रखा गया और ना ही गुणवत्ता का। नालियों से पानी और गंदगी का बहाव नहीं हो पा रहा है। सभी नालियों में झिल्ली पन्नी, कागजों और अन्य वस्तुओं का जमाव हो गया है। बरसात के दिनों में पूरा बाजार स्थल पानी से लबालब हो जाता है।
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कहां जाती है सफाई की रकम ?
नगरनार ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच रैनू राम बघेल के मुताबिक ग्राम पंचायत को बस्ती और बाजार स्थल की सफाई के लिए हर छह माह में 16 लाख रुपए मिलते हैं, लेकिन यह रकम आखिर किनकी जेबों में समा जाती है? यह सवाल मुंहबाए खड़ा है। बस्ती, बाजार स्थल और नालियों की सफाई सालों से नहीं कराई गई है। चारों ओर गंदगी का साम्राज्य देखने को मिल रहा है। पंचायत के वर्तमान प्रतिनिधियों की भूमिका जांच के दायरे में है। रैनूराम बघेल तथा अनेक ग्रामवासियों ने ग्राम पंचायत में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच कराने व दोषी पंचायत प्रतिनिधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। रैनू राम बघेल ने नगरनार इस्पात संयंत्र प्रबंधन से सीएसआर मद से दी गई राशि से कराए गए कार्यों की जांच अपने टेक्निकल एक्सपर्ट से कराने एवं रकम की रिकवरी दोषी पंचायत प्रतिनिधियों से करने की मांग उठाई है।