Breaking 19 सितंबर से प्रदेश के 13000 NHM कर्मी रहेंगे अनिश्चितकालीन हड़ताल में

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सैय्यद वली आज़ाद – नारायणपुर – 17-Sept-2020

“प्रदेश में कोरोना के कारण बिगड़ेंगे हालात – आर पार के मूड में है NHM कर्मी”

छत्तीसगढ़ स्वास्थ विभाग अंतर्गत संचालित राष्ट्रीय स्तर के स्वास्थ्य कार्यक्रम मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ, टीकाकरण, परिवार नियोजन, गैर संचारी रोग, क्षय नियंत्रण, तम्बाखू नियंत्रण कार्यक्रम, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ, पोषण नियंत्रण कार्यक्रम सहित कई महत्वपूर्ण शाखाएं आने वाले दिनों में संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से बुरी तरह से प्रभावित होंगी ।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारियों के संगठन द्वारा आहूत किये गए अनिश्चितकालीन हड़ताल 19 सितंबर से आरंभ होने जा रही है, जिसमे ब्लॉक स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के राष्ट्रीय संविदा मिशन स्वास्थ्य कर्मी , प्रबंधन इकाई, चिकित्सक, सहायक चिकित्सक, दंत चिकित्सक, ग्रामीण चिकित्सा सहायक, स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन, एएनएम, फार्मासिस्ट, काउंसलर, कार्यक्रम प्रबंधक, डाटा एंट्री ऑपरेटर, डाटा मैनेजर, एकाउंट मैनेजर, पीएडीए इत्यादि अपने नियमितीकरण की मांग के लिये संघ के साथ हड़ताल में सम्मिलित होंगे।
इस कोरोना कालखंड में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मियों द्वारा लगातार कई महीनों से अनवरत 12 से 15 घण्टे की सेवाएं दी जा रही है, इनमें से कई खुद कोरोना के शिकार भी बन चुके है, परन्तु शासन और प्रशासन के अड़ियल व्यवहार के कारण इन्हें अनिश्चितकालीन हड़ताल में जाना पड़ रहा है।
ज्ञातव्य हो कि वर्तमान कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी जनघोषणा पत्र में प्रदेश के सभी अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था, वहीँ वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री और तब के चुनावी जनघोषणा पत्र प्रभारी, टी एस सिंहदेव द्वारा सरकार बनने के 10 दिन के भीतर नियमित करने का वादा किया था I सब्जबाग दिखा कर कांग्रेस ने सरकार तो बना ली लेकिन अपने वादे से मुकर गई, और सरकार बनने के लगभग 2 साल बाद भी नियमितीकरण की कोई प्रक्रिया तक शुरू नहीं की I अनियमित कर्मचारियों में इसे लेकर रोष व्याप्त है, जिसकी परिणति प्रदेश को कोरोना संकट के समय संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के हडताल पर जाने से चुकानी पड़ सकती है और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत प्रदेश के 13000 कर्मियों के हड़ताल में जाने से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह ठप्प पड़ जाएंगी।
प्राइवेट हॉस्पिटल का खर्चा वहन ना कर सकने वाली आम जनता इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी, खासकर पीएचसी, सीएचसी के कोविड सेंटर्स जहां पर यह संविदा कर्मियों का पूरा अमला तैनात है, जिसमे कोविड 19 के रोगी का चिन्हांकन करना, उनके सैंपल एकत्रित करना, मैनेजमेंट सर्विलांस कार्य, अस्पताल हस्तांतरण या स्थानांतरण करवाना, कन्टेनमेंट जोन के साथ-साथ ओपीडी/ आईपीडी की सेवाये बुरी तरह से चरमरा जाएंगी।
इधर स्वास्थ्य विभाग द्वारा डैमेज कंट्रोल के नाम पर तानाशाही रवैय्या अपनाते हुए, एस्मा का हवाला देते हुए सेवा से पृथक करने की चेतावनी तो जारी कर दी गई है लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था की कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है I जबकि होना ये चाहिए था कि सरकार कर्मचारी नेताओं को बुलाकर उनसे चर्चा करती और बीच का कोई रास्ता निकालती ताकि कोरोना संकट के इस भीषण समय में प्रदेश की जनता को कठिनाई ना हो I ऐसा लगता है सरकार अपने दमनकारी दाँव पर जरूरत से ज्यादा भरोसा कर रही है, वहीँ संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत सिन्हा ने कहा कि ये शासन का दमनकारी रुख दिखाता है और इससे वे झुकने वाले नहीं हैं I उन्होंने अंतिम व्यक्ति के जीवित रहते तक नियमितीकरण की लड़ाई लड़ने की प्रतिबद्धता दोहराई I राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी और अधिकारी बिल्कुल भी झुकने के मूड में नही दिख रहे है, इसी बीच दो दिवस पूर्व उन्होंने संगठन के पत्र के माध्यम से छत्तीसगढ़ की जनता को अनिश्चितकालीन हड़ताल से होने वाले तकलीफ के लिए क्षमा याचना भी की है I