बदइंतजामी के लिए बीएमओ भी जिम्मेदार, पर कार्रवाई क्यों नहीं?

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  • सिर्फ स्टॉफ नर्स को निलंबित कर क्या जताना चाहता है महकमा ?
  • बकावंड के खंड चिकित्सा
  • अधिकारी पर नहीं की कोई कार्रवाई, नर्स को बना दिया बलि का बकरा


अर्जुन झा
बकावंड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ( मॉडल हॉस्पिटल ) बकावंड में व्याप्त अव्यवस्था और डॉक्टरों व अन्य कर्मियों के गैर जिम्मेदाराना रवैए के मामले में मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने संज्ञान तो ले लिया, मगर कार्रवाई के नाम पर एक स्टॉफ नर्स को बलि का बकरा बनाकर प्रकरण की इतिश्री कर दी। अस्पताल में दुर्घटना के शिकार युवक के प्रति दिखाई गई असंवेदनशीलता के लिए जिम्मेदार विकास खंड चिकित्सा अधिकारी और घटना की शाम जिस डॉक्टर की ड्यूटी थी, उन्हें एक तरह से अभयदान दे दिया गया है। नियमानुसार इन दोनों डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी थी।


सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बकावंड में बीते 29 दिसंबर की शाम मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना हुई थी। ओड़िशा के ग्राम अमड़ीगुड़ा निवासी युवक थबीर बघेल एक हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे उसके परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बकावंड लेकर पहुंचे थे। जहां उसे देखने की भी जहमत डॉक्टरों ने नहीं उठाई। डॉक्टरों का कहना था कि थबीर बघेल की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो चुकी थी। अगर इस बात को सच मान भी लें, तो सवाल यह उठता है कि एक शव को उस वार्ड के भीतर बेंच पर पूरी रात रखे रहने क्यों दिया गया, जिस वार्ड में लगभग एक दर्जन मरीज भर्ती थे ? क्या मानवता ऐसा करने की इजाजत देती है या फिर विकास खंड चिकित्सा अधिकारी और ड्यूटी डॉक्टर की मानवता मर चुकी थी ? हरिभूमि में मानवता को शर्मसार कर देने वाली इस घटना से संबंधित खबर के प्रकाशन के बाद बस्तर के सहृदय कलेक्टर चंदन कुमार ने मामले पर संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत संज्ञान लिया। श्री कुमार ने मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी को मामले की जांच कर दोषी डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए। मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने प्रकरण की जांच कराई। घटना तथा अमानीय व्यवहार के लिए बकावंड के विकास खंड चिकित्सा अधिकारी, ड्यूटी डॉक्टर और नर्स को जिम्मेदार भी माना गया, लेकिन कार्रवाई की गाज एक बेकसूर स्टॉफ नर्स पर गिरा दी गई। नर्स को सस्पेंड कर दिया गया, लेकिन बीएमओ और ड्यूटी डॉक्टर को आश्चर्यजनक ढंग से बख्श दिया गया। इन दोनों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई।
डॉक्टरों की लापरवाही भी जिम्मेदार
29 दिसंबर की शाम से देर रात तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बकावंड में जो अव्यवस्था फैली रही तथा एक युवक के शव और अस्पताल में भर्ती मरीजों के साथ जो अमानवीय बर्ताव हुआ, उसके लिए विकास खंड चिकित्सा अधिकारी और ड्यूटी डॉक्टर सबसे ज्यादा जिम्मेदार रहे हैं। सबकुछ पता होने के बाद भी खंड चिकित्सा अधिकारी और ड्यूटी डॉक्टर अस्पताल नहीं पहुंचे थे। भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा कराई गई जांच में भी इन तथ् यों की पुष्टि हुई है कि बीएमओ 29 दिसंबर को बकावंड मुख्यालय से नदारद थे, ड्यूटी डॉक्टर अस्पताल में रात 8. 15 बजे तक नहीं पहुंचे थे और अस्पताल को सिर्फ एक प्रशिक्षु नर्स के भरोसे छोड़ दिया गया था। इन सारे तथ्यों के उजागर हो जाने के बावजूद खंड चिकित्सा अधिकारी और ड्यूटी डॉक्टर के खिलाफ मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया ? यह सवाल अब तक अनुत्तरित है। लोगों का यह भी कहना है कि जिस घटना के लिए स्टॉफ नर्स यू रागिनी जरा भी जिम्मेदार नहीं है, उस घटना के लिए उसे दोषी कैसे मान लिया गया और क्यों निलंबित कर दिया गया? लोगों का कहना है कि अब कलेक्टर चंदन कुमार से ही इंसाफ की उम्मीद है।
हॉस्पिटल को बना दिया रेफरल सेंटर : सरिता
क्षेत्र क्रमांक 8 बकावंड की जिला पंचायत सदस्य सरिता पाणिग्रही मॉडल हॉस्पिटल बकावंड में व्याप्त अव्यवस्थाओं का मामला पहले ही जिला पंचायत की सामान्य सभा में उठा चुकी हैं। तब जिला पंचायत की भरी सभा में श्रीमती पाणिग्रही ने खुलकर आरोप लगाया था बकावंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के खंड चिकित्सा अधिकारी और अन्य डॉक्टर्स अस्पताल में रहते ही नहीं। दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल लोगों, गर्भवती महिलाओं, बुरी तरह बीमार मरीजों को देखने से भी बचते हैं। घायलों और गंभीर बीमार मरीजों को ईलाज के लिए तथा गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए जगदलपुर के बड़े अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। जबकि बकावंड के अस्पताल में ईलाज और प्रसव के लिए शासन ने सभी जरुरी सुविधाएं मुहैया करा रखी हैं। सरिता पाणिग्रही ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा है कि अगर उनकी बातों को प्रशासन और सीएमओ ने उसी समय गंभीरता से ले लिया होता और बकावंड में पदस्थ बीएमओ व डॉक्टरों के रवैए में सुधार के लिए प्रयास किया गया होता, तो अस्पताल में 29 दिसंबर की घटना नहीं हुई होती। श्रीमती पाणिग्रही ने कहा है कि बकावंड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के गैर जिम्मेदार बीएमओ और डॉक्टरों की वजह से बस्तर जिले के स्वास्थ्य महकमे की बदनामी हो रही है। उन्होंने चेतावनी दी है कि व्यवस्था सुधारने की दिशा में जल्द पहल नहीं की गई तो क्षेत्र की जनता विभाग के खिलाफ सड़क पर उतरने मजबूर हो जाएगी।