सी मार्ट के राशन से बना भोजन रास नहीं आ रहा विद्यार्थियों को

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  • सी मार्ट की सामग्री जबरिया भेजी जा रही आश्रमों और छात्रावासों में
  • राशन और अन्य सामान की दरें ज्यादा, गुणवत्ता पर भी उठे सवाल

अर्जुन झा-

बस्तर :- सी – मार्ट जगदलपुर में मिलने वाले राशन और दीगर सामग्री की गुणवत्ता पर अब सवाल उठने लगे हैं। लोगों का कहना है कि सी मार्ट में प्रायः सभी वस्तुओं और राशन की कीमतें लोकल बाजार के मुकाबले ज्यादा रहती हैं। वहीं उनकी गुणवत्ता भी हल्के स्तर की होती है। छात्रावासों, कन्या शिक्षा परिसरों और आश्रमों में सी मार्ट के राशन व अन्य सामग्री से बनने वाले भोजन से विद्यार्थी बिदकने लगे है। ऐसे भोजन को खाकर बीमार पड़ने की अपेक्षा विद्यार्थी भूखे पेट रहना ज्यादा बेहतर समझने लगे हैं।

बावजूद आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी आश्रमों, कन्या शिक्षा परिसरों और छात्रावासों के प्रभारियों को सी मार्ट से ही राशन तथा जरूरत के अन्य सामान खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं।सी मार्ट की स्थापना आम नागरिकों को वाजिब दरों पर अच्छी क्वालिटी का राशन एवं दूसरे सामान उपलब्ध कराने के नेक इरादे से की गई है, लेकिन हो रहा है उल्टा। सी मार्ट में जो राशन और अन्य सामान बेचे जा रहे हैं, वे लोकल बाजार की दुकानों की अपेक्षा महंगे तो होते ही हैं, उनकी गुणवत्ता भी बहुत ही निम्न स्तर की होती है। फिर भी आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी विभागीय कन्या शिक्षा परिसरों, आश्रमों एवं छात्रावासों में सी मार्ट से ही राशन तथा अन्य सामग्रियां खरीदने के लिए कहा जा रहा है। इस आशय की शिकायतें सामने आ रही हैं। जानकारी मिली है कि सी मार्ट से खरीदे गए राशन तथा अन्य सामान से बने भोजन को छात्र छात्राएं जरा भी पसंद नहीं कर रहे हैं। घुन लग चने की सब्जी, घटिया दाल और स्तरहीन चावल को खाना इन विद्यार्थियों को नागवार गुजर रहा है। ऐसे घटिया भोजन को देखते ही विद्यार्थी बिदकने लग जाते हैं। कन्या शिक्षा परिसर परचनपाल में इसका एक ज्वलंत उदाहरण सामने आया है। परिसर की छात्राओं को सी मार्ट के राशन व अन्य जींसों से बनाया गया भोजन परोसा गया, जिसे देखते ही छात्राओं की त्यौरियां चढ़ गईं। छात्राओं ने ऐसे घटिया भोजन को खाने से साफ इंकार करते हुए उसे फेंक दिया। बताया जाता है कि अधिक मुनाफे के चक्कर में सी मार्ट को घटिया क्वालिटी का राशन व अन्य सामानों की आपूर्ति की जाती है। अब ऐसे ही घटिया राशन व सामग्री खरीदने के लिए आश्रमों, कन्या शिक्षा परिसरों तथा छात्रावास अधीक्षकों को मजबूर किया जा रहा है।*5 साल से नहीं बढ़ी शिष्यवृत्ति*विगत 5 वर्षों से छात्रों के भोजन और दूसरी जरूरतों के सामानों के लिए शिष्यवृत्ति के रूप में महज एक हजार रु. ही दिया जा रहा है। पांच साल से शिष्यवृत्ति की राशि में थोड़ी सी भी वृद्धि नहीं हुई है। केवल एक हजार रु. में छात्रों को भोजन, नाश्ता, चिकित्सा एवं अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने की व्यवस्था पांच साल से चली आ रही है। इन पांच सालों के दौरान दाल, आटा, चावल, तेल, साबुन, रसोई ईंधन, दवाई समेत दैनिक उपयोग की तमाम वस्तुओं की कीमतें पांच – सात गुणा बढ़ चुकी हैं। आज की इस भीषण महंगाई के दौर में इतनी सारी जरूरतों की पूर्ति के लिए एक हजार छोटी राशि हरगिज पर्याप्त नहीं है।*अपनी मर्जी थोप रहे हैं अधिकारी*आदिम जाति कल्याण विभाग जगदलपुर के अधिकारी सी- मार्ट से छात्रावासों, कन्या शिक्षा परिसरों एवं आश्रमों के लिए राशन व अन्य सामग्री का उठाव करने का आदेश जारी कर रहे हैं। इसके कारण छात्रावासों और आश्रमों की संचालन व्यवस्था चरमरा गई है। छात्रावास अधीक्षक संघ सी- मार्ट से राशन व अन्य सामग्री की खरीदी बंद कराने हेतु उच्च अधिकारियों से कई बार गुहार लगा चुका है, लेकिन किसी भी अधिकारी द्वारा इस विषय पर कोई भी सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया है। अधिकारियों की यह मनमानी विभाग को भ्रष्टाचार की गर्त में धकेलती नजर आ रही है। जगदलपुर से आश्रमों और छात्रावासों तक सामग्री छोड़ने के किराये का भार भी छात्रावासों और आश्रमों को ही वहन करना पड़ता है। इसके अलावा सामग्रियों की दरों में भी काफी अंतर देखने को मिल रहा है। सामग्रियों की गुणवत्ता पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया जा रहा है। सी- मार्ट की आड़ में हो रहे भ्रष्टाचार की जांच के लिए कलेक्टर जगदलपुर से गुहार लगाई गई है।