- खरीदी केंद्रों में चलती है प्रबंधकों और प्रभारियों की मनमानी
- योजनाओं से भला हो रहा है व्यापारियों और अफसरों का
अर्जुन झा
बकावंड बस्तर संभाग के किसानों को छलने की परंपरा सी चल पड़ी है। चाहे आदिवासी कृषि परिपाटी की आड़ में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों द्वारा अपना उल्लू सीधा करने का मामला हो, या समर्थन मूल्य पर खरीदी में ज्यादा धान तौलने का मामला हो या चाहे स्थानीय किसानों की ऋण पुस्तिका को आधार बनाकर बाहरी धान खपाने का मामला हो, स्थानीय किसानों के हक पर डाका डालने का कोई भी मौका कुछ स्वार्थी तत्व हाथ से नहीं जाने देते।
लेंपस सोसाइटी छोटे देवड़ा में 50 क्विंटल बाहरी धान खरीदी के मामले में जिम्मेदार खरीदी केंद्र प्रभारी को केंद्र के प्रभार से हटाने के अलावा कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। खरीदी केंद्र प्रभारी कैलाश कश्यप ने अपने पिताजी शोभाराम की ऋण पुस्तिका के आधार पर ओड़िशा से लाए गए 50 क्विंटल धान की खरीदी फर्जी तरीके से कर ली थी। मामले ने जब तूल पकड़ लिया और शिकायत हुई तब जांच के नाम पर कई दिनों तक प्रशासनिक नौटंकी चली। सहकारी बैंक, कृषि उपज मंडी समिति, खाद्य विभाग और जिला प्रशासन तक जांच रिपोर्ट भेजने तथा कार्रवाई की अनुशंसा करने की बात कही जा रही थी, लेकिन कार्रवाई के नाम पर वैसा ही हुआ, जिसकी उम्मीद पहले से ही की जाने लगी थी। खरीदी केंद्र प्रभारी कैलाश कश्यप को प्रभार से हटाकर उनकी जगह दूसरे व्यक्ति को छोटे देवड़ा धान खरीदी केंद्र का प्रभारी बना दिया गया। पूरे पचास क्विंटल बाहरी धान जालसाजी कर खरीदने वाले प्रभारी पर मामूली कार्रवाई कर बरी कर दिया गया, जबकि नियमानुसार उनके खिलाफ पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई जानी थी। शिकायतकर्ता द्वारा शोभाराम कश्यप के खेत व खलिहान में कटी पड़ी धान फसल की वीडियो फुटेज पेश किए जाने तथा जांच अधिकारी द्वारा बिना मिंजाई के रखी फसल को प्रत्यक्ष देखे जाने के बाद भी खरीदी केंद्र प्रभारी पर इस कदर मेहरबानी क्यों की गई, इसे लेकर अब भी चर्चा चल रही है।
बीज किट आपूर्ति में भी हुआ था फरेब
इसी तरह आदिवासी किसानों को बीज किट आपूर्ति की आड़ में की गई घपलेबाजी पर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बकावंड ब्लॉक के ग्राम कोसमी, बजावंड, कोरटा, दाबगुड़ा, दशापाल, भेजरीपदर, तोंग, कवड़ावंड, उड़ियापाल, पीठापुर, नलपावंड, बेड़ा उमरगांव, कचनार, मीरलिंगा, मोंगरापाल, नेगानार, पंडानार, सरगीपाल, छोटे देवड़ा, चोलनार आदि गांवों के आदिवासी किसानों की बाड़ियों में मक्का, कोदो कुटकी, कुलथी आदि की परंपरागत खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम चलाया गया था। इन कृषि उपजों के बीज किट उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी मेडिकल स्टोर्स, कॉपी पुस्तक दुकानों और हार्डवेयर दुकान संचालकों को सौंपी गई थी। इन दुकान संचालकों ने अधिकारियों के साथ मिलकर न सिर्फ शासन को बड़े पैमाने पर चूना लगाया था, बल्कि आदिवासी किसानों के हक पर डाका भी डाला था। इस बड़े घोटाले में भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि आदिवासी कृषि परंपरा को नया जीवन देने की पहल स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विशेष रूचि लेकर की थी।
धान तौलाई में खुलेआम डंडीमारी
समर्थन मूल्य पर की जा रही धान खरीदी में भी किसानों से लूट मचाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जा रही है। अधिकतर खरीदी केंद्रों में प्रति तौलते समय ऐसा कारनामा दिखाया जाता है कि हर क्विंटल के पीछे 5 से 7 किलोग्राम अतिरिक्त धान तौल लिया जाता है और किसानों को इसकी भनक भी नहीं लग पाती। वहीं सूखत के नाम पर किसानों से प्रति 40 किलोग्राम की बोरी में तीन किलोग्राम ज्यादा धान किसानों से लिया जा रहा है। ऐसी शिकायतें धान खरीदी केंद्र मूली में बड़े पैमाने पर आई हैं। किसानों ने बताया है कि खरीदी केंद्र प्रभारी और सोसाइटी प्रबंधक ने खुलेआम ऐसी लूट मचा रखी है। एक क्विंटल धान के पीछे साढ़े तीन किलो अतिरिक्त धान किसानों से लिया जा रहा है। खरीदी केंद्र प्रभारी दलील दे रहे हैं कि सूखत आने की वजह से अतिरिक्त धान लिया जा रहा है। किसान विरोध करते हैं, तो उन्हें खरीखोटी सुनाई जाती है, धान वापस ले जाने कहा जाता है।