- वृद्धावस्था आते ही मोह छोड़ मोहन को अपनाएं: कृष्णा महाराज
जगदलपुर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा गोवा मुक्ति संगठन सदस्य खूबीराम कश्यप जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर मां दंतेश्वरी मंदिर की यज्ञशाला में भागवत महापुराण आयोजित किया गया है। गुरुवार को भागवत कथा सप्ताह के दूसरे दिन राजा परीक्षित की कथा बाचते हुए उन्होंने कहा कि पेड़ हो या पुरुष सब के अंदर एक ही जीव है। पत्तों से पेड़ का तो मानव वस्त्र से शरीर को ढकता है। सभी जीवों की अपनी अवस्था होती है। मनुष्य को वृद्धावस्था आते ही मोह छोड़ कर मोहन को अपनाना चाहिए ।
धनार्जन की दौड़ में लोग अपनों से दूर हो गए हैं। जीवन भर धन – धन कहते हुए, मर गए। बच्चो ने शोकपत्र में छपवाया कि पिता का निधन हो गया है, इसलिए अर्थ के पीछे जीवन भर दौड़ने वाले व्यक्ति की अंतिम यात्रा को अर्थी कहा जाता है। हर दिन को जीवन का अंतिम दिन मान कर परलोक सुधारने के कार्य में लगे रहें। धर्म की साथ जाता है इसलिए कहा जाता है, धर्म करो। सर्पदंश से सात दिनों बाद मौत का वरण करने वाले राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा बाचते हुए उन्होंने बताया कि राजा को चिरंजीवी करने इंद्र अमृत कलश लेकर पहुंचे थे लेकिन अमरत्व की लालसा छोड़ परीक्षित ने भागवत कथा का रसपान कर मोक्ष प्राप्त किया चूंकि अमृत रसपान किए देवता ही दानवों से बार – बार पराजित हो, भागते रहे हैं। ज्ञानामृत पीने वाले का यमराज भी स्वागत करते हैं। भागवत श्रवण सभी को करना चाहिए। भागवत महापुराण पूरी तरह से वैज्ञानिक है। बताया गया ज्ञानयज्ञ सप्ताह के तीसरे दिन शुक्रवार को दोपहर एक बजे से प्रहलाद प्राकट्य की कथा सुनाई जाएगी।