मालगांव हादसे पर राज्य सरकार बनी हुई है संवेदनहीन : कश्यप

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  • हर मृतक के परिवार को 1 करोड़ और घायलों को 20 – 20 लाख मुआवजा दे भूपेश सरकार

बकावंड इस विकासखंड के ग्राम मालगांव में छुई मिट्टी खदान धसकने से हुई छह लोगों की मौत को लेकर प्रदेश भाजपा के महामंत्री एवं छ्ग शासन के पूर्व मंत्री केदार कश्यप आज भूपेश बघेल सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी दुर्घटना के बाद भी राज्य सरकार अब तक संवेदनहीन बनी हुई है। कश्यप ने राज्य सरकार से हर मृतक के परिवार को एक करोड़ रु. और घायलों को 20- 20 लाख रु. का मुआवजा देने की मांग की है। केदार कश्यप शुक्रवार को मालगांव पहुंचे थे। उन्होंने मृतकों के परिजनों से भेंटकर संवेदना जताई तथा घटना स्थल का मुआयना भी किया।

घटना स्थल के पास पत्रकारों से चर्चा करते हुए केदार कश्यप ने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार का सारा अमला सो रहा है। वन विभाग, राजस्व विभाग और खनिज विभाग ने इस दुखद घटना पर जरा भी गंभीरता एवं सदाशयता नहीं दिखाई। इन विभागों के अधिकारी सोते रहे। उन्होंने आज तक घटना स्थल का दौरा करने तथा हताहत लोगों के परिवारों से मुलाकात करने की जरूरत भी नहीं समझी। जबकि उनका दायित्व है कि वे पीड़ितों की हरसंभव मदद करें। कश्यप ने कहा कि भूपेश बघेल सरकार में माफिया हावी हो गए हैं। माफियाओं के इशारे पर सारा काम हो रहा है। कश्यप ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार की संवेदना पूरी तरह मर चुकी है। उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी में मृत लोगों को भूपेश बघेल सरकार ने 50 – 50 लाख रु. का मुआवजा देने में जरा भी देर नहीं की। वहीं मालगांव के छुई मिट्टी खदान हादसे में मृत आदिवासी भाई, बहनों को देने के लिए इस सरकार के खजाने में रकम नहीं है। मुख्यमंत्री ने महज 4 – 4 लाख का मुआवजा देने की घोषणा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। पूर्व मंत्री कश्यप ने छुई मिट्टी खदान हादसे के मृतकों को एक – एक करोड़ रु. तथा घायलों को 20 -20 लाख रु. बतौर मुआवजा देने की मांग राज्य सरकार से की है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी दुर्घटना की राज्य सरकार द्वारा जांच न कराना कई संदेहों को जन्म दे रहा है। उन्होंने मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की। कश्यप ने घटना के लिए वन विभाग, राजस्व विभाग तथा खनिज विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही तय कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि छुई मिट्टी खदान वाली जमीन वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में है। इसलिए पहली जवाबदेही वन विभाग की बनती है। जबकि दूसरी जवाबदेही खनिज विभाग और राजस्व विभाग की है। इन तीनों विभागों के जिम्मेदार क्षेत्रीय अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया जाना चाहिए।
फारेस्ट रेंजर पर हो कार्यवाही
भाजपा के प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप वन विभाग के के अधिकारियों को भी आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि छुई मिट्टी खदान वन विभाग की जमीन पर स्थित है। खदान की काफी गहराई तक खोदाई सड़क निर्माण करा रहे भदौरिया ठेकेदार ने करा डाली है। खदान से मिट्टी निकालकर सड़क निर्माण में उपयोग की जाती रही। इस पर रोक लगाने के लिए वन विभाग के क्षेत्रीय रेंजर ने कोई पहल नहीं की। इससे ठेकेदार से रेंजर की मिलीभगत की संभावना को बल मिलता है। उन्होंने कहा कि रेंजर पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि बकावंड में पदस्थ वन विभाग के रेंजर राजकुमार ध्रुव पर पहले भी अनेक संगीन आरोप लग चुके हैं। डालियों की छंटाई की आड़ में सागोन तथा अन्य कीमती प्रजाति के पेड़ों की बड़े पैमाने पर अवैध कटाई कराने, विधायक मद से देवगुड़ी निर्माण में आर्थिक गड़बड़ी करने, जंगलों की सुरक्षा के लिए कराए गए निर्माण कार्य में अनियमितता बरतने जैसे गंभीर आरोपों के साथ ही खुलेआम राजनैतिक गतिविधियों में भाग लेने के भी आरोप लग चुके हैं। देवगुड़ी निर्माण में गड़बड़ी को लेकर विधायक लखेश्वर बघेल द्वारा रेंजर ध्रुव को सार्वजनिक रूप से फटकार भी लगाई जा चुकी है।