नगरनार इस्पात संयंत्र पर बस्तर के आदिवासियों का पहला हक

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  • निजीकरण का संसद दीपक बैज ने लोकसभा में किया पुरजोर विरोध
  • बस्तर वासियों को न आरक्षण का लाभ मिल पाएगा, न ही रोजगार


जगदलपुर बस्तर के युवा शेर के रूप में विशिष्ट पहचान बना चुके कांग्रेस सांसद दीपक बैज ने नगरनार में स्थापित इस्पात संयंत्र के निजीकरण का लोकसभा में पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि केंद्र सरकार आदिवासियों का हक छीन रही है। इस संयंत्र पर बस्तर के आदिवासियों का पहला हक है। इसे निजी हाथों में दे दिए जाने पर बस्तर वासियों को न रोजगार मिल पाएगा और न ही आरक्षण का लाभ।


अनुसूचित जनजाति आरक्षण विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए बस्तर के सांसद दीपक बैज ने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह से सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों तथा उपक्रमों का निजीकरण कर रही है, वह देश की जनता के हित में नहीं है। निजीकरण से रोजगार के अवसर घट रहे हैं। इसके चलते आरक्षण की व्यवस्था भी बेमानी हो गई है। अगर सरकार इन कंपनियों और उपक्रमों को खुद चलाती है, तो अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी, अल्पसंख्यक वर्ग को आरक्षण व्यवस्था के तहत नौकरियों में समुचित लाभ मिलता। निजी क्षेत्र में ऐसा संभव नहीं है। क्योंकि निजी क्षेत्र में आरक्षण की बाध्यता नहीं है। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के नगरनार में सरकार ने राष्ट्रीय खनिज विकास निगम के सहयोग से इस्पात संयंत्र की स्थापना की है। केंद्र सरकार नगरनार इस्पात संयंत्र को भी निजी क्षेत्र के हवाले करने की तैयारी कर चुकी है। यह कदम बस्तर वासियों की उम्मीदों को कुचलने वाला साबित होगा। बैज ने कहा कि बस्तर संभाग में यह इकलौता बड़ा संयंत्र है। इसकी स्थापना से बस्तर के निवासियों को रोजगार, पढ़े लिखे आदिवासी युवाओं को नौकरी तथा व्यापारियों को व्यापार वृद्धि की उम्मीद बंधी थी। जबसे इस संयंत्र के निजीकरण की सुगबुगाहट शुरू हुई है, लोगों की उम्मीदें टूटती जा रही हैं। सांसद बैज ने जोर देते हुए कहा कि नगरनार इस्पात संयंत्र पर बस्तर के आदिवासियों का पहला अधिकार है। केंद्र सरकार आदिवासियों का हक छीनने की कोशिश ना करे। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात की गारंटी दे कि नगरनार इस्पात संयंत्र में बस्तर के ही लोगों को सारी नौकरियां दिलाएगी।