- बारसूर थी भगवान कृष्ण के नाती अनिरुद्ध की ससुराल
जगदलपुर मां दंतेश्वरी मंदिर की यज्ञशाला में आयोजित भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन मंगलवार को भागवताचार्य पं. कृष्ण कुमार तिवारी ने बस्तर की पौराणिक नगरी बारसूर की कथा सुनाते हुए बताया कि द्वापर युग में बारसूर भगवान श्रीकृष्ण के नाती अनिरुद्ध की ससुराल थी। 143 मंदिर और तालाबों के लिए चर्चित बारसूर बाणासुर की नगरी थी। भगवान शिव ने बाणासुर को सचेत किया था कि जिस दिन महल का ध्वज टूट कर स्वत: गिर जाएगा। उस दिन तुम्हारे राज्य का पतन हो जाएगा।
एक दिन उनकी पुत्री उषा ने भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध का अपहरण कर गुप्त विवाह कर लिया। अनिरुद्ध को मुक्त कराने कृष्ण ने बाणासुर की नगरी पहुंचे। उनके आते ही ध्वज टूट कर गिर गया। शिवजी की उपस्थिति में दोनों के मध्य भीषण युद्ध हुआ। कृष्ण ने बाणासुर के नौ सौ छियासी हाथों को काट दिया। शिवजी के आग्रह पर कृष्ण ने बाणासुर को अभयदान दिया। तत्पश्चात उषा और अनिरुद्ध का भव्य विवाह समारोह संपन्न हुआ था। पौराणिक मान्यता है कि बारसूर की विश्व प्रसिद्ध गणेश प्रतिमाओं को बाणासुर की बेटी उषा और उनकी सखी चित्रलेखा ने ही स्थपित कराया था। द्वारिकाधीश ने माता लक्ष्मी के आठ रूपों रुकमणी, सत्यभामा, जामवंती, सत्या, भद्रा, मित्रवृंदा, लक्ष्मणा, कालिंदी से विवाह किया था। कथा के दौरान उस समय लोगों के नेत्र सजल हो गए। जब कृष्ण सुदामा मिलन की सजीव झांकी प्रस्तुत की गई। कथा को आगे बढ़ाते हुए कृष्णा महाराज ने कहा कि संकट में साथ देना मित्रता की पहचान है। आजकल तो लोग मित्रों के सामने मीठी बातें करते हैं परंतु विपदा के समस्त मुंह छिपाते हैं। यह हरकत मित्रता के नाम पर पाखंड है। कथा के अंत में परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाई गई, तत्पश्चात भागवताचार्य और उनके सहयोगियों को मां दंतेश्वरी की तस्वीरें भेंट की गई। बुधवार सुबह दस बजे हवन यज्ञ तथा दोपहर एक बजे प्रसाद वितरीत किया जाएगा।