नक्सलियों ने मुखबिरी के शक मे मार डाला आदिवासी छात्र को

0
89
  • बोट्टेतोंग निवासी छात्र की हत्या कर माओवादियों ने जारी किया पर्चा
  • 11 जनवरी के कथित हवाई हमले के लिए बताया युवक को जिम्मेदार


बकावंड :- नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने एक आदिवासी छात्र ताती हिड़मा को पुलिस और सुरक्षा बलों कामुखबिर करार देते हुए मौत के घाट उतार दिया है। ताती हिड़मा दंतेवाड़ा जिले के ग्राम बोट्टेतोंग का निवासी था। इस बात का खुलासा नक्सली नेता गंगा ने एक प्रिंटेड पर्चा जारी करके किया है।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी की दक्षिण बस्तर डिवीजन कमेटी के जिला सचिव गंगा ने जारी पर्चे में कहा है कि इसी माह की 11 तारीख को पुलिस और सुरक्षा बलों ने पामेड़ एवं तेलंगाना के सरहदी इलाकों में ड्रोन व हेलीकाप्टर से भाकपा माओवादी पार्टी नेतृत्व तथा पीएलजीए की टीम व ग्रामीणों पर हवाई हमले किए थे। ये हमले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान के बाद किए गए, जिसमें श्री शाह ने 2024 तक नक्सली समस्या का समूल नाश करने की बात कही थी। पर्चे में गंगा ने कहा है ‘हमारे आंदोलन को खत्म करने के लिए सुरक्षा बल अब ड्रोन, सेटेलाइट सिस्टम जैसी तकनीक की मदद ले रहे हैं। इंटेलिजेंट तकनीक के जरिए हमारे ठिकानों, बैठकों व अन्य गतिविधियों की जानकारी जुटाकर हमले किए जा रहे हैं।’ आगे कहा गया है कि पुलिस ने तीन साल पहले दंतेवाड़ा में 12वीं कक्षा की पढ़ाई कर रहे बोट्टेतोंग निवासी छात्र ताती हिड़मा को पकड़ा था। ताती हिड़मा को डरा धमका कर और पैसों का प्रलोभन देकर पुलिस ने अपना मुखबिर बना लिया था। तबसे ताती हिड़मा शिकार करने, छिंद, सल्फी आदि लेने के बहाने वह माओवादियों के कैंपों, गुरिल्ला बलों के ठिकानों का रेकी करता और पूरी जानकारी पुलिस व सुरक्षा बलों तक पहुंचाने का काम करता आ रहा था। इसके लिए ताती हिड़मा मोबाइल फोन की भी मदद लेता था। पर्चे में यह भी कहा गया है कि पुलिस की मुखबिरी न करने के लिए ताड़ी हिड़मा को पूर्व में समझाईश भी दी गई थी, लेकिन उसने नक्सलियों के खिलाफ मुखबिरी जारी रखी। 11 जनवरी के हवाई हमले भी ताती हिड़मा की मुखबिरी के आधार पर की गई थी।
कब और कहां मारा, पर्चे में उल्लेख नहीं
ताती हिड़मा को कब और कहां मारा गया, इस बात का कोई उल्लेख पर्चे में नहीं किया गया है। यह भी नहीं बताया गया है कि उसकी लाश को कहां ठिकाने लगाया गया ? पर्चे में लोगों को वार्निंग दी गई है कि वे पुलिस और सुरक्षा बलों के प्रलोभन और बहकावे में आकर मुखबिरी न करें और बस्तर के जल, जंगल व जमीन पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे पूंजीपतियों का सहयोगी न बनें। गंगा ने आरोप लगाया है कि पूंजीपतियों की मददगार केंद्र व राज्य की सरकारें स्थानीय ग्रामीणों को हमारे जन आंदोलन और जनयुद्ध के खिलाफ उकसा रही हैं, उन्हें मुखबिरी के लिए मजबूर कर रही हैं। जनता के एक तबके को अपने नेटवर्क और कोवर्ट तंत्र का हिस्सा बना रही हैं।
अवलम सुक्कू को बताया गद्दार
पर्चे में गंगा ने अवलम सुक्कू का उल्लेख करते हुए उसे गद्दार बताया है। कहा गया है कि सुक्कू जून 2022 में संगठन छोड़ भाग निकला और पुलिस से जा मिला था। सुक्कू संगठन के विरुद्ध गतिविधियां चला रहा था। संगठन की बैठकों में उसे कई बार समझाईश और चेतावनी भी दी गई थी। अंततः वह संगठन छोड़ भाग निकला। गंगा ने कहा है कि सुक्कू ताती हिड़मा के साथ मिलकर संगठन के खिलाफ पुलिस और सुरक्षा बलों के लिए मुखबिरी करने लगा। वह सेलफोन से संगठन की हर गतिविधि की जानकारी पुलिस व सुरक्षा बलों को शेयर करने लगा था। सुक्कू के साथ कैसा सलूक किया गया, इस बात की जानकारी पर्चे में नहीं दी गई है।